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HINDI KAVITA: जिंदगी के मायने

जिंदगी के मायने

शहर को चला तो कोई साथ आया नहीं
पैर का साथी नहीं, सर का साया नहीं,
शहर महफूज करने मै गांव से चला,
घर से निकला तो कुछ खाया नहीं,
शहर को चला तो कोई साथ आया नहीं।

रास्ते देख कर मै पथराया नहीं,
आँखे थक गई शहर अभी पहुंचा नहीं,
जैसे ही शहर पहुंचा दर – दर भटक रहा,
याद घर की आई अभी कुछ कमाया नहीं,
शहर को चला तो कोई साथ आया नहीं।।

काम मिला तो मिला रास आया ही नहीं,
करना गुजारा था कुछ बोला ही नहीं,
ऊंट के मुँह में जीरा जितना पगार पर,
बीबी – बच्चों की खातिर जीना छोड़ा ही नहीं,
शहर को चला तो कोई साथ आया नहीं।

जिंदगी के मायने भी बहुत ही अलग है,
परिवार वाले साथ होकर भी अलग है,
खुशियाँ बाटने की खातिर पसीना बहा देता,
गांव मेरा पास नहीं शहर ये भी अलग है,
शहर को चला तो कोई साथ आया नहीं।।

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About Author:


मेरा नाम निर्भय सोनी है और मैं उत्तर प्रदेश के रहने वाला हूँ। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊

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