सजना के लिए
यह सच है कि
हमारे दाम्पत्य जीवन में
सब कुछ ठीक नहीं है,
हम नदी के दो छोर हैं
उनके मन में खोट है।
वे पति धर्म से दूर हैं
पर ये भी सच है कि
उन्होंने मुझे छोड़ा है
रिश्तों को नहीं तोड़ा है।
वे भले ही शादी के बंधन की
मर्यादा /धर्म नहीं समझते,
पर इससे रिश्ते भी तो नहीं टूटते।
यह अलग बात है कि
उनके लिए अब
रिश्तों का मोल नहीं है,
पर मेरे लिया रिश्ता
कोई खेल नहीं है।
वे अपने वचन नहीं निभाते
परंतु मै अपना वचन निभाऊंगी
सात फेरों की लाज बचाऊँगी,
करवा चौथ का व्रत,उपवास कर
पत्नी धर्म निभाउंगी,
उनकी लम्बी उम्र
और अच्छे स्वास्थ्य की
सदा दुआ करूँगी,
अपनी माँग में उनके ही नाम का
सिंदूर जीते जी सजाऊँँगी,
चाँद में ही सही
उनका अक्स देखकर
करवा चौथ इस बार भी मनाऊँगी।
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
यह कविता आपको कैसी लगी ? नीचे 👇 रेटिंग देकर हमें बताइये।
Note: There is a rating embedded within this post, please visit this post to rate it.कृपया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और whatsApp पर शेयर करना न भूले 🙏 शेयर बटन नीचे दिए गए हैं । इस कविता से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख कर हमे बता सकते हैं।
Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002