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भोपाल गैस त्रासदी

Last updated on: December 4th, 2021

भोपाल गैस त्रासदी | Bhopal Gas Tragedy in Hindi

भोपाल गैस त्रासदी | Bhopal Gas Tragedy in Hindi

आज से लगभग 37 वर्ष पहले मध्यप्रदेश स्थित भोपाल शहर में एक अत्यधिक भयानक औद्योगिक दुर्घटना यूनियन कार्बाइड कंपनी में घटित हुई, इस दुर्घटना में जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव की वजह से 15000 से अधिक लोगों की जान गयी, वहीं कई लोग जीवनपर्यंत के लिए अपंग हो गये।

भोपाल गैस कांड का इतिहास

आज 3 दिसंबर है, आज से 37 वर्ष पूर्व 3 दिसंबर 1984 को दुनिया के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी में घटी, जिसमें दिसंबर की कड़ाके की सर्दी वाली रात में सो रहे हजारों लोग जिंदगी भर के लिए मौत की नींद सो गए। उन्हें नहीं पता था कि आज की यह रात उनकी ज़िन्दगी की अंतिम रात है।

इस भयंकर दुर्घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। जिसमें कीटनाशक बनाने में उपयोग होने वाली जहरीली गैस, मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव होने के कारण कंपनी के आस-पास के गांव में सो रहे लोगों को जिंदगी भर के लिए मौत की नींद में सुला दिया।

उस समय, इस घटना में मारे गए लोगों की संख्या विभिन्न स्रोतों के माध्यम से अलग-अलग प्राप्त हुई। विभिन्न स्रोतों ने मारे गए लोगों की संख्या 2,259 बताई थी वहीं तत्कालीन सरकार ने इस घटना में 3,787 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी, लगभग 8000 से अधिक लोग इस घटना के उपरान्त 2 हफ्ते के अंतर में मारे गए थे।

2 दिसंबर 1984 की भयंकर काली रात का घटनाक्रम

2 दिसंबर 1984 की सर्दियों वाली रात जिसने यूनियन कार्बाइड कंपनी के आस-पास रहने लोगों को सदा के लिए मौत की नींद सुला दिया।

रात की शिफ्ट 8 बजे सुपरवाइजर और कंपनी कर्मचारी अपने दैनिक कार्य कर रहे थे।

रात 9:00 बजे भूमिगत टैंक पाइप लाइन की साफ-सफाई हेतु कर्मचारी निकलते हैं।

2 दिसंबर वर्ष 1984 की रात्रि 10:00 बजे भूमिगत स्थित टैंक में रासायनिक प्रक्रिया आरम्भ होती है और गैस बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसके फलस्वरूप टैंकर का तापमान 200 °C तक पहुंच जाता है।

रात 10:30 बजे टैंकर से गैस, पाइप के माध्यम से निकलना शुरू होती है जिसका वाल्व ठीक से बंद न होने के कारण गैस रिसाव शुरू होने लगता है।

3 दिसंबर 1984 रात्रि 12:30 बजे, इसको लेकर कर्मचारियों में घबराहट होने लगी तभी अचानक खतरे का सायरन भी बज गया।

12:50 होते-होते आसपास की बस्तियों में सो रहे लोगों को आंखों में जलन, सांस फूलना, पेट फूलना, जी मिचलाना और उल्टियां शुरू हो गई।

रात का समय होने के कारण किसी को कुछ समझ नहीं आता और लगभग रात्रि 1:00 बजे भगदड़ मचनी शुरू हो गयी।

जिसके बाद पुलिस की सख्ती हुई और पुलिस ने कंपनी कर्मचारियों से पूछा तो उनके सुपरवाइजर ने जवाब दिया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है कंपनी से कोई गैस रिसाव नहीं हुआ।

रात्रि 2:00 बजे तक आसपास के अस्पतालों में इस तरह के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी।

रात की 2:10 होते-होते पूरे शहर में गैस फैल गई और मौत का तांडव शुरू हो गया।

उसके बाद जोरदार हो-हल्ला के साथ अचानक पूरा माहौल शांत होने लगा क्योंकि हजारों लोग एक साथ मौत की नींद सो गए।

सुबह होते-होते जब तक गैस का रिसाव बंद किया जाता पूरा मंजर बदल चुका था बहुत सारे लोग मारे जा चुके थे, कुछ ज़िंदा लोगों को उचित इलाज न मिलने की वजह से भी नहीं बचाया जा सका।

3 दिसंबर 1984 सुबह 6:00 बजे इस घटना के बाद, पुलिस ने लोगों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की और एरिया को खाली करने की अपील की।

मिथाइल आइसोसाइनेट क्या है

भोपाल गैस त्रासदी की मुख्य वजह मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव था।

यह एक कार्बनिक यौगिक है। जो मिथाईल आइसोसाइनेट यौगिक फोसजीन (CoCl2) तथा मिथायेल ऐमीन विलियन के संयोग के फलस्वरूप प्राप्त होता है। मिथाइल आइसोसाइनेट का उपयोग कीटनाशक बनाने में किया जाता है। कई शोध यह भी बताते हैं कि हाथियार बनाने में भी मिथाइल आइसोसाइनेट प्रयुक्त होता है।

भोपाल गैस कांड के समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे

जब यह भयंकर दुर्घटना भारत में घटी उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। जिनके ऊपर उस समय गंभीर आरोप लगे थे, उनके ऊपर यह आरोप लगे थे कि उन्होंने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भारत से बाहर निकलने में मदद की थी।

1984 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे।

भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को कोई सजा नहीं हुई लेकिन इस मामले में कोर्ट ने 8 लोगों को दोषी करार दिया और उन सब को 2-2 वर्ष की सजा सुनाई गयी।

वही इस मामले में यूनियन कार्बाइड कंपनी का सीईओ और अध्यक्ष वारेन एंडरसन को भगोड़ा घोषित किया गया।

भोपाल गैस कांड के दौरान मिला मुआवजा

भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ित लोगों के कल्याण के लिए बनाये गए कल्याण आयुक्त कार्यालय ने मार्च 2021 के जो आकड़े जारी किये हैं उनके अनुसार पंचाट संबंधी 5,63,124 मामलों में मुआवजे के रूप में 1517.89 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की गयी है।

कल्याण आयुक्त कार्यालय के अनुसार 31 मार्च 2021 तक अनुग्रह राशि से सम्बंधित 62,527 मामले आये उनमे 51,034 मामलों को पंचाट के रूप स्वीकार किया गया बाकी 11,493 मामलों को निरस्त कर दिया गया। 51,034 दावेदारों को अनुग्रह राशि देने के लिए 853.23 करोड़ रुपये की धनराशि को स्वीकृत किया गया है।

इस बीच, भोपाल गैस त्रासदी के 37 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी पीड़ितों के अनुग्रह राशि के दावों के आवेदन अभी भी आ रहे हैं ऐसा इसलिए है क्योकि इस मामले में सरकार द्वारा आवदेन की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गयी थी।

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