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केरल का इतिहास और रोचक तथ्य | Kerala History and Interesting Facts in Hindi
केरल दक्षिण में स्थित भारत का एक राज्य है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या की दृष्टि से यह भारत का 13वां सबसे बड़ा राज्य है। इस राज्य को 14 जिलों में बांटा गया है। केरल का तिरुवनंतपुरम इसका सबसे बड़ा शहर होने के साथ ही इसकी राजधानी भी है। प्राचीन समय में केरल को चेरलम नाम से जाना जाता था। दरअसल यहां पर चेरा राजाओं का शासन था जब पुराने विदेशी यायावर यहां आए तो उन्होंने इसे मालाबार नाम से भी पुकारा।
केरल का इतिहास
बीसवीं शताब्दी की शुरुआत के दौरान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में केरल दो प्रांतीय राज्यों में विभाजित था। जिनमें से एक त्रावण कोर राज्य और दूसरा था कोची साम्राज्य। साल 1949 में इन दोनों राज्यों को मिलाकर थिरु-कोच्ची नामक राज्य बनाया गया। ब्रिटिश भारत में केरल का उत्तरी मालाबार क्षेत्र मद्रास प्रांत का भाग था जिसे आजादी के बाद मद्रास राज्य (चेन्नई) का भाग बना दिया गया। साल 1956 में राज्य पुनर्गठन एक्ट में मद्रास राज्य के मालाबार जिले थिरु-कोच्ची राज्य, कासरगोड तालुका तथा दक्षिण कनारा को मिलाकर केरल राज्य का निर्माण कर दिया गया। मौजूदा समय में हर साल 1 नवंबर को केरल पिरवी दिवस (केरल का जन्मदिन) के रूप में मनाया जाता है, इसे मलयालम दिवस भी कहा जाता है।
केरल के जिले
केरल में कुल 14 जिले हैं। इसका सबसे जनसंख्या वाला जिला मल्लप्पुरम है। जिसकी जनसंख्या साल 2011 की जनगणना के मुताबिक 33,406,061 है। इसके साथ ही मल्लप्पुरम सबसे ज्यादा विकास करने वाला जिला भी है। वहीं केरल का सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला कन्नूर है। यदि क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो पलक्कड़ जिला सबसे बड़ा जिला है। इसका क्षेत्रफल 4,480 वर्ग किलोमीटर है। इसके अलावा केरल के गांवों की संख्या 1,553 है।
केरल के प्रमुख पर्यटन स्थल
केरल समुद्र तट पर स्थित खूबसूरत राज्य हैं। इस वजह से यह भारत में एक प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक भी है। साल भर लाखों सैलानी यहां घूमने आते हैं। यदि आप भी केरल घूमने का मन बना रहे हैं तो हम आपको केरल के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताएंगे जहां जाकर आप उनके खूबसूरत नजारों का आनंद ले सकते हैं।
- अल्लेप्पी
यह केरल का प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसे पूर्व का वैनिस भी कहा जाता है। यहां आप पानी के ऊपर बोटिंग भी कर सकते हैं। यह जगह चारों तरफ से नारियल के पेड़ों से घिरी हुई है जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं। यहां बोट रेस भी की जाती है जो कि यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय है।
- वायनाड
मलयालम में वायनाड का मतलब होता है धान के खेतों की भूमि। केरल का वायनाड सबसे ज्यादा हरियाली वाला प्रदेश है। यदि आप प्रकृति प्रेमी है तो यह जगह आपको जरूर पसंद आएगी।
- थेक्कड़ी
