
हम हैं धरती की संतान
हम सब धरती की संतान हैं
अच्छा है, समझ है हममें,
हम है समझदार भाइयों- बहनों
हमारा क्या कहना
इसलिए तो भगवान ने हमें
बनाया साहित्यकार
धरती की भलाई करने को
हम सदा है तैयार।
हमें अब बहुत कुछ करने की ज़रूरत है
आखिर जब धरती माँ ने
अपना विशाल आँचल फैला रखा है
हमें कष्ट न हो इसीलिए
एक विशाल परिवार बना रखा है।
हमारे खाने पीने जीने के लिए
लाखों लाख जतन कर रही है।
लायक बच्चों पर धरती माँ
अब नाज़ कर रही है।
नदी, झील, झरने, नदियां
जलस्रोतों को हम
बचाने का कर रहे उत्तम प्रयास
इसलिए तो रचनाकार है
धरती माँ के बालक खास।
पेड़- पौधों से भरी रहे धरा
हर तरफ हो वृक्ष हो हरा-हरा।
प्राकृतिक संपदाओं का हो संरक्षण
खुशहाल बने सभी का जीवन
पशु – पक्षी,पेड़ पौधे, जीव जंतु
सदा के लिए हो सुरक्षित।
हमें अपनी धरती माँ की शान बढ़ानी है
सचमुच तभी तो हम ज्ञानी है
हम सब धरती की हैं संतान
हम सब है महान।
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Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002