जहरीली मधुशाला
सारे ही संसार में सबसे नाम तेरा ही है आला ओ दुनिया को डसने वाली सुन जहरीली मधुशाला
डॉक्टर नीम हकीम भी तुझ से पीछा न छुड़वा पाए,
किस कारण तू लत लग जाती नब्ज वो ना पकड़ा जाए,
पड़ गए आज सभी विष छोटे तूने परचम अपना फहरा डाला,
ओ दुनिया को डसने वाली सुन जहरीली मधुशाला।
अर्धविक्षिप्त से अपराधी बन नालों में गिरते पड़ते हैं,
तेज रफ्तार गाड़ियों से एक्सीडेंट और हत्याएं करते हैं,
होकर के नशे में चूर आबरू लूटी है नारियों के सम्मानों की,
है किया कलंकित घोटा है गला दी बली है देश के स्वभिमानों की,
अफ़सोस है देश के प्रतिनिधियों ने ही तुझको घर में है पाला,
ओ दुनिया को डसने वाली सुन जहरीली तू मधुशाला है।
खाए लीवर किडनी तूने छीने हैं लाल किये माँ की गोद सूनी,
अच्छी खासी हस्ती को भी मिला दिया तूने राख धूनी,
भरी जवानी में ही तूने कितने शरीर आग में है भूनें,
कितनों के अरमानों को ही तूने चिता जला डाला,
ओ दुनिया को डसने वाली और जहरीली मधुशाला।
जऱ जमीन जोरू और जेवर कितने तुझ पर लुटा गए,
करके मदिरापान का सेवन आगोश में तेरी समा गए,
बेच दिए बापू ने संपत्ति मां का सिंदूर उजाड़ दिया,
बसे बसाए सुंदर घर को हाय तूने बिगाड़ दिया,
पत्नी के सिंदूर की लाली देता मां बहन की गाली,
वचन दिया था जिन मां बेटी की करेगा तू रखवाली,
भरे समाज के बीच में ही तूने इज्जत उनकी लुटा डाली,
टूटी जब सांसो की डोर तो पलके भी ना फड़का पाए,
रुक गई जब हो हृदय गति तो दिल भी ना धड़का पाए,
बड़े-बड़े महलों को तूने चिता की राख बना डाला,
ओ दुनिया को डसने वाले सुन जहरीली मधुशाला।
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सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