माँ महागौरी
माँ जगदम्बे का अष्टम रूप
माँ महागौरी कहलाये,
श्वेत वस्त्र आभूषण से अलंकृत
माँ श्वेतांबरा भी कहाये।
चार भुजाओं वाली मैय्या
त्रिशूल डमरु संग सुहाए,
शंख, चंद्र, कुंद की महिमा
माँ के मन को भाये।
वृषभ वाहन धारिणी मैय्या
वृषारूढ़ा भी कहलाये,
न्यायप्रिय और शांत मुद्रा माँ की
मन को बहुत रिझाये।
माँ अन्नपूर्णा रूप में भी
माँ को पूजा जाये,
अमोघ फल दायिनी मैय्या
आठ वर्ष की आयु पाये।
विपरीत परिस्थिति हो कितनी
तनिक न चिंता करिए,
धैर्य करो धारण जीवन में
ये ही संदेश बताए।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002