प्रार्थना
हे प्रभु! नमन मेरा स्वीकार करें
इस अज्ञानी का भी उद्धार करें ।
तेरी पूजा आराधना का
कुछ ज्ञान नहीं मुझे,
बस शीश झुकाना आता है
बस इतने से ही स्वीकार करो।
न मैं जानू पूजा आरती
न कर पाऊं वंदन,
बस आता है प्रभु मुझको
चरणों में तेरे सिर झुका कर
करता हूं अभिनंदन ।
स्वीकार करो हे प्रभु मेरा
शत शत शत वंदन ,
शीश झुका चरणों में तेरे
शत-शत करता रहूं अभिनंदन।
बस इतना ही आता मुझको
शेष नहीं है ज्ञान,
बस इतनी सी कृपा करो प्रभु
नित करता रहूँ नमन वंदन।
Read Also:
हिंदी कविता: गुरु महिमा
हिंदी कविता: सच है
हिंदी कविता: माँ
हिंदी कविता: महफ़िल महफ़िल सहरा सहरा
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
Note: There is a rating embedded within this post, please visit this post to rate it.About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002