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HINDI KAVITA: प्रेम वैराग्य

प्रेम वैराग्य

जिसको मैंने अपना माना
वो सब तो पराय थे

मेरे जीवन के सराय में
किराय दार बन आये थे

नित्य देख लिये थे मैंने
सुहाने सपने उन आंखों में

बड़ा मर्म था बड़ा प्यार था
उसकी मीठी बातों में

आज खलिहर हुआ दिल
किसी एक के जाने से

खोल लेता हूं अल्फाज मैं दिल के
टूटे बिखरे गाने से

अब उन राहों में न जाता
जिस राह साथ मे घूमे थे।

अब वो गाने न सुनता
जिनपे हम दोनों घूमे थे

वो गया बसंत जहाँ पे तूने
प्यार का फूल खिलाया था।

बिखर गया वो आशियाँ महल
जिसे रेत से तूने बसाया था।

ऋतू वो सुहानी याद जब आती
भीग जाता मैं रातों में

वो सच्चाई अब न दिखती
तेरी झूठी बातों मे

जीवन था मेरा खुशियो से भरा
तूने आके इसे उजाड़ दिया।

कातिलों की दुनिया मे।
तूने सारे कातिल को पछाड़ दिया।

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About Author:

मेरा नाम अमिट सिद्धार्थ (माइकल) उर्फ क़लमकार M.A. यार है। आगे लाइफ में लेखक बनना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊

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