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HINDI KAVITA: वो लाड़ली जनक की दुलारी

Last updated on: September 1st, 2020

वो लाड़ली जनक की दुलारी

वो जो दुष्टों के सन्घार का कारण बनने वाली थी
वो जो धरा पर धर्म स्थापना को पधारी थी
वो लाड्ली जनक की दुलारी थी

मिटाने कश्तीं को संसार के
जन्मी वो चिन्गारी थी
श्री हरि की वो प्राण प्रिया
धरा से जन्मी बन फुलवारी थी

नहीं झुका अहंकार मे जो
उस दशानन के झुकने की बारी थी
भृष्ट हुई बुद्धि तब उसकी
जानकी की झलक बहुत ही न्यारी थी

हुआ था शंखनाद धर्म स्थापना को
मिटाने अधर्म को धरा से
स्वयं श्री हरि ने कमान संभाली थी
रुक गया था काल का पहिया भी

अधर्म के सन्घार संग
श्री रामचरित मानस 
सृष्टि को मिलने वाली थी ।

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About Author:
मेरा नाम प्रतिभा बाजपेयी है. मैं कई वर्षों से कविता और कहानियाँ लिख रही हूँ, कविता पाठ मेरा Passion है । मैं बी•एड की छात्रा हूँ और सहित्य मे मेरी गहरी रुचि है।

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