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HINDI KAVITA: अब हश्र क्या

Last updated on: October 8th, 2020

अब हश्र क्या

अब हश्र क्या अंजाम क्या
अब हस्र क्या अंजाम क्या

मेरी पढ़ाई टूट न जाये,
मां ने गहने बेंच दिए।

फटा शाल था ओढ़ लिया
अंगारों पे हाथ सेंक लिए

बाप ने खेती गिरवी रख दी
अब जाने परिणाम क्या

अब हश्र क्या अंजाम क्या
अब हश्र क्या अंजाम क्या

घर से दूर बाहर रहकर
मैं सपनो को बुनता था

कोई भर्ती तो आई होगी
बड़े गौर से सुनता था

सपने सारे बिखर चुके हैं
धरती से भी मुकर चुके है

भरी थी ऊची उड़ान हमने
ये छोटा आसमान था

अब हश्र क्या अंजाम क्या
अब हश्र क्या अंजाम क्या

अब हुँकार हमारी होगी
अब मेरी भी बारी होगी

हक अपना हम छीन के लेंगे
कब तक यूँ ही दीन रहेंगे

अपनो को गले लगा लिया हमने
गैरो को सलाम क्या

अब हश्र क्या अंजाम क्या
अब हश्र क्या अंजाम क्या।

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About Author:

मेरा नाम अमिट सिद्धार्थ (माइकल) उर्फ क़लमकार M.A. यार है। आगे लाइफ में लेखक बनना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊

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