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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध | Sound Pollution Essay | 10 Lines on Sound Pollution in Hindi

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध | Sound pollution essay in Hindi


भूमिका

हमारे पर्यावरण में जल, वायु, मिट्टी के प्रदूषण के अलावा ध्वनि प्रदूषण भी पाया जाता है। दरअसल, ध्वनि प्रदूषण हमारे आसपास के वातावरण में अत्यधिक मात्रा में शोर की वजह से होता है। यह शोर कई तरह से पैदा होता हैं जैसे गाड़ियों का शोर, मशीनों का शोर, लाउड म्यूजिक तथा भवन निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न शोर।

यही अवांछित शोर जो कि उच्च स्तर में वातावरण में फैली होती है यह मनुष्य के कानों के लिए काफी खतरनाक सिद्ध होती है। अन्य प्रदूषणों की तुलना में ध्वनि प्रदूषण को कम नहीं आंका जाना चाहिए क्योंकि यह मनुष्यों के साथ-साथ जीव-जंतुओं के लिए भी काफी हानिकारक होता है।

यह सिर्फ थल में रहने वाले प्राणियों के लिए ही नहीं बल्कि जल में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए भी काफी खतरनाक होता है क्योंकि बड़े-बड़े समुद्रों में जहां जलीय जीव-जंतु मौजूद होते हैं, वहां भी पनडुब्बी और बड़े जहाजों की वजह से कई ज्यादा शोर उत्पन्न होता है। ऐसे में समय रहते इस ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने की जरूरत है।

ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं? (What is sound pollution?)

ध्वनि प्रदूषण को लेकर विद्वानों ने अपनी-अपनी परिभाषाएं दी हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-

हटैल के अनुसार: शोर एक अवांछनीय ध्वनि है जो कि थकान बढ़ाती है और कुछ औद्योगिक परिस्थितियों में बहरेपन का कारण बनती है।

जे. टिफिन के अनुसार: शोर एक ऐसी ध्वनि है जो किसी व्यक्ति को अवांछनीय लगती है और उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।

ऐसे में हम कह सकते हैं कि किसी वस्तु द्वारा उत्पन्न वह तीव्र आवाज जो हमारे कान की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है तथा जिसे सहन करना मुश्किल हो जाता है, उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। ध्वनि को डेसिबल में मापा जाता है 40 से 45 डेसिबल की ध्वनि कर्णप्रिय मानी जाती है। जबकि 70 से 75 डेसिबल की ध्वनि को सहनीय माना जाता है।

80 डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि से मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है यदि यही ध्वनि 130 से 140 डेसीबल तक पहुंच जाती है तो उससे मनुष्य बहरा भी हो सकता है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण/स्त्रोत

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है जनसंख्या में विस्फोट क्योंकि जैसे-जैसे मनुष्य की संख्या बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे उनके द्वारा अत्यधिक मात्रा में शोर उत्पन्न किया जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण कई कारणों से उत्पन्न होता है जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-

प्राकृतिक: ध्वनि प्रदूषण प्राकृतिक कारणों से भी होता है। हालांकि प्राकृतिक ध्वनि प्रदूषण कम समय के लिए होता है और इसका मनुष्य पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। प्राकृतिक ध्वनि प्रदूषण में बादलों की गड़गड़ाहट, बादलों का फटना, तेज बारिश, बिजली का गिरना, झरनों का बहना तथा पक्षियों की चहचहाहट आदि शामिल है।

मानव निर्मित: मानवीय ध्वनि प्रदूषण से तात्पर्य उस प्रदूषण से है जो कि मनुष्य द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। जनसंख्या में वृद्धि, बढ़ता शहरीकरण तथा परिवहनों की संख्या में वृद्धि ने ध्वनि प्रदूषण की समस्या को विकराल कर दिया है। मानव की क्रियाओं से उत्पन्न शोर मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होते हैं इन्हें कई भागों में विभाजित किया जाता है जो कि निम्नलिखित है:-

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निष्कर्ष

ध्वनि प्रदूषण न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी के लोगों को जोखिम में डाल रहा हैं बल्कि भविष्य में आने वाली पीढियों का भी जीवन दाव पर लगा रहा है इसीलिए इसे जल्द से जल्द कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

अतः हम कह सकते हैं कि मनुष्य को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए ध्वनि प्रदूषण की मात्रा को कम करना होगा इसके लिए प्रत्येक मनुष्य अपने स्तर पर कदम आगे बढ़ा सकता है। पार्टियों और शादियों में उच्च स्तर पर गाने का उपयोग कम किया जाना चाहिए। इसके साथ ही बचपन से ही बच्चों को ध्वनि प्रदूषण को लेकर जागरूक करना चाहिए।

इसके लिए बच्चों के पाठ्यक्रम में ध्वनि प्रदूषण से संबंधित अध्याय जोड़ा जाना चाहिए। इसके अलावा लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न तरह के सेमिनार, वेबीनार आयोजित किए जा सकते हैं।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा ध्वनि प्रदूषण पर निबंध | Sound Pollution Essay | 10 Lines on Sound Pollution in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।

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