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History of Meghalaya & Interesting Facts in Hindi | मेघालय का इतिहास और रोचक तथ्य
मेघालय का अर्थ होता है मेघों का आलय, यानी कि बादलों का घर। मेघालय को यह नाम डॉ. एस पी चटर्जी ने दिया जो कि कोलकाता विश्वविद्यालय के भूगोल के प्राध्यापक थे। इसके अलावा मेघालय की राजधानी का नाम शिलांग है जो कि एक पर्वतीय स्थल है। यदि आप मेघालय से जुड़ी इसी तरह की कुछ रोचक जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें।
मेघालय की भौगोलिक स्थिति (Geographical Location of Meghalaya)
मेघालय का क्षेत्रफल 22,429 वर्ग किलोमीटर है। इसके दक्षिण में बांग्लादेश तथा उत्तर में ब्रह्मपुत्र घाटी है। यह भारत के सात बहनों कहे जाने वाले राज्य में से एक है। मेघालय का पूर्वी और मध्य भाग पठारी क्षेत्र है यहां आपको कई पहाड़ और पठार देखने को मिलेंगे। इसके अलावा यहां पर मैदान, नदी घाटियां भी है। मेघालय के दक्षिणी इलाके में गहरे गड्ढे तथा खड़ी ढलाने मौजूद हैं।
मेघालय का इतिहास (History of Meghalaya)
मेघालय का इतिहास यहां की तीन प्रमुख जनजातियों, खासी और गारो के इर्द-गिर्द घूमती है। यह जनजातियां यहां एक लंबे समय से निवास कर रही हैं। 1965 में जब असम पर अंग्रेजों ने अधिकार किया था तब मेघालय भी इसी से जुड़ा हुआ था।
लेकिन 1954 में यहां के निवासियों ने एक अलग राज्य बनाने की मांग उठाई। लेकिन इस मांग को राज्य पुनर्गठन आयोग ने अस्वीकृत कर दिया। जिसके बाद 1960 में यहां की जनजातियों ने ऑल पार्टी हिल लीडर्स का गठन किया। शांतिपूर्ण चले इस आंदोलन की वजह से भारत सरकार ने 1968 में मेघालय को असम का हिस्सा रहते हुए एक स्वायत्तशासी प्रदेश का दर्जा दे दिया। लेकिन एक पूर्ण राज्य का दर्जा इसे 21 जनवरी 1972 को मिला।
मेघालय के जिले (Districts of Meghalaya)
शुरुआत में मेघालय में 7 जिले थे लेकिन वक़्त के साथ इसमें जिलों की संख्या बढ़ाई गई और अब वर्तमान में मेघालय में कुल 11 जिले हैं। इसमें सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला जिला पूर्वी खासी हिल्स है। जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला पश्चिमी खासी हिल्स। साक्षरता की दृष्टि से पूर्वी खासी हिल्स सबसे आगे है। इसकी साक्षरता दर 84.15 है। मेघालय के कुल गांव की संख्या 6,861 है।
मेघालय की सीमाएं भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश की सीमा को छूती है। इसके अलावा इसकी सीमाएं असम व त्रिपुरा के साथ भी मिलती हैं।
मेघालय का परिवहन (Transport of Meghalaya)
मेघालय की कच्ची व पक्की सड़कों की कुल लंबाई 7,977.98 KM है। इस राज्य से जुड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या 6 है। यहां की सड़कों को राज्य के ही लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार किया गया है।
इसके अलावा मेघालय में सिर्फ एक ही हवाई अड्डा है जोकि उमरोई में है। शिलांग से इस हवाई अड्डे की दूरी 35 किलोमीटर है।
मेघालय की जनजातियां (Tribes of Meghalaya)
मेघालय में वैसे तो कई जनजातियां निवास करती हैं। लेकिन यहां पर मुख्य रूप से तीन जनजातियां प्रमुख हैं जिनका नाम है खासी, गारो और जयंतिया। मेघालय की खासी जनजाति की जनसंख्या करीब 9 लाख है। यह जनजाति सिर्फ मेघालय में ही नहीं बल्कि असम, मणिपुर व पश्चिम बंगाल में निवास करती हैं। यह लोग झूम खेती करके अपना गुजर-बसर करते हैं।
खासी जनजाति की यह विशेषता है कि यहां पर शादी के पश्चात लड़कियां विदा नहीं होती बल्कि यहां शादी के बाद दूल्हा अपनी ससुराल में ही रहता है। इन जनजातियों के अलावा यहां पर हजोग व तीवा जनजाति भी रहते हैं।
मेघालय का लोक नृत्य (Folk Dance of Meghalaya)
मेघालय का लोक नृत्य यहां के प्रमुख जनजातियों द्वारा किया जाता है यहां के प्रसिद्ध नृत्य में लाहो, शाद सुक मिनसेइम, डेरोगेटा आदि प्रमुख लोक नृत्य है।
मेघालय के त्यौहार (Festivals of Meghalaya)
मेघालय अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के साथ विविधताओं से भरा हुआ है। यहां से जुड़े ज्यादातर त्यौहार यहां रहने वाले जनजातीय समुदाय से संबंधित है। मेघालय का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार ‘का पांबलांग-नोंगकर्म’। यह त्यौहार ‘नोंगक्रेम नृत्य’ भी कहा जाता है। 5 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाने वाला यह त्यौहार हर साल मेघालय के शिलांग से 11 किलोमीटर दूर स्थित एक स्मित नामक गांव में मनाया जाता है।
