सच झूठ
सच के टिकते रिश्ते जग में
सच की डगर अटूट,
बोलन सच लगता कड़वा लागे
मीठा लागे झूठ,
झूठ चिल्लात अटरिया से
बनकर सच खड़ा है ठूंठ,
विजय होती अंत में सच की
गांठ बांधलो खूंट,
सच को लागी पाबंदी है
झूठ को मिली है छूट,
ज्युं सच बोलन लाग्या
सम्मुख खड़ा जाए रूठ,
मीठा स्वाद है सत्य का
कड़वा है जहर घूंट,
किसी से न छल कीजियो
न ही धन किसी का लूट,
पकड़ अगर आजाओगे
सब मिलकर दैहें कूट,
जो सच्चाई पर चले तो
ईश्वर कभी न रूठ,
ज्युं थामा हाँथ झूठ का
तो किस्मत जाएगी रूठ,
सच के टिकते रिश्ते जग में
सच की डगर अटूट,
बोलन सच कड़वा लागे
मीठा लागे झूठ।
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सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