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HINDI KAVITA: संस्कार

संस्कार

माँ-बाप से मर्यादा सीखे,सीखे सब संस्कार,
घर से मान-सम्मान सीखे,सिखाता परिवार।

लाज़,शर्म हो दिल मे,वो जीते सबका मन,
संस्कृति,संस्कार मानव का,है बहुमूल्य रत्न।

सिद्धांतो को सँजोय रखो,अपनाने हमें असूल,
बीन संस्कार जीवन ऐसे,जैसे बीन काँटों फूल।

मर्यादा जिसने अपनाया,वो भक्त भगवान का,
बगैर संस्कार कैसा प्राणी,है वो रूप शैतान का।

बुजुर्गों की देन है ये,रखना इसको सम्भाल,
संस्कारों बीन नीरस सब,ये कहे “बैनीवाल”।

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Author:

मेरा नाम “विकाश बैनीवाल” है,
मै राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गाँव का निवासी हूँ 🙏🙏

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