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Poetry on Dhanteras in Hindi

Last updated on: November 3rd, 2021

Poetry on Dhanteras in Hindi | धनतेरस पर कविता | Hindi Kavita | Hindi Poem

Poetry on Dhanteras in Hindi | धनतेरस पर कविता

आइए! धनकुबेर के नाम
एक दीप जलाते है,
कुबेर जी से आशीष पाते हैं।
धनतेरस से ही दीवाली पर्व की
शुरुआत होती है।

आज हम धन कुबेर जी को मनाते हैं
धन धान्य से भरपूर होने का
सब वरदान चाहते हैं।
आज इस बार हम सब
अपने साथ साथ
दीन हीन असहायों के लिए भी
धन दौलत सुख माँगते हैं।

हे प्रभु! मुझ पर अपनी कृपा बरसाओ
मगर उससे पहले
उन पर भी कृपा करो,
जो गरीब, लाचार असहाय हैं,
उन्हें भी खुशहाल करो
उनकी बदहाली पर तरस खायो,
जन जन पर अपनी
बहुत कृपा बरसाओ।

बस मेरी इतनी सी विनती है
भूख,बेबसी, लाचारी मिटाओ
मेरी पूजा का बस इतना फल दे दो
हर चेहरे पर मुस्कान और
हर झोली में धन भर दो।

धनतेरस पर

धनतेरस पर कुबेर जी का
जन जन पूजन करिये,
धन,धान्य से सभी अपना
भंडार भरिए।

बस इतनी विनती है आपसे
दीन, हीन,असहायों के लिए भी
थोड़ी सी विनती करिए,
किसी की झोली कुबेर की कृपा से
न रहने पाये खाली,

हर कोई मना सके
खुशियों भरी दीवाली,
सच मानिए तभी होगी सार्थक
दीपों वाली दीवाली।

दिवाली पर हिंदी कविता

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Author:

Sudhir Shrivastava

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002

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