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HINDI KAVITA: सच है

सच है

सच है इंसान
खुद के लिए जीतें हैं।

सच है शैतान
खुद के जाल में फँसतें हैं ।

सच है बेईमान
थाने के जेल में सजा कटातें हैं।

सच है हैंवान
अदालत के चक्कर लगातें हैं।

सच है ईमान
बुराई में छिप जातें हैं।

सच है दुकान
ग्राहकों के उधारी में ढूब जातें हैं।

सच है अरमान
कुछ कर जाने में खो जातें हैं।

सच है व्याकरण
हिंदी के सच्चाई दिखातें हैं।

सच है प्रश्न
उत्तर देने में उलझ जातें हैं।

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About Author:

डोमन निषाद ‘डेविल’
पता – गाँव डूंडा जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़

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