इसके अलावा मेघालय में शाद सुक मायनसीम नामक त्यौहार बसंत मौसम के दौरान मनाया जाता है। इस त्यौहार में यहां के लोग रंग-बिरंगे सुंदर आकर्षक परिधान पहनकर नृत्य और विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों को बजाते हैं। मेघालय की गारो जनजातियों द्वारा एक प्रमुख त्योहार मनाया जाता है। इस त्यौहार को वंगाला कहा जाता है। इस त्यौहार को यहां के गांव के लोग अपने देवता पतिगप्पा रारंगीपा के सम्मान में मनाते हैं।
इसके अलावा भी मेघालय में कई अन्य त्यौहार भी मनाए जाते हैं, इनमें लाहू, उमसन नोंगखराई, वंगाला आदि प्रमुख है।
मेघालय की वेशभूषा (Traditional Attire of Meghalaya)
किसी भी प्रदेश की पहचान का परिचायक वहां की वेशभूषा, रस्म, रीति-रिवाज और संस्कृति होती है। मेघालय राज्य में लोगों का पहनावा काफी आकर्षक है। यहां की महिलाएं पारंपरिक पहनावा जिसे जेनसेन कहा जाता है, को पहनती हैं। यह कपड़ा सिला हुआ नहीं होता तथा इसे रेशम से बनाया जाता है। इसका कपड़े को शरीर के चारों ओर लपेटा जाता है। इसके अलावा महिलाएं एंडी नामक कपड़ा पहनती है। यह भी रेशम से ही बना हुआ होता है।
यहां की विभिन्न जनजातियां के वस्त्रों में भी भिन्नता होती है। यहां पर रहने वाली गारो जनजाति की लड़कियां व महिलाएं ईकिंग नामक कपड़ा पहनती हैं। इसे मुख्यता यहां की ग्रामीण महिलाएं पहनती हैं। इस कपड़े को कमर के चारों ओर पहना जाता है। जब गारो जनजाति के लोग भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाते हैं तब वह वह बो लंबे नामक कपड़ा पहनते हैं।
इसके अलावा यहां की महिलाएं डाकमंडा नामक कपड़ा पहनती हैं जो कि एक नंगी नुमा कपड़ा होता है और इसे ब्लाउज के साथ पहना जाता है। गारो जनजाति के पुरूष लंगोटी धारण करते हैं जबकि खासी जनजाति के पुरुष अपनी कमर को चारों तरफ से एक कपड़े से लपेटते है और सर पर एक पगड़ी धारण करते हैं।
मेघालय का खानपान (Traditional Food of of Meghalaya)
मेघालय की विभिन्न जनजातियों के खानपान में भी अंतर देखा जाता है। हालांकि इन सभी जनजातीय लोगों का प्रिय भोजन मांसाहार ही है। यहां के लोग गाय, मुर्गी, सूअर व मछली जैसे मांसाहार खाना पसंद करते हैं। यहां का मुख्य भोजन चावल और रोटी है। इसके अलावा यहां के लोग सभी तरह के मौसमी सब्जियां, हरे बांस व स्थानीय सब्जियों को खाना पसंद करते हैं।
मेघालय के खासी समुदाय के लोग जाडो नामक एक लोकप्रिय पकवान खाना काफी पसंद करते हैं। यह पकवान चावल और मीट से बनाया जाता है इसका रंग पीला या लाल होता है। इसके अलावा यहां के लोगों का दूसरा सबसे प्रसिद्ध भोजन है, डोह खलीह इस व्यंजन को मांस और विभिन्न मसालों और सब्जियों के साथ बनाया जाता है।
इसके अलावा मेघालय में डोह नियांग, नाखम बोरिंग बेलती चटनी,नाखम बीची, गालडा नाखम, खापा, वाक जो करपा, तुंग्रीम्बाई, कयात, मिनिल सोंगा आदि प्रसिद्ध व्यंजन है।
मेघालय के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major Tourist Places of Meghalaya)
- चेरापूंजी
मेघालय में चेरापूंजी एक काफी शानदार जगह है इसीलिए यह प्रमुख पर्यटन स्थल भी है क्योंकि यहां की जलवायु, सुंदरता लोगों को आकर्षित करती है। चेरापूंजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में नोहकलिकाई फॉल्स, थेलेन फॉल्स, नोहशंगथियांग फॉल्स पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
- तुरा शहर
तुरा शहर, वेस्ट गारो हिल्स जिले की एक नगर पालिका है। यहां की सबसे प्रसिद्ध जगह नोकेरेक नेशनल पार्क है। जो कि तुरा शहर से 12 KM की दूरी पर है।
- शिलांग
शिलांग मेघालय की राजधानी होने के साथ ही यहां का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। यह देश का पहला ऐसा हिल स्टेशन है जो काफी प्रसिद्ध है। दरअसल, शिलांग का यह नाम यहां के देवता U-Shyllong के नाम पर रखा गया है। यह स्टेशन समुद्र तल से 1491 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। शिलांग की खूबसूरती की वजह से इसे पूर्व का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है।
यह थी मेघालय राज्य से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां। भारत के अलग-अलग राज्यों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमारे अन्य लेखों को जरूर पढ़ें।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना मेघालय का इतिहास और रोचक तथ्य (Meghalaya History and Interesting Facts in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।