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Essay on Banyan Tree in Hindi

Essay on Banyan Tree in Hindi
Essay on Banyan Tree in Hindi | बरगद के पेड़ पर निबंध

Essay on Banyan Tree in Hindi | बरगद के पेड़ पर निबंध


भूमिका

आपने अपने गली, नुक्कड़, सड़क, मोहल्ले, चौराहे और मंदिरों के समक्ष ‘बरगद’ के पेड़ को तो देखा ही होगा। बरगद का पेड़ एक विशालकाय पेड़ है, जिसकी जड़ें शाखाओं से निकलकर हवा में झूलती रहती हैं। भारत में इस पेड़ को ‘बड़’, ‘बट’, ‘वट’ और ना जाने कितने ही नामों से पुकारा जाता है। लेकिन इस पेड़ को इसके वैज्ञानिक नाम यानी कि ‘फाइकस बेंगालेंसिस (Ficus Bengalensis)’ से बेहद ही कम लोग जानते हैं। अंग्रेजी में इस पेड़ को ‘बनियन ट्री (Banyan Tree)’ कहा जाता है।

बरगद का पेड़

बरगद का पेड़, दूसरे पेड़ों से थोड़ा अलग है। भारत में तो इस पेड़ को विशेष स्थान प्राप्त है। बरगद की जड़े इसकी शाखाओं से लटकती है, तो वहीं इसके पत्तों से दूध जैसा पदार्थ निकलता है। इन सबसे इतर इस पेड़ की सबसे बड़ी खासियत है, इसका लंबा जीवन। इसकी इसी विशेषता की वजह से इसे अनश्वर माना जाता है और इसी वजह से यह ‘अक्षयवट’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह वृक्ष अकाल के दौरान भी नहीं सूखता।

बरगद के पेड़ में कई खूबियां छिपी हुई है और इन्हीं खूबियों की वजह से इसे भारत के राष्ट्रीय वृक्ष (National Tree Of India) होने का गौरव हासिल है।

इस वृक्ष का धार्मिक और पारंपरिक महत्व भी है। यह पेड़ कई प्राचीन लोक कथाओं का हिस्सा रह चुका है। आइए जानते हैं, इसके धार्मिक और पारंपरिक महत्व के बारे में।

बरगद के पौराणिक और धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म के लोग इस वृक्ष को पूजनीय मानते हैं। कहा जाता है कि यह वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति का प्रतीक है। इस वृक्ष की छाल में भगवान विष्णु, शाखाओं में भगवान शिव और जड़ों में भगवान ब्रह्मा का वास माना जाता है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि इस वृक्ष की जड़ों में जल का अर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

बरगद का उल्लेख महाभारत, रामायण, रामचरितमानस, यजुर्वेद और अर्थवेद में किया जा चुका है। इतना ही नहीं आपने ‘बट सावित्री पूजा’ के बारे में सुना होगा, इस पूजा के दौरान महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना करती हैं। इसके साथ ही जिन लोगों का जन्म मघा नक्षत्र में होता है, वे बरगद की पूजा करते हैं। इस वृक्ष के धार्मिक महत्व के चलते इसे काटना भी पाप माना जाता है।

हिंदू धर्म में तो इसे लेकर कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं। इनमें सबसे प्रचलित के किंवदंती के अनुसार बरगद के पत्ते के ऊपर भगवान नारायण प्रकट हुए थे। दरअसल, कहा जाता है कि एक बार धरती पर महाप्रलय आया और उस दौरान धरती चारों तरफ से पानी में डूब चुका था। और इस पानी के भयानक लहरों ने काफी तबाही मचाई थी और इसी दौरान अचानक बरगद के 1 पत्ते के ऊपर भगवान नारायण शिशु रूप में प्रकट हुए थे। नारायण की नाभि पर एक कमल का फूल भी लगा हुआ था। यह फूल और कुछ नहीं बल्कि खुद ब्रह्मा थे। इसी किंवदंती की वजह से बरगद को पवित्र पेड़ों में स्थान दिया गया है।

बरगद के पेड़ के औषधीय गुण

बरगद के पेड़ की सबसे खास बात यह है कि इसमें कई सारे औषधीय गुण मौजूद हैं। बरगद के फल में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन b1 और B3, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, मैग्नीशियम, ओमेगा-3 और शुगर जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसके फल के साथ इसकी पत्तियों में भी कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन व फास्फोरस मौजूद होता है।

ये सभी पोषक तत्व मिलकर मनुष्य को कई बीमारियों से राहत दिलाते हैं। प्राचीन समय में बरगद के पेड़ का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता था। इस पेड़ के फल से लेकर इसका छाल भी कई रोगों का उपचार करने में सक्षम है। आइए जानते हैं, बरगद कौन-कौन सी बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करता है।