यह पर्वतीय स्थल है जो कि इडुक्की जिले में स्थित है। इसे लोग पेरियार वन्यजीव अभ्यारण के नाम से भी जानते हैं। यह अभ्यारण 200 से अधिक जानवरों और पक्षियों का निवास स्थान है। वैसे तो यहां पर मुख्यत: हाथी पाए जाते हैं लेकिन इसके साथ ही आपको बाघ, जंगली, बिल्ली, सांभर, नीलगिरी लंगूर आदि भी देखने को मिलेंगे।
- श्री पदमनाभास्वामी मंदिर
यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। दरअसल यह भगवान विष्णु का मंदिर है जहां पर आपको मूर्तियां और उत्तम श्रेणी की वास्तुकला पूरे मंदिर में देखने को मिलेगी। इस जगह पर सबसे ज्यादा भक्त विशेष त्योहारों के दौरान आते हैं।
केरल की भाषा
केरल की मुख्य भाषा मलयालम है। यह भाषा द्रविड़ परिवार की भाषाओं में से एक मानी जाती है। हालांकि मलयालम भाषा की व्युत्पत्ति के बारे में कई मत प्रचलित हैं। एक मत यह मानता है कि मलयालम आदि द्रविड़ भाषा से स्वतंत्र विकसित हुई है। जबकि दूसरा मत यह मानता है कि मलयालम तमिल से उत्पादित भाषा है। हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि तमिल एवं संस्कृत दोनों तरह की भाषाओं से मलयालम जुड़ा हुआ है।
वैसे तो मलयालम ही केरल की प्रमुख भाषा है। लेकिन इस भाषा के अलावा भी केरल में कई अन्य भाषाएं बोली जाती हैं। केरल में प्रमुख भाषाओं में दूसरे नंबर पर अंग्रेजी भाषा आती है जिस तरह मलयालम में शिक्षा दी जाती है उसी तरह अंग्रेजी भी शिक्षा प्रमुख माध्यम है। यहां पर तमिल और कन्नड़ भाषाएं भी कुछ लोगों द्वारा बोली जाती है। वहीं केरल में आदिवासी भाषाएं, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, गुजराती, मराठी, कोकणी, तुलु, उर्दू और पंजाबी भी बोली जाती हैं।
केरल का खानपान
केरल में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन का सेवन किया जाता है। वही यहां पर सबसे ज्यादा सी फूड्स (Sea Food) खाया जाता है। यहां का मुख्य भोजन चावल है। चावल से बने कई तरह के व्यंजन भी यहां खाए जाते हैं जिनमें इडली, डोसा, सांभर वडा, उत्तपम, भात शामिल है। यहां के शाकाहारी व्यंजनों में अप्पम, पुट्टू और कड़ाला करी, ईला सादा आदि शामिल है। वहीं मांसाहारी में झींगा करी, नादान बीफ फ्राई, फिश मोली आदि शामिल है।
केरल की वेशभूषा
केरल में मुंडू नामक परिधान महिलाएं और पुरुष दोनों ही पहनते हैं। यह एक तरह का कमर से पैरों तक धारण किया जाने वाला वस्त्र होता है जो सफेद रंग का होता है। इसे पुरुष शर्ट और टीशर्ट के साथ पहनते हैं। खुशी के मौके पर पुरुष मुंडू और जब्बा पहनते हैं। वही यहां महिलाएं मुख्यतः साड़ी पहनती हैं। कभी-कभी महिलाएं मुंडू और ब्लाउज या मुंडम नेरियाथम, सलवार कुर्ती पहनती है।
केरल का धर्म
केरल में ज्यादातर जनसंख्या हिंदू धर्म की है और इसके बाद बारी आती है इस्लाम और क्रिश्चियन धर्म की। केरल के मलप्पुरम जिले में मुस्लिम लोगों की संख्या ज्यादा है। वही यहां पर सर्वाधिक ईसाई समुदाय के लोग भी रहते हैं।
केरल के कुछ प्रमुख त्योहार
केरल में अलग-अलग त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं जो कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। वैसे तो आमतौर पर जब केरल के त्योहारों की बात आती है तो सबसे पहले ओणम की ही चर्चा शुरू हो जाती है। लेकिन इसके अंदर भी केरल में कई प्रसिद्ध उत्सव मनाए जाते हैं। उन सबके बारे में हम आपको बताएंगे तो आइए जानते हैं:-
