अधूरा
स्वप्न अधूरा,कर्म अधूरा , मिला तभी परिणाम अधूरा..
प्रीत अधूरी,पीर अधूरी , भरा अभी तक जख्म अधूरा…
अब तो आदत ऐसी पड़ गयी , हमको अधूरे आधेपन की…
अधरों पर मुस्कान अधूरी , गिरता नयन से अश्क़ अधूरा…
मेरे गगन में मैं ही अकेला , निकला है मेंरा चांद अधूरा…
पोखर दिल का प्रेम से भरा , खिला है फिर क्यू कमल अधूरा…
शायद मलिन नीर है मेरा , तभी न पूरी तुम आयी..
पर अब कलम थाम लो मेरी , मत लिखने दो प्रेम अधूरा…
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मेरा नाम अनुराग यादव है। मैं उन्नाव, उत्तर प्रदेश से हूॅं। हिंदी भाषा में अत्यंन्त रुचि है। हिंदी के व्याकरण एवं कविता की बारीकियों से अनभिज्ञ हूॅं। फिर भी कविता लिखने का प्रयास करता हूं। त्रुटियों के लिये क्षमाप्रार्थी हूॅं एवं आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन का आकांक्षी हूॅं। 🙏🏻😊