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सरोगेसी

Last updated on: December 15th, 2020

सरोगेसी क्या है | What is Surrogacy

सरोगेसी क्या है? What is surrogacy?
सरोगेसी के प्रकार Types of surrogacy.
सरोगेसी की प्रक्रिया Process of surrogacy.
सरोगेट मदर बनने की योग्यता Criteria to become surrogate mother.
सरोगेसी कराने की आवश्यकता Needs for surrogacy.
सरोगेसी के द्वारा माता-पिता बने कुछ अभिनेता Celebrities who became parents through surrogacy.
सरोगेसी का खर्च Cost of surrogacy.
भारत में सरोगेसी का इतिहास History of surrogacy in India.
सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020 [Surrogacy (Regulation) Bill, 2020]

आज मेडिकल साइंस ने बहुत ही तरक्की कर ली है, इन्हीं तरक्की में से एक तरक्की है सरोगेसी की सुविधा। वैसे तो अब सरोगेसी कोई नया नाम नहीं रह गया है। बहुत सारे बड़े अभिनेताओं और सेलिब्रिटी ने सरोगेसी के द्वारा संतान सुख प्राप्त किया है।

तो आइए जानते हैं कि आखिर सरोगेसी है क्या?

सरोगेसी क्या है? (What surrogacy means?)

Surrogacy meaning in Hindi/Surrogacy Hindi meaning/Surrogacy definition

सरोगेसी एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा कोई भी दंपती जो भी किसी कारणवश संतान की प्राप्ति नहीं कर पा रहा हो वह इस तकनीक के द्वारा संतान पा सकते है।

सरोगेसी एक प्रकार का एग्रीमेंट होता है जो एक दंपति और दूसरी महिला के बीच होता है। एक प्रकार से सरोगेसी का अर्थ होता है किराए की कोख

Surrogacy mother meaning in Hindi/Surrogate Mother in Hindi/what is Surrogacy mother

यानी जब कोई दंपत्ति किसी कारण वंश से संतान को जन्म न दे पा रहा हो, तो वह किसी अन्य महिला की कोख किराए पर लेकर उसके द्वारा अपने बच्चे को जन्म दे सकता है। जो महिला अपने को को किराए पर देती है उसे ‘सरोगेट मदर’ कहते हैं।

सरोगेट मदर बनने का निर्णय पूर्ण रूप से उस महिला का होता है। इस अनुबंध में दंपति और सरोगेट मदर के बीच एक अनुबंध होता है जिसमें बच्चे के जन्म तक उसकी देखरेख उसके असली माता पिता की निगरानी में होगा और बच्चे के जन्म के बाद उस पर केवल उसके माता-पिता का ही अधिकार होगा।

इस प्रक्रिया के दौरान बच्चे के माता-पिता इंटेंडेंट पेरेंट्स (Intended parents) कहलाते हैं।

सरोगेसी के प्रकार (Surrogacy Types)

सरगोशी दो प्रकार की होती है ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सेरोगेसी

ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional Surrogacy) – इस सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के अंडाणु के साथ में निषेचित किया जाता है। इस सरोगेसी में बच्चे का जेनेटिक संबंध केवल उसके पिता से होता है।

जेस्टेशनल सेरोगेसी (Gestational Surrogacy)- जेस्टेशनल सेरोगेसी में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilisation) यानी आईवीएफ के द्वारा माता पिता के शुक्राणु और अंडे निषेचित करने के बाद भ्रूण को सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करा जाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे का जेनेटिक संबंध माता एवं पिता दोनों से होता है, केवल गर्भ की कोख सरोगेट मदर की होती है।

सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया अत्यधिक योग्य चिकित्सकों के द्वारा व उनकी देख रेख में सम्पादित की जाती है।

सरोगेसी की प्रक्रिया (Process of surrogacy)

सबसे पहले महिला(सरोगेट मदर) की स्क्रीनिंग विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा की जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह बच्चे को जन्म देने के लिए सक्षम भी है या नही। अगर महिला बच्चे को जन्म देने में सक्षम है इसके पश्चात दम्पति और सरोगेट मदर के बीच लीगल एग्रीमेंट होता है।

भ्रूण स्थानांतरण से पूर्व डॉक्टर द्वारा जन्म नियंत्रण गोलियों की मदद से, सरोगेट मदर को भ्रूण के लिए तैयार किया जाता है कई बार हार्मोन स्तर बनाये रखने के लिए कुछ हार्मोन्स के इंजेक्शन भी दिए जाते है।

पूरी तरह से तैयार भ्रूण को सरोगेट मदर के गर्भाशय में डाक्टर के द्वारा स्थानांतरित किया जाता है।

सफलतापूर्वक भ्रूण के स्थानांतरण के साथ ही महिला(सरोगेट मदर) गर्भवती हो जाती है फिर समय-समय पर डॉक्टरों द्वारा भ्रूण के विकास का परीक्षण किया जाता है।

इसके लिए अलग-अलग तरह के टेस्ट व अल्ट्रासाउंड भी किये जाते है। भ्रूण स्थानांतरण से बच्चे के जन्म तक हर प्रक्रिया में दम्पति को भी शामिल रखा जाता है जिस से वