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रविदास जयंती (16 फरवरी 2022) पर विशेष

Ravidas Jayanti Special
रविदास जयंती | Ravidas Jayanti

रविदास जयंती | Ravidas Jayanti

माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन जन्में प्रसिद्ध प्रमुख संतों में एक संत रविदास जी का जन्म काल विभिन्न विद्वानों /इतिहासकारों के अनुसार अलग अलग है। जिसके अनुसार संत रविदास का जन्म उ .प्र.के वाराणसी जिले में १३७७-१३९८ के मध्य सीर गोवर्धन गाँव में हुआ। जो श्री गुरु रविदास जी के जन्म स्थान के रूप में देश दुनियां में मशहूर है। हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा को उनका जन्मदिन मनाया जाता है।

चंद्रवंशी चंवर चमार परिवार में जूता बनाने, सुधारने और मल साम्राज्य के राजानगर के नगर सरपंच पिता संतोख दास जी और कुशल गृहिणी माता के पुत्र संत रविदास जी ने संसार में आत्मज्ञान, एकता और भाईचारे का संदेश प्रमुखता से लिया। जिसके फलस्वरूप इनकी महिमा का प्रभाव कुछ ऐसा फैला कि अनेकों राजाओं, रानियों ने शरणागत हो भक्ति मार्ग अपना लिया।

लोगों को प्रति प्रेम सिखाने वाले निर्गुण संप्रदाय के मसीहा कहे जाने वाले संत रविदास जी को उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र में भगवान की तरह पूजा जाता है, उनके गीतों को सुना और गाया जाता है।

संत जी के दादा  कालूराम ,दादी लखपति जी, गूरु पंडित शारदानंद जी, पत्नी रोना देवी और पुत्र विजय दास थे।

जगतगुरु, सतगुरु आदि नामों से पूज्य संत रविदास जी की कृपा दृष्टि से मीराबाई और अनेकानेक करोड़ों करोड़ लोगों का उद्धार हुआ।आज भी इनके अनुयायियों, इनके पूजने, मानने। वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

महान समाज सुधारक संत, ईश्वर के प्रति पूर्ण आस्था रखने वाले संत रैदास के नाम से भी पुकारे जाने वाले रविदास जी महान कवि और दर्शन शास्त्री होने के साथ धर्म जाति के बजाय मानवता के संवाहक थे। उन्हें मुसलमान बनाने के भी बहुत प्रयास किया गया ताकि उनके अनुयायियों की संख्या में मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ सके।

चर्मकार कुलीन संत जी जूते बनाने सुधारने के अपने कार्य को बड़ी खुशी, लगन और मेहनत से करते थे।

अपने गीतों के माध्यम से अपने अनुयायियों और समाज के लोगों को सामाजिक, आध्यात्मिक संदेश देने वाले संत रविदास जी की कहावतें/विचार/संदेश आज भी प्रासंगिक हैं।उनका अमिट विश्वास था-

“मन चंगा तौ कटौती में गंगा”

रैदास जी  कीअपनी रचनाओं में ब्रजभाषा का प्रयोग करने के अलावा,अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली, उर्दू और फारसी का सम्मिश्रण किया।
जीवन भर मानवता, भाईचारे का संदेश देने वाले ऐसे महान संत रविदास जी को उनकी जयंती/ रविदास नवमी पर शत शत नमन, प्रणाम।

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Author:

Sudhir Shrivastava

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा,उ.प्र.

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