अनाथ
नहीं थी जरूरत मेरी तो, 
सड़क किनारे रख दिया। 
जिसको कमी थी मेरी, 
गोद मे उठाकर छत बन गया।। 
फिक्र थी जिसको मेरी, 
लावारिस से वारिस बना दिया । 
एहसान किया उसने, 
गैरों से अपना बना दिया ।। 
अपना नहीं हू, 
पर अपना बनाने की कोशिश करेंगे । 
मुझ जैसे लावारिस को  
नया जीवन दान करेंगे ।। 
कदर नहीं जिसने मेरी, 
वो भी एक पश्चताएगे। 
आने वाले कल मे, 
एक लावारिस को अपनायेगे।। 
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All HINDI KAVITA
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मेरा नाम सूरज है। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है। 🙏🏻😊
