ओ मेरे प्रियतम
ओ मेरे प्रियतम अब तु
मुझको भी बुला ले
इश्क़ में ना अब इतना
मुझको तड़पा रे
इतनी परेशां है जिंदगी
मैं मर ना जाऊं रे
ओ मेरे प्रियतम अब तू
मुझको भी बुला ले ।।
तिल तिल ना मुझको
अब तू भी जला रे
मुहब्बत में यूं ना दिल
अब तोड़ के जा रे
ओ मेरे प्रियतम अब तु
मुझको भी बुला ले ।।
मेरी हर सांस है तुझमें
अब तो छुपी हुई रे
मेरी हर धड़कन में अब
है तू ही तो बसी रे
जरा दिल की अपने तु
यूँ नज़र तो उठा रे
ओ मेरे प्रियतम अब तु
मुझको भी बुला ले ।।
मेरे बाद हरदम सनम
आंख भरकर रोओगे
अपने दिल का दामन
आंसुओं से भिगोओगे
मैं तुझ पर ही फिदा हूँ
तु मुझको ना भुला रे
ओ मेरे प्रियतम अब तु
मुझको भी बुला ले ।।
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डॉ.राजेन्द्र सिंह”विचित्र’, असिस्टेंट प्रो.,तीर्थांकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश