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चल निकल

चल निकल (एक क्रिकेट मैच)

सुबह का वक्त था। सारे खिलाड़ी टूर्नामेंट के लिए उत्सुक थे। होते भी क्यों न आखिर उनका आज फाइनल मैच था। जोश औऱ उत्साह से लबरेज सभी खिलाड़ियों की टोली मैदान की ओर निकल पड़ी। रास्ते भर टूर्नामेंट में कैसे perform करना है। उसी पर बात चल रही थी।

सभी अपनी अपनी हांक रहे थे। कोई कहता मैंने पिछले मैच में 43 रन नाबाद बनाये थे। उसी से मैच जीते थे। कोई कहता मैंने 3 ओवर में 15 रन देकर 4 विकेट लिए थे तो मैच मैने ही अपने पक्ष में लाकर खड़ा किया था।

सभी अपने मुँह मिठ्ठू बन गदगद हुए जा रहे थे। आखिर बोलते हंसते हुए वो क्रिकेट ग्राउंड पर पहुँच गए। कमेटी में कॉमेंट्री हो रही थी । और यह मैच किस किस गाँव में मध्य होना है। उसका अनोउंसमेन्ट हो रहा था। सभी खिलाड़ी मैदान पर पहुंच चुके थे।

एक 6 फिट का पठ्ठा चौड़ा सीना, भुजाओं में बल, सफेद वर्दी पहने सिर पर अंग्रेजी टोपी लगाये। दोनो टीम के कप्तान को मैदान की तरफ चलने का आदेश देता। दोनों कप्तान मैदान में पहुँचे। टॉस हुआ। एक पक्ष ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का। निर्णय लिया। दूसरे पक्ष ने अपनी फील्डिंग सेट की। सभी तैयार खड़े थे।

दो खिलाड़ी बल्ले को लहराते हुए। अपने कंधे की हड्डियों को चटकाते हुए मैदान में पहुँचे। मैच शुरू हुआ। ओवर की पहली गेंद फेंकी गई। उसे लेफ्ट हैंड के बल्लेबाज ने सुरक्षित खेला। और एक रन के लिए दौड़े । दोनों अपने अपने क्रीज पर सुरक्षित पहुंचे।

दूसरी गेंद फेंकी फिर एक रन लिया गया। तीसरी गेंद फेंकी अबकी दो कदम आगे निकल के गेंद उठा कर खेला।

गेंद हवा को चीरती हुई, सीमा रेखा पार अंपायर ने दोनों उंगली उठा कर छः रन होने का संकेत दिया।

बल्लेबाज की टीम ने बाहर से हल्ला मचाया। चारो ओर तालियां बज उठी। गेंदबाज झुंझला उठा। तभी टीम का कप्तान उसकी ओर आया और कुछ काना फुसी। गेंदबाज ने अगली गेंद फेंकी फिर गेंद सीमा पार 6 रन।

इसपर बल्लेबाज बाज ने गेंदबाज को बल्ले से कुछ इशारा किया। गेंदबाज यह देख कर और आग बबूला हो उठा।

अबकी पांचवी फेंकी गेंद फेंकी इस बार गेंद एक टप्पे के बाद के बाद सीधा स्टंप में जा लगी ।

गेंदबाज अपनी त्योरियां चढ़ा कर बोला। “चल निकल” बहुत मार लिहेव। बल्लेबाज पहले से ही झुंझलाया हुआ था। उसे इस शब्द ने और भी क्रोधित कर दिया। और चिल्लया क्या बोला। गेंदबाज भी किसी से खुद को कम न समझ रहा उसने भी बोल दिया “चल निकल” बोला, का कर लोगो।

दोनों में आपसी बहस शुरू हो गई। मैदान में गर्मा गर्मी का माहौल छाने लगा। अंपायर दोनों को रोकने की कोशिश करता रहा। लेकिन दोनो किसी छुट्टे सांड की तरह आपस मे लड़ झगड़ रहे थे।

तब तक बल्लेबाज की टीम भी मैदान में पहुँच चुकी थी। कोई जोर जोर से शोर मचाता हुआ आया और स्टंप उखाड़ लिया और गेंदबाज के सिर पर जोर से दे मारा। गेंदबाज वहीं बेसुध गिर पड़ा। यह देख उसके साथी भी आग बबूला हो उठे उन्होंने भी स्टम्प उखाड़ लिया।

दोनों पक्ष में युद्ध शुरू हो गया। जिस मैदान पर आप क्रिकेट मैच खेलने आये थे। आज वह रण क्षेत्र बन गया।

सभी एक दूसरे को पीट रहे थे। किसी का सिर फटा तो किसी का हाथ टूटा। अंपायर और कमेटी उन्हें छुड़ाने को दौड़े तो वो भी घायल हो गए, अपनी जान बचा कर वह वहाँ से दूर हट गए । दोनों पक्ष लहूलुहान हो चुके थे।

तभी दोनों पक्ष अपने दोस्तों और क्षेत्र के बाहुबलियों को फोन करने लगे। सभी लोग मैदान में आ धमके हाथों में लाठियां लिए।

कमर पे कट्टा लगाये मुँह में भद्दी गलियां। दोनों पक्ष के लोगो को कमेटी पुरजोर समझाने का प्रयास कर रही थी।

लेकिन सब अपने-अपने गुरुर में चूर उनकी एक न सुन रहे थे। जो लड़ाई बच्चों की थी। अब बड़ो की हो चली थी। दोनों पक्ष के लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो चुके।

नोक झोंक शुरू हुई। लड़ाई अब खूनी रंजिस में बदल चुकी थी। दोनों पक्ष एक दूसरे पर भर जोर लाठियों से प्रहार कर रहे थे। तभी किसी ने असलहा बाहर निकाल लिया। और विपक्ष पर फायर झोंक दिया।

गोलियों की आवाज पूरे इलाके गूंज उठी। दोनों पक्ष से गोलियां चल चल रही थी। जिस मैदान पर चौके छक्के पड़ने पर आईपीएल की धुन गूंजती थी। वहीं आज गोलियों की ठाय ठाय गूंज रही थी।

किसी का बेटा मरा तो किसी का भाई। मैदान में लासे बिछी हुई थी। पुलिस पहुंची दोनों पक्ष को गिरफ्तार किया।

मामले में कोर्ट ने किसी को उम्र कैद की सजा सुनाई, किसी को 20 साल की।

सभी के घर मातम छाया हुआ। किसी की माँ बिलख रही थी तो किसी की पत्नी बिधवा हुई थी। न जाने एक छोटे से शब्द ने कितने घरों को तबाह किया था। न जाने कितने मासूमो को अनाथ किया। न जाने कितनी माओ को बेसहारा किया था। अगर गेंदबाज “चल निकल” न कहता तो कितने घर उजड़ने से बच जाते।

अगर बल्लेबाज एक शब्द सहन कर लेता तो कितने बच्चे अनाथ होने से बच जाते। अगर यह क्रिकेट मैच न होता तो कितनी माएँ अपने बच्चे न खोती।

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शिक्षा:- किसी को अपशब्द न कहें, हमेशा बात सहन करना सीखो. आपकी एक चुप बहुत से घरों का चिराग बुझने से रोक लेगी।

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About Author:

मेरा नाम अमिट सिद्धार्थ (माइकल) उर्फ क़लमकार M.A. यार है। आगे लाइफ में लेखक बनना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊
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