Table of Contents
मार्गदर्शन और परामर्श के बीच अंतर | Difference between Guidance and Counselling in Hindi
मार्गदर्शन क्या होता है?
मार्गदर्शन शब्द अंग्रेजी शब्द के “टू गाइड” (To guide) से बना है जिसका मतलब होता है, मार्ग दिखाना या दिशा दिखाना। मार्गदर्शन या गाइडेंस एक प्रकार की सलाह या मदद होती है जो व्यक्ति को अध्ययन, करियर, काम या व्यवसाय करने की तैयारी जैसे विभिन्न विषयों पर दी जाती है।
हालांकि मार्गदर्शन में समस्याओं का समाधान नहीं बताया जाता बल्कि ऐसी विधियां बताई जाती है जिनकी मदद से व्यक्ति स्वयं ही समस्याओं का समाधान कर सके। मार्गदर्शन देने वाला व्यक्ति मुख्य रूप से उसी क्षेत्र से संबंधित या विशेषज्ञ होता है।
मार्गदर्शन का उद्देश्य होता है छात्र और व्यक्तियों को उनकी पसंद के अनुसार उनके निर्णय लेने के महत्व से अवगत कराना। जिससे वे अपने निर्णय के आधार पर अपने लिए सर्वश्रेष्ठ का चुनाव कर सकें क्योंकि उनके निर्णय पर ही उनका भविष्य निर्भर करता है। मार्गदर्शन एक ऐसी मदद है जो छात्रों को उनके मनोवैज्ञानिक, शैक्षणिक क्षमता तथा महत्वाकांक्षा के अनुरूप उनके लिए सबसे बेहतर और उपयुक्त पाठ्यक्रम के चयन में मदद करती है।
मार्गदर्शन से न केवल आत्मविकास होता है बल्कि इससे व्यक्ति को अपने वर्तमान और भविष्य के बारे में योजना बनाने में मदद मिलती है। मार्गदर्शन में दो तरह की तकनीक प्रयोग में लाई जाती है। एक होती है व्यक्तिगत मार्गदर्शन तकनीकी तथा दूसरी होती है समूह मार्गदर्शन तकनीक।
मार्गदर्शन को लेकर विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग परिभाषाएं दी हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-
आर्थर जे. जोन्स के अनुसार:- व्यक्तियों को बुद्धिमतापूर्वक चुनाव का समायोजन करने में दी जाने वाली सहायता को निर्देशन कहते हैं।
स्किनर के अनुसार:- मार्गदर्शन नवयुवकों को अपने, दूसरे से तथा परिस्थितियों से सामंजस्य करना सीखने की सहायता देने की प्रक्रिया है।
मार्गदर्शन कई प्रकार का होता है जो कि निम्नलिखित है:-
- व्यक्तिगत मार्गदर्शन
- शैक्षिक मार्गदर्शन
- स्वास्थ्य मार्गदर्शन
- सामाजिक मार्गदर्शन
- व्यावसायिक मार्गदर्शन
परामर्श क्या होता है?
परामर्श का शाब्दिक अर्थ होता है- परस्पर विचार विमर्श। वेबस्टर शब्दकोश के अनुसार, ‘परामर्श, पूछताछ, पारस्परिक तर्क-वितर्क तथा विचारों का पारस्परिक आदान-प्रदान है।‘ परामर्श या काउंसलिंग में कोई व्यक्ति अपनी समस्याओं तथा भावनाओं को परामर्शदाता के साथ साझा करता है। परामर्शदाता, व्यक्ति को समस्याओं से निपटने में सलाह देता है तथा उसकी मदद करता है।
काउंसलिंग का उद्देश्य होता है उन समस्याओं पर चर्चा करना जो व्यक्ति के सामाजिक, व्यक्तिगत, मनोवैज्ञानिक मुद्दों से संबंधित होते हैं और जिस वजह से व्यक्ति को भावात्मक, मानसिक अस्थिरता और बेचैनी महसूस होती है।
काउंसलिंग 1 दिन की प्रक्रिया नहीं होती क्योंकि इसमें व्यक्ति की समस्या को सहानुभूति से सुना जाता है तथा गोपनीय वातावरण में उसकी चर्चा की जाती है। यही वजह है कि परामर्श में लंबा समय लगता है। परामर्श सिर्फ सलाह देने या निर्णय लेने की प्रक्रिया नहीं है बल्कि इसमें समस्याओं की जड़ से चर्चा की जाती है तथा उन मुद्दों के संभावित समाधानों को बताने में क्लाइंट की मदद की जाती है।
इस प्रक्रिया के दौरान काउंसलर व्यक्ति के दृष्टिकोण को भी बदलता है जिससे व्यक्ति सही निर्णय या कार्यवाही कर पाता है। साथ ही परामर्श की मदद से भविष्य में क्लाइंट को सहज तथा सकारात्मक बने रहने में मदद मिलती है। परामर्श हमेशा व्यक्तिगत या अकेले में दी जाती है इसके लिए जरूरी होता है कि परामर्शदाता और क्लाइंट के मध्य अच्छे संबंध विकसित हो सके। जिससे क्लाइंट खुलकर अपनी समस्याओं को उनके सामने साझा कर सकें। यदि इन दोनों के मध्य अच्छे संबंध विकसित नहीं होंगे तो क्लाइंट अपनी बातों को खुलकर नहीं रख पाएगा जिससे परामर्शदाता भी उनकी समस्या नहीं सुलझा पाएंगे।
