Last updated on: November 1st, 2020
सौगात
चिंता छोड़ो
प्रसन्न रहो,
दुःखों से घबराना कैसा?
सुख के दिन गये तो क्या?
दुःख की रात भी
चली ही जायेगी,
जाते हुए खुशियों की
सौगात छोड़ जायेगी।
जीवन में फिर
बहार आएगी।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002