आज की जरूरत
हम सबकी जरूरत है आज
सभ्य समाज,
विकसित राष्ट्र,
बेहतर तकनीक की।
जन जन तक शिक्षा पहुँचे,
रोजगार हो,
शिशु मृत्यु रुके
माँ बाप का सम्मान
वृद्धाश्रम से मुक्ति
भेदभाव, असभ्यता का
नामोनिशान मिटे
यही आज की जरूरत है।
बहन बेटियों को
भयमुक्त माहौल मिले,
राजनीतिक चोंचलेबाजी
खत्म हो,
जाति धर्म मजहब का भेद मिटे,
समाज में सदभाव,
निंदा, नफरत,हिंसा से मुक्ति
सीमा पर शान्ति
पड़ोसी और पड़ोसी देश से
सौहार्दपूर्ण संबंध हो
यही आज की जरुरत है।
सबको सबके हित की चिंता हो,
बेसहारों को सहारा
भूखों को रोटी
सबके सिर पर छत हो।
सबको चिकित्सा
त्वरित भेदभाव रहित न्याय
समान अधिकार
निचले तबके को भी
ऊपर लाना
गरीबी को मिटाना
यही आज की जरूरत है।
हम सबको सुंदर, सरल
सकारात्मक,निश्छल भाव भरा
माहौल मिले,
सब अच्छा सोचे ही नहीं करें भी
यही आज की जरूरत है।
प्रेमभाव, सद्भावना को
हर ओर संदेश गूँजे
यही आज की जरूरत है।
यह भी पढ़ें:HINDI KAVITA: दिल के घाव
काश! मै प्रधानमंत्री होता
काश ! मैं देश का
प्रधानमंत्री होता
तो
पाक को आखिरी सबक सिखाता
फिर भी न मानता
तो इतिहास में रह जाता।
जाति धर्म का भेद मिटाता
आरक्षण हटाता,
हर गरीब को शिक्षा के लिए
आर्थिक सुविधा का कानून बनाता
मजहब के नाम पर
फूट डालने वालों
दंगा करने/कराने वालों को
आजीवन कैद का
कानून बनाता।
देश विरोधी बयान या कृत्य वाले कोधिक
नागरिक अधिकार छीन लेता।
हर जन प्रतिनिधि की
जवाबदेही तय करता।
जनता को चुने जन प्रतिनिधियों को
वापस बुलाने का अधिकार देता।
नाम के साथ जाति लिखना
बंद करा देता।
एक देश,एक विधान,एक संविधान
सख्ती से लागू करता।
बहन बेटियों से जो भी करता
अनाचार/अत्याचार
उसको जीवनभर जेल में
रखने का प्रावधान करता।
नकसलियों, आतंकवादियों,
उपद्रवियों को
सीधे गोली मारने का फरमान सुनाता।
पूरे देश में गौहत्या पर रोक का
कानून बनाता।
समान नागरिक संहिता और
जनसंख्या नियंत्रण बिल पास कराता।
जनता की आवाज बनता
सबके हित में काम करता,
भ्रष्टाचारियों को धन संपत्ति से
मुक्त रखने का कानून बनाता,
काश !मैं देश का प्रधानमंत्री होता।
यह भी पढ़ें: पिता :पहले और बाद
कठिन समय
जीवन है तो
अच्छा समय ही नहीं,
कठिन समय भी आयेगा ही नहीं
आया है जायेगा भी।
समय कभी रुकता नहीं
ये जगजाहिर है।
फिर कठिन समय से डरना कैसा?
जब अच्छा समय रहा नहीं
फिर कठिन समय भी
कब तक ठहर सकता है?
ये समय भी गुजर जायेगा
जाते जाते अच्छे समय के साथ
खुशियों की
खूबसूरत सौगात दे जायेगा,
कठिन समय भी
आखिर इतिहास बन जायेगा ।
यह कैसी लाचारी है
कि आनेवाले कल भविष्य
आज बाल मजदूरी कर
पिस रहा है।
यह भी पढ़ें: HINDI KAVITA: शिल्प और शिल्पकार
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
यह कविता आपको कैसी लगी ? नीचे 👇 रेटिंग देकर हमें बताइये।
Note: There is a rating embedded within this post, please visit this post to rate it.कृपया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और whatsApp पर शेयर करना न भूले 🙏 शेयर बटन नीचे दिए गए हैं । इस कविता से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख कर हमे बता सकते हैं।
Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002