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Saikhom Mirabai Chanu Biography in Hindi | साइखोम मीराबाई चानू की जीवनी
हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारत की तरफ से मशहूर वेटलिफ्टर (Weightlifter) मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल (Silver Medal) हासिल किया जिसके बाद से ही वह काफी ज्यादा चर्चा में आ गई हैं।
उन्होंने अपनी इस उपलब्धि से टोक्यो ओलंपिक में भारत का खाता खोल दिया। आपको बता दें, मीराबाई चानू एक वेटलिफ्टर है जो अब तक कई मुकाबले लड़ चूकी हैं तथा हर मुकाबले में उन्होंने सफलता हासिल की है।
ऐसे में मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) के बारे में जानने के लिए कई लोग उत्सुक है। इसलिए आज हम इस पोस्ट के ज़रिए आपको Mirabai Chanu Biography in Hindi के बारे में आपको बताएंगे।
नाम | साइखोम मीराबाई चानू |
जन्मतिथि | 8 अगस्त 1994 |
आयु (2021) | 27 वर्ष |
जन्म स्थान | मणिपुर |
निवास स्थान | असम |
पिता का नाम | साइकोहं कृति मैतेई |
माता का नाम | साइकोहं ऊँगबी तोम्बी |
खेल | वेटलिफ्टिंग |
कोच | कुंजारानी देवी |
लंबाई | 1.50 मीटर |
वजन | 49 किलो |
मीराबाई चानू का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Mirabai Chanu)
साइखोम मीराबाई चानू का जन्म मणिपुर राज्य के पूर्वी इंफाल में हुआ। साइखोम मीराबाई चानू का जन्म 8 August 1994 को हुआ। वर्तमान समय में उनकी आयु 27 वर्ष(2021) है। मीराबाई चानू एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। उनकी माताजी का नाम साइकोहं ऊँगबी तोम्बी है जो कि एक दुकानदार हैं। वहीं उनके पिता साइखोहं कृति मैतेई पी डब्ल्यू डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। वे अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं।
बचपन से ही मीराबाई चानू का लगाव वेटलिफ्टिंग में था। जब मीराबाई चानू सिर्फ 12 वर्ष की थी तभी उनकी वेटलिफ्टिंग की ताकत का पता चला। दरअसल, मीराबाई चानू के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिस वजह से वे पहाड़ों से लकड़ी बिन कर लाते और उसी से खाना पकाया करते थे। एक बार मीराबाई से 4 साल बड़े उनके भाई लकड़ियों का एक भारी गट्ठर उठाने का प्रयत्न कर रहे थे। लेकिन भारी होने के कारण से वह उसे उठा नहीं पाए। वहीं मीराबाई ने उस लकड़ी के गट्ठर को आसानी से उठा लिया।
साइखोम मीराबाई चानू की कोच का नाम (Saikhom Mirabai Chanu Coach)
साइखोम मीराबाई चानू की कोच का नाम कुंजारानी देवी है, जो कि एक वेटलिफ्टिंग खिलाड़ी हैं। कुंजरानी देवी भी मणिपुर के इंफाल से ताल्लुक रखती हैं।
साइखोम मीराबाई चानू की उपलब्धियां (Achievements of Saikhom Mirabai Chanu)
- मीराबाई चानू जब सिर्फ 11 साल की थी तभी उन्होंने स्थानीय प्रतियोगिता में Gold Medal हासिल किया।
- मीराबाई ने वर्ष 2014 में स्कॉटलैंड में आयोजित किए गए राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) में 48 KG का भार उठाया और रजत पदक अपने नाम किया।
- साल 2016 में आयोजित किए गए रियो ओलंपिक के नेशनल ट्रायल में, मीराबाई चानू ने 7 बार विश्व स्तर पर चैंपियन रह चुकी कुंजारानी देवी के 12 वर्ष के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। हालांकि, उन्होंने रियो ओलंपिक क्वालीफाई तो किया। लेकिन उन्हें कोई मेडल हासिल नहीं हुआ।
- मीराबाई चानू को साल 2016 में गुवाहाटी में आयोजित किए गए, साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल हुआ था।
- उन्होंने साल 2017 में वेटलिफ्टिंग चैंपियन में 48 किलोग्राम वजन उठाकर स्वर्ण पदक हासिल किया।
- साल 2018 में मीराबाई को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- मीराबाई चानू को वर्ष 2018 में ही भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया।
मीराबाई चानू को मिले सम्मान (Honors & Awards)
- मीराबाई चानू द्वारा साल 2018 के Commonwealth Games में Gold Medal जीतने पर, मणिपुर के मुख्यमंत्री N. Biren Singh द्वारा 15 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से नवाजा गया।
- वर्ष 2018 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से नवाज़ा गया।
- साल 2018 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजीव गांधी खेल रतन पुरस्कार से नवाजा गया।
- हाल ही में उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल हासिल कर इतिहास रच दिया जिसके बाद उन्हें मणिपुर सरकार द्वारा, मणिपुर पुलिस ने एडिशनल एसपी (स्पोर्ट्स) के पद पर तैनात करने का ऐलान किया। इसके साथ ही मणिपुर सरकार ने उन्हें एक करोड़ रुपए की राशि से सम्मानित करने का ऐलान किया।
- आपको बता दें, मीराबाई चानू ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग के जरिए सिल्वर मेडल जीतने वाली भारत की दूसरी महिला है।
वैसे तो मीराबाई चानू की जीवनी पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि वे आसानी से किसी भी मुकाबले को जीत जाती है। लेकिन असल वे इसके पीछे कड़ी मेहनत करती हैं। क्या आप जानते हैं मीराबाई चानू के जीवन में एक ऐसा कठिन वक्त भी आया था, जब सफलता न मिलने की वजह से वह हमेशा के लिए स्पोर्ट्स छोड़ना चाहती थी। वे इस बात से इतना परेशान रहने लगीं थी कि वे डिप्रेशन की शिकार हो गई थी।
उन्हें कई हफ्तों तक मनोवैज्ञानिक सेशन लेने पड़े तब जाकर वे डिप्रेशन की घातक बीमारी से उबर पाई। हालांकि, मीराबाई चानू ने कभी भी अपना आत्मविश्वास नहीं खोया। वो कहते है ना हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं। इसी तरह मीराबाई चानू ने भी टोक्यो ओलंपिक में Silver Medal जीतकर भारत का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा Saikhom Mirabai Chanu Biography in Hindi (मीराबाई चानू की जीवनी), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।