करवा चौथ
मैनें अपने पति के लिए
करवा चौथ का व्रत रखा है,
हाथों में मेंहदी,पैरों में महावर
सुंदर परिधानों, आभूषणों से
खुद को खूब सजाया है।
हे चौथ मैय्या !तुम्हारी जय हो
माँ! हम पर कृपा करो
सदा सुहागिन रहने का वरदान दो
भूल चूक माफ करो,
मेरे पति के सदा स्वस्थ्य रहने का
हमें अनंत आशीर्वाद दो।
हे चंद्र देव ! दर्शन दो
आपका दर्शन हो
तभी तो मैं आपको अर्घ्य दूंगी,
पूजन आरती करूंगी,
आपका आशीर्वाद लेकर
सभी बड़ों का आशीर्वाद लूंगी,
फिर पति के हाथों जल पीकर
व्रत समाप्त करूँगी,
अपने को सौभाग्यशाली मानूंगी।
सरहद पर चाँद
आज करवा चौथ है
मगर थोड़ा अफसोस भी है
कि मेरी चाँद
अपनी चाँदनी से दूर
सरहद की निगहबानी में
मगशूल है।
फिर भी मुझे
अपने चाँद पर गर्व है,
माँ भारती की सेवा/रक्षा
सबसे पहला धर्म है।
माना कि मेरा चाँद
मुझसे दूर है,
तो क्या हुआ?
मैं तो मन वचन कर्म से
अपना कर्तव्य निभाऊंगी,
खूब सज सवंर कर
नई नवेली दुल्हन बन
मन के भावों से
अपने साजन को दिखाऊंगी,
हँसी खुशी व्रत,पूजा पाठ कर
सारे धर्म निभाऊंगी,
माँ पार्वती, शिव,गणेश, करवा माई से
अपनी अरदास लगाऊँगी,
पति की सलामती का
आर्शीवाद लेकर रहूंगी,
चंद्रदेव का दर्शन कर
अर्घ्य चढ़ाऊँगी
आरती उतारुँगी,
फिर अपने चाँद का
चाँद में ही दीदार करुँगी,
तब जल ग्रहणकर
करवा चौथ का सुख पाऊंगी,
खुशी से अपने चाँद की खातिर
जी भरकर नाचूंगी, इतराऊँगी।
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Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002