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HINDI KAVITA: रावण नहीं दरिन्दों को जलाओ

🙏🏼रावण नहीं दरिन्दों को जलाओ🙏🏼

सत्ययुग कि बात सत्ययुग पर छौडौ,
कलयुग है भाई रावण नही दरिन्दों को पकडो,

छुआ नही कभी माँ सीता को उसे हम हर वर्ष जलाते हैं,
फिर नजाने क्यों बलात्कारी को सजा न दे पाते हैं,,

अंहकार ने रावण को अपने स्वभाव से भटकाया था,
मनुष्य वो भी था पर हवस के कारण कभी हाथ नही लगाया था,,

जिन्होंने बच्ची से भुडी नारी तक जुर्म कर डाला है,
फिर भी न जाने क्यों उस पर को अटूट फेसला आया है,

ऊस जलने वाले रावण का एक सवाल है,
मुझे छोडो,क्या बलात्कारीयौ को जलाने की औकाद है,

मेने माँ सीता को रखा अशोक वाटिकाऔ मै सुरक्षित,,
तुम बहन बेटी भी घर पर नहीं रख पाऔगे,,,

बहन बेटी भी घर पर नहीं रख पाओगे

(विजय दशमी कि शुभकामनाएं)

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Author:

चन्द्र प्रकाश रेगर (चन्दु भाई), नैनपुरिया
पो., नमाना नाथद्वारा, राजसमदं

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