- त्रिचूर पुरम त्योहार
केरल में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख त्योहारों में त्रिचुर पूरम त्योहार का नाम आता है। इस त्योहार को वडक्कू नाथन मंदिर में मनाया जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है जो कि 36 घंटे तक चलती है। पिछले 200 सालों से यह त्योहार अप्रैल महीने में मनाया जाता रहा है। इस दिन लोग अपने स्थानीय और पारंपरिक वेशभूषाओं को पहनते हैं तथा आतिशबाजी करते हैं। यहां पर हाथी परेड भी आयोजित की जाती है जिसमें सैलानी दूर-दूर से आते हैं।
- केरला बोट उत्सव
केरला बोट उत्सव काफी प्रसिद्ध है। इस उत्सव में नौकाओं की दौड़ आयोजित की जाती है जिसे देखने के लिए भारत के अलग-अलग जगहों से लोग आते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बोट उत्सव में विदेशों से भी कई सैलानी आते हैं। यह उत्सव जुलाई से सितंबर के बीच मनाया जाता है। इस उत्सव को नेहरू बोट रेस भी कहा जाता है।
- कोडुंगल्लूर भरणी उत्सव
यह त्योहार मार्च व अप्रैल के बीच मनाया जाता है यह 3 से 4 दिनों तक मनाया जाता है तथा इतने दिनों में यहां पर अलग-अलग जगहों पर मेले आयोजित किए जाते हैं। इस त्योहार में मुख्यतः केरल के त्रिशूर शहर में मौजूद मंदिरों में एक दारिका नामक दानाव पर भद्रकाली की जीत का जश्न मनाया जाता है।
केरल की संगीत और नृत्य कला
केरल के संगीत और नृत्य कला कि अपनी एक विशिष्ट पहचान है। यहां पर आपको शास्त्रीय संगीत और मलयालम साहित्य का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। केरल में कथकली नृत्य संगीत, आधुनिक व वर्तमान के फिल्म संगीत, पाश्चात्य देशों का पॉप और लोकगीत प्रचलन में हैं। यहां पर संगीत के उपकरणों में मड्डालम, थिमीला, इलाथलम आदि उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है।
यहां नृत्य के प्रमुख प्रकारों में मोहिनीअट्टम,थेय्यम,ओट्टमथुल्लाल आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा केरल का प्रमुख पारंपरिक नृत्य कथकली है।
केरल से जुड़े हुए कुछ सवाल-जवाब
Ques: केरल में कितनी नदियाँ हैं?/How many rivers in Kerala?
Ans: केरल में कुल 44 नदियाँ हैं, जिनमे 41 पश्चिम की ओर और 3 पूर्व की ओर बहती हैं।
Ques: केरल बैंगलोर से कितनी दूर है?/How far is Kerala from Bangalore?
Ans: केरल से बैंगलोर की दूरी 460 किलोमीटर के आस-पास है। बैंगलोर से केरल सड़क मार्ग, रेलवे मार्ग और हवाई मार्ग से आसानी से पंहुचा जा सकता है।
Ques: केरल में क्या प्रसिद्ध है?/What is famous in Kerala?
Ans: केरल का प्राकृतिक सौंदर्य, हाउसबोट, समुद्री किनारे, अद्वितीय वास्तुकला, पद्मनाभ स्वामी मंदिर और भी अनेक स्थल लोगों का मन मोह लेते हैं।
Ques: केरल में सबसे अच्छी जगह कौन सी है?/Which is the best place in Kerala?
Ans: कोच्चि, मुन्नार, अलाप्पुझा, तिरुवनन्तपुरम यह सब केरल के प्रसिद्ध शहर और दार्शनिक स्थल है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना केरल का इतिहास और रोचक तथ्य (Kerala history and interesting facts in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।