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HINDI KAVITA: उदास शाम

Last updated on: October 1st, 2020

उदास शाम

जब ऑफ़िस से थका हारा घर आता हूँ
बीबी के हाथोंं एक गिलास पानी पाता हूँ

उसके बाद बच्चों को प्यार जताता हूँ
रात दुगुना दिन चौगुना खुशी पाता हूँ

उदास शाम को मै बहुत खुशी से जी पाता हूँ
मेरा परिवार मेरे हर ख़ुशी का साथी है

मै खर्चो को अच्छे से निभा पाता हूँ
इसीलिए मेरा परिवार सुकून से सो पाता है

दुःख को भी हसी हसी सह लेता है
बीबी के हर ख्वाहिशें पूरी कर पता हूँ

बच्चों को भी सबकुछ दिला देता हूँ
उदास शाम को मै बहुत खुशी से जी पाता हूँ

मेरी थकान भी अब घुटने टेक देती है
परिवार के आगे सबकुछ रेत जैसी है

मेरी सारी दुनिया मेरा परिवार ही है
अब उदास शाम को मै बहुत दूर पाता हूँ
उदास शाम को मै बहुत खुशी से जी पाता हूँ।

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About Author:

मेरा नाम निर्भय सोनी है और मैं उत्तर प्रदेश के रहने वाला हूँ। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊

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