  1. इम्युनिटी बढ़ाता है- बरगद का फल इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर कार्य करता है। इसके साथ ही इस फल के सेवन से खांसी, जुकाम, फ्लू जैसे कई रोग दूर हो जाते हैं।
  2. दिल को स्वस्थ रखता है- हमने आपको पहले भी बताया कि बरगद के पेड़ में ओमेगा-3 और 6 भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो दिल के लिए काफी अच्छा माना जाता है।
  3. डायबिटीज के प्रभाव को कम करता है- कहा जाता है कि मधुमेह के मरीज अगर बरगद के फल का पाउडर बनाकर इसे पानी के साथ पीते हैं, तो यह डायबिटीज के कई जोखिम को कम करने में मदद करता है।
  4. जोड़ों का दर्द- जो लोग जोड़ों के दर्द से परेशान हैं। वे बरगद के पत्ते का पेस्ट तैयार कर अगर इसे अपने घुटने पर लगाते हैं तो उन्हें जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
  5. खुजली, फोड़ा-फुंसी दूर करें- त्वचा पर दाने, फोड़े, फुंसी निकालना आम बात है। इसके अलावा त्वचा में कई बार बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो जाता है। बरगद का पेड़ फोड़े, फुंसियों, बैक्टीरियल इनफेक्शन को कम करने में मदद करता है।
  6. बालों से जुड़ी समस्या- कहा जाता है कि बरगद का पेड़ बालों का झड़ना, गंजापन जैसी कई समस्याओं से हमें राहत दिलाता है। इसे सिर पर लगाने के लिए नारियल और गिरी को आपस में पीस लें फिर इसमें बरगद के फल को मिलाकर अपने सिर पर लगाएं।
  7. दंत रोग- बरगद का पेड़ मुंह से दुर्गंध व दाँतों में गंदगी जमा होने जैसे कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए बरगद के पेड़ की छाल के साथ काली मिर्च को पीसा जाता है। इसके अलावा इसका दातुन बनाकर, इसे मंजन की तरह उपयोग में भी लाया जाता है।

जरूरी सूचना:- हमारे द्वारा दी गई ये जानकारी लोगों द्वारा बताए गई सामान्य जानकारियों पर आधारित है। Helphindime.In इन जानकारियों की पुष्टि नहीं करता। इन नुस्खों को आजमाने के लिए एक बार विशेषज्ञ से जरूर बात करें।

विश्व का सबसे बड़ा और पुराना बरगद का पेड़

भारत में बरगद का सबसे बड़ा पेड़ पश्चिम बंगाल के कोलकाता में मौजूद था। यह पेड़ एक बोटैनिकल गार्डन में था। पेड़ की लंबाई करीब 25 मीटर हुआ करती थी। इस बरगद के पेड़ की स्थापना वर्ष 1787 में की गई थी। समय के साथ इस पेड़ ने अपनी जड़ों और शाखाओं को बढ़ा लिया और 3000 से ज्यादा जटाओं और शाखाओं ने आधे से ज्यादा जंगल को घेर लिया। यह पेड़ 14500 वर्ग मीटर तक फैला हुआ था।

यह दुनिया का सबसे बड़ा पेड़ था। इसे वाकिंग ट्री या द ग्रेट बनियान ट्री के नाम से जाना जाता था। इस वृक्ष की सबसे खास बात यह थी कि इस वृक्ष पर पक्षियों की 80 से अधिक प्रजातियां निवास करती थीं उस दौरान इस वृक्ष की देखभाल करने के लिए 13 सदस्यों की एक टीम को नियुक्त किया गया था। इस टीम में बॉटेनिस्ट से लेकर माली तक शामिल थे।

हालांकि अब यह विशालकाय बरगद का पेड़ वर्तमान में मौजूद नहीं है। दरअसल, वर्ष 1884 और वर्ष 1925 में कोलकाता में चक्रवाती तूफान आया था और इस तूफान के कारण पेड़ की कई शाखाओं पर फफूंद लग गई और अंततः इन शाखाओं को काटना पड़ा।

वर्ष 1987 में भारत सरकार द्वारा कोलकाता में मौजूद बरगद वट के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था।

बरगद के पेड़ से जुड़े कुछ रोचक व वैज्ञानिक तथ्य

  1. कहा जाता है कि अकाल पड़ने के बावजूद बरगद का पेड़ हरा-भरा रहता है। यही वजह है कि आज तक जितनी बार भी अकाल पड़ा, उस दौरान लोग बरगद के फल को खाकर, तो जानवर इसकी पत्तियों को खाकर जीवित रहे।
  2. बरगद के पत्ते या डाली को तोड़ने पर इसमें दूध जैसा पदार्थ निकलता है।
  3. यह मान्यता है कि बरगद के पेड़ की उपासना की जाए तो इससे संतान की प्राप्ति होती है।
  4. मान्यताओं के अनुसार, बरगद की छाया सीधे मन पर प्रभाव डालती हैं, इससे मन को शांति हासिल होती है। गर्मियों में बरगद का एक विशाल पेड़ लोगों को छांव प्रदान करता है।
  5. ग्रामीण इलाकों में तो बरगद के पेड़ के नीचे ही पंचायत, ग्राम सभा और विभिन्न बैठकें आयोजित की जाती हैं।
  6. अगर टॉन्सिल में बरगद के दूध को लगाया जाता है, तो इस लेप से रोगी को आराम मिलता है।
  7. आयुर्वेद में बरगद के छाल और पत्तियों से कई तरह की औषधियां तैयार की जाती है।
  8. वर्ष 1950 में बरगद को भारत का राष्ट्रीय वृक्ष घोषित किया गया था।
  9. बरगद भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे कई अन्य पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है।
  10. बरगद के पेड़ से प्राप्त लकड़ी और इसकी छाल का इस्तेमाल कागज बनाने के लिए भी किया जाता है।
  11. अभी तक बरगद के पेड़ की सही आयु का पता नहीं चला है। लेकिन कहा जाता है कि बरगद का एक पेड़ 500 से लेकर 1000 साल तक जीवित रहता है।
  12. यह मान्यता है कि बरगद के पेड़ में शिव जी का वास होता है।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा बरगद के पेड़ पर निबंध (Essay on Banyan Tree in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।

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