जिस तरह मार्गदर्शन में दो तकनीकों का प्रयोग किया जाता है उसी तरह परामर्श में तीन तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। यह तीनों तकनीक है- निर्देशात्मक संबंधित परामर्श, गैर-निर्देशात्मक परामर्श तथा वैकल्पिक परामर्श तकनीक।
परामर्श कई प्रकार के होते हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-
- नैदानिक परामर्श
- मनोवैज्ञानिक परामर्श
- छात्र परामर्श
- सामाजिक परामर्श
- शैक्षणिक परामर्श
- वैवाहिक परामर्श
- व्यवसायिक परामर्श
- व्यक्तिगत परामर्श
- सामूहिक परामर्श
मार्गदर्शन और परामर्श के बीच अंतर (Guidance and Counselling difference in Hindi)
- मार्गदर्शन एक प्रकार की सलाह है जिससे कठिनाइयों से उबरने में मदद मिलती है। जबकि परामर्श में व्यक्तिगत और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निपटने के लिए परामर्शदाता द्वारा व्यक्ति को उस समस्या को सुलझाने का रास्ता दिखाया जाता है।
- मार्गदर्शन की पहुंच व्यापक और बहिर्मुखी होती है जबकि परामर्श अंतर्मुखी होता है।
- मार्गदर्शन की प्रकृति निवारक होती है जबकि परामर्श उपचारात्मक होता है।
- मार्गदर्शन में व्यक्ति को सबसे बेहतर विकल्प चुनने में मदद की जाती है, जबकि परामर्श व्यक्ति के परिपेक्ष्य को बदलने और उसे स्वयं समाधान निकालने में मदद करता है।
- मार्गदर्शन मुख्यत: शिक्षा और करियर से जुड़े मुद्दों पर किया जाता है जबकि परामर्श व्यक्तिगत, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर दिया जाता है।
- मार्गदर्शन देने वाला व्यक्ति किसी भी क्षेत्र विशेष का विशेषज्ञ हो सकता है, जबकि परामर्श देने वाला व्यक्ति परामर्शदाता कहलाता है। परामर्शदाताओं में उच्च स्तर का कौशल तथा पेशेवर प्रशिक्षण होता है।
- मार्गदर्शन एक बार में एक या कई व्यक्तियों के समूह को दिया जा सकता है लेकिन काउंसलिंग हमेशा अकेले में ही होती है।
- परामर्श मुख्यतः मानसिक स्वास्थ्य और भावात्मक समस्याओं से संबंधित होता है जबकि मार्गदर्शन करियर, शिक्षा संबंधित समस्याओं को लेकर किया जाता है।
- मार्गदर्शन की जरूरत सभी लोगों को होती है जबकि परामर्श की जरूरत सिर्फ उन लोगों को होती है जो गंभीर रूप से शैक्षणिक, व्यवसायिक तथा मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं।
- मार्गदर्शन एक ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन भर चलती है जबकि परामर्श जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया नहीं है क्योंकि जब व्यक्ति गंभीर समस्या से पीड़ित होता है तब उसे इसकी जरूरत होती है। व्यक्ति जब समस्या से बाहर आ जाता है तब उसे परामर्श की जरूरत नहीं होती।
- मार्गदर्शन समय, शक्ति तथा खर्च सभी रूपों से मितव्ययी होती है जबकि परामर्श में मार्गदर्शन के मुकाबले समय तथा पैसे ज्यादा लगते हैं।
- वैसे तो मार्गदर्शन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित होती है लेकिन इसका मुख्य रूप से उपयोग शैक्षणिक तथा व्यवसायिक समस्याओं के समाधान में किया जाता है। जबकि परामर्श संवेगात्मक तथा समायोजनात्मक समस्याओं से संबंधित होती है तथा इसके ज़रिए इन समस्याओं का समाधान किया जाता है।
- मार्गदर्शन प्रत्येक व्यक्ति तथा विद्यार्थी को दी जा सकती है जबकि परामर्श केवल उन लोगों को दिया जाता है जो किसी समस्या से पीड़ित होते है।
- मार्गदर्शन की मदद से लोग अपनी क्षमता, रुचि तथा योग्यता को पहचानकर, उसका इस्तेमाल कर, खुद और समाज का विकास करते हैं। जबकि परामर्श में व्यक्ति की समस्याओं को दूर किया जाता है तथा उन्हें तनाव मुक्त कर उन्हें जीवन की नई राह दिखाई जाती है।
- मार्गदर्शन का क्षेत्र व्यापक होता है जबकि परामर्श का क्षेत्र संकुचित होता है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना मार्गदर्शन और परामर्श के बीच अंतर (Guidance and Counselling difference in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
आपको हमारा लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं, अपने सुझाव या प्रश्न भी कमेंट सेक्शन में जा कर पूछ सकते हैं। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए HelpHindiMe को Subscribe करना न भूले।
Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।