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Essay on GST In Hindi

Essay on GST In Hindi
Essay on GST In Hindi | जीएसटी पर निबंध

Essay on GST In Hindi | जीएसटी पर निबंध


भूमिका

नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता पर आने के बाद से ही कई बड़े फैसले लिए। इन बड़े फैसलों में जीएसटी भी अहम रहा। नोटबंदी के बाद जीएसटी पर सबसे अधिक बहस की गई। जीएसटी को पूरे देश में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था।

इतना तो हम सभी जानते हैं कि जीएसटी एक ऐसा टैक्स है जिसकी दर पूरे देश में एक जैसी है। लेकिन हम में से बहुत से लोग जीएसटी के इतिहास, इसके प्रकारों और जीएसटी से जुड़ी कई जानकारियों के बारे में नहीं जानते। तो चलिए इस लेख के जरिए जानते हैं, जीएसटी के बारे में संपूर्ण जानकारी।

टैक्स क्या होता है?

हम में अधिकतर लोग ये जानते हैं कि जीएसटी एक तरह का टैक्स होता है। लेकिन जीएसटी के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए आपको टैक्स के बारे में समझ होना जरूरी है। दरअसल, टैक्स दो तरह का होता है। एक डायरेक्ट टैक्स, दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स। जो लोग नौकरी करते हैं, उनकी सैलरी में से जो पैसे टैक्स के तौर पर काटे जाते हैं, वे डायरेक्ट टैक्स की श्रेणी में आते हैं। डायरेक्ट टैक्स को देने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 4% है क्योंकि नौकरी पेशा लोगों की संख्या कम है।

वहीं इनडायरेक्ट टैक्स उन उत्पाद और सेवाओं पर लगाया जाता है जिनकी खरीद बिक्री आप करते हैं। आइए एक नजर डालते हैं, उन टैक्सों पर जो जीएसटी के आने से पहले लगाए जाते थे।

  1. सेंट्रल एक्साइज टैक्स – यह टैक्स किसी भी उत्पाद के प्रोडक्शन पर लगाया जाता है जैसे कि स्टील की कीमत असल में कुछ और होती है, लेकिन जब इसी स्टील से पंखा बना लिया जाता है, तब इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो जाती है। इस टैक्स को केंद्र सरकार वसूलती थी।
  2. सेल्स टैक्स – यह टैक्स सामान की बिक्री पर लगाया जाता है। जब एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान की बिक्री की जाती है, तब इसे केंद्र सरकार वसूलती है। लेकिन अगर एक राज्य में तैयार किया गया सामान उसी राज्य में बेचा जाता है, तब इसे राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है।
  3. सर्विस टैक्स – यह टैक्स 90 के दशक से ही लगाया जाता था। इस टैक्स की ये खासियत थी कि इसे जबरदस्ती बढ़ाया नहीं जा सकता था। अब तक इस टैक्स को सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता था, लेकिन जीएसटी के बाद से इसे राज्य सरकार भी वसूलती है।

यह थे कुछ प्रमुख टैक्स जो कि जीएसटी के आने से पहले लगाए जाते थे। हालांकि इसके अलावा भी कई छोटे-बड़े टैक्स भी लगाए जाते थे।

जीएसटी क्या है?

जीएसटी का फुल फॉर्म ‘वस्तु और सेवा कर’ है। अंग्रेजी में इसका फुल फॉर्म ‘Central Goods and Service Tax’ है। जीएसटी को अगर आसान शब्दों में समझें तो ये ‘एक देश, एक टैक्स’ व्यवस्था है। यानी कि जब भी आप किसी उत्पाद को खरीदते हैं या फिर सर्विस लेते हैं, तब हमें उस उत्पाद का टैक्स भरना पड़ता है।

जीएसटी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि उत्पाद पर लगने वाले इस टैक्स की दर पूरे देश में एक ही होती है। यानी कि देश के किसी भी हिस्से पर बैठे कंजूमर और उपभोक्ता को उस वस्तु या सेवा पर एक समान टैक्स देना पड़ता है।

बहुत से लोग ये समझते हैं कि जीएसटी नए जमाने की उपज है। लेकिन जीएसटी की धारणा कई सालों पहले ही आ चुकी थी। समय-समय पर जीएसटी को लेकर अलग-अलग सरकारों ने कई प्रस्ताव भी पारित किए और इसके परिणामस्वरूप साल 2017 में वर्तमान बीजेपी सरकार द्वारा जीएसटी का प्रस्ताव पारित किया गया।

जीएसटी का इतिहास

आप में से बहुत से लोग ये सोचते होंगे कि जीएसटी का भला क्या इतिहास होगा? क्योंकि यह तो कुछ समय पहले ही लागू की गई है। हालांकि हम आपको बता दें, जीएसटी साल 1999 में ही प्रस्तावित कर दी गई थी। दरअसल, उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने जीएसटी का प्रस्ताव रखा था जिसे लेकर उस दौरान पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री रहे असीम दासगुप्ता ने जीएसटी समिति का भी गठन किया था।

जीएसटी को लागू करने की कवायत लंबे समय से चली आ रही थी और साल 2004 में कांग्रेस की सरकार के आ जाने से जीएसटी लागू नहीं की जा सकी। हालांकि कांग्रेस के शासनकाल के दौरान भी कई बार जीएसटी को लेकर प्रस्ताव पेश किए गए, तो कभी समितियों का गठन किया गया। लेकिन तब भी यह पारित नहीं की जा सकी और अंततः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 को जीएसटी को आखिरकार लागू किया गया।

जीएसटी के प्रकार

आप यह तो जानते होंगे कि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को भारत के केंद्र सरकार द्वारा संपूर्ण देश में लागू किया गया है। हालांकि जीएसटी को भी 3 प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है। आइए इन भागों के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं:-

  1. केंद्र वस्तु और सेवा कर (CGST) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, केंद्र वस्तु और सेवा कर को केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया है। ये भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। वस्तुओं के निर्माण और खरीद बिक्री पर यह कर लगाया जाता है।
  2. राज्य माल और सेवा कर (SGST) – इस तरह का टैक्स राज्य के अंदर आने वाले वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। यानी कि जब कोई व्यापारी अपने ही राज्य के अन्य व्यापारी से कोई सामान खरीदता है या फिर सेवा हासिल करता है, तो उसे ऐसा करने के लिए राज्य सरकार को SGST देना पड़ता है।
  3. इंटीग्रेटेड जीएसटी (IGST) – CGST और SGST के संयोजन से IGST तैयार होता है। इस तरह का टैक्स उस समय लगाया जाता है, जब दो अलग-अलग राज्यों के व्यापारियों के बीच वस्तु और सेवा से संबंधित कोई डील की जाती है। इस तरह का टैक्स व्यापारी सिर्फ केंद्र सरकार को देते हैं। लेकिन IGST को भी दो भागों में बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा रखा जाता है, वही इसका दूसरा हिस्सा राज्य सरकारों द्वारा रखा जाता है। लेकिन आईजीएसटी टैक्स को रखने का मूल अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास होता है।

यह तो रहे जीएसटी के प्रमुख प्रकार, इसके अलावा भी जीएसटी का एक प्रकार है जिसे सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बनाया गया है। इस जीएसटी का नाम है केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा कर (UTGST) है। इस तरह का जीएसटी देश में मौजूद केंद्र शासित प्रदेशों जैसे कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दमन द्वीप, चंडीगढ़, लक्षद्वीप आदि पर लगाया जाता है।

जीएसटी की क्या आवश्यकता है?

जैसा कि आप जानते हैं टैक्स सिस्टम सामान के बनने, उसके सप्लाई होने तथा रिटेल में बिकने पर लगाया जाता है। पहले जीएसटी के साथ यह समस्या थी कि हर राज्य में सामान पर लगने वाले टैक्स हो कभी घटाया तो कभी बढ़ाया जाता था।

ऐसे में अब पुराने टैक्स के बजाय जीएसटी सामानों और सेवाओं पर लगाया जाता है, तो इसकी दरें एक समान रहती हैं। वैसे तो इससे जनता को कोई डायरेक्ट लाभ नहीं पहुंचेगा, लेकिन जो लोग व्यापार करते हैं उन्हें और साथ ही सरकार को भी टैक्स को कैलकुलेट करने में आसानी रहेगी।

जीएसटी का पंजीकरण

वर्तमान समय में व्यवसाय चलाने के लिए जीएसटी का पंजीकरण करना जरूरी है। जीएसटी पंजीकरण के लिए फोटो, व्यापार स्थान का सबूत, बैंक खाते का विवरण और एक फॉर्म भरने की आवश्यकता होती है। जो व्यक्ति जीएसटी का पंजीकरण नहीं करता, इसका भुगतान नहीं करता उस पर जुर्माना लगाया जाता है।

जीएसटी के लाभ

जीएसटी के कई लाभ हैं। यह लाभ व्यापारियों, जनता और राज्य व केंद्र सरकारों के लिए अलग-अलग हैं। लेकिन एक दृष्टि में देखा जाए तो जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ राज्य और केंद्र सरकारों को होता है।

  1. व्यापारियों के लिए – व्यापारी और निर्माताओं के लिए जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें टैक्स की दरें समान होती है जिससे प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होती है।
  2. राज्य और केंद्र सरकार के लिए – विभिन्न राज्य और केंद्र सरकारों के लिए जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि उन्हें टैक्स को कैलकुलेट करने में आसानी होती है। उन्हें बेहतर रेवेन्यू भी मिलता है।
  3. उपभोक्ता के लिए – उपभोक्ता के लिए जीएसटी का कोई डायरेक्ट लाभ है। हालांकि अब उपभोक्ता को एक से ज्यादा टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

जीएसटी का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि जब पहले जब टैक्स लगाए जाते थे, तब कई बार लोग और व्यापारी इस टैक्स की चोरी करते थे। लेकिन जीएसटी के आ जाने के बाद टैक्स की चोरी की स्थिति कम देखने को मिलती है। इसके साथ ही अब प्रत्येक व्यापारी को जीएसटी के लिए पंजीकरण करवाना जरूरी होता है।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा जीएसटी पर निबंध (Essay on GST In Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।

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