नींव
पीढ़ियाॅं , एक अतीत…
अतीत की नींव…
नींव कि जिस पर महल बनाना था…
वांक्षित वर्तमान का…
वर्तमान जो कि ग्रसित है , अंधकार से…
अंधकार एक क्षण क्षीण हुआ…
क्षीणता , क्षणिक प्रज्वलित बाती से…
बाती बिना ईंधन के…
ईंधन ज्ञान का…
ज्ञान , जो पीढ़ियाॅं पाती हैं…
विरासत में , पीढ़ियों से…
पीढ़ियाॅं , जिन्हें पढ़ाना है इतिहास…
इतिहास , एक गौरवमयी पीढ़ी का…
एक गौरवमयी पीढ़ी के लिये…
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मेरा नाम अनुराग यादव है। मैं उन्नाव, उत्तर प्रदेश से हूॅं। हिंदी भाषा में अत्यंन्त रुचि है। हिंदी के व्याकरण एवं कविता की बारीकियों से अनभिज्ञ हूॅं। फिर भी कविता लिखने का प्रयास करता हूं। त्रुटियों के लिये क्षमाप्रार्थी हूॅं एवं आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन का आकांक्षी हूॅं। 🙏🏻😊