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HINDI KAVITA: दिया नही तुम सूर्य बनो

दिया नही तुम सूर्य बनो


दिया नही तुम सूर्य बनो
नारी हो तुम सम्मान बनो

बहुत हुआ नारा ये अब
कि बराबरी अधिकार तेरा

तुम खुद ही जीवन दायी हो
तुम स्वयं मे ही अधिकार बनो

तुम संसार कि पालनहारी हो
करुणा के संग तलवार बनो

जो तुम ममता का सागर हो
तुम स्वयं का भी श्रृंगार बनो

हाँ तुम फूलों सी नाजुक हो
पर स्वयं कि तुम ही ढाल बनो

तुम तुलसी सी पवन हो
पर स्वयं का भी अभिमान बनो

तुम घर आंगन कि खुशहाली हो
खुशियों पर स्वयं का भी अधिकार चुनो
 
दिया नही तुम सूर्य बनो
नारी हो तुम सम्मान बनो ।।

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About Author:
मेरा नाम प्रतिभा बाजपेयी है. मैं कई वर्षों से कविता और कहानियाँ लिख रही हूँ, कविता पाठ मेरा Passion है । मैं बी•एड की छात्रा हूँ और सहित्य मे मेरी गहरी रुचि है।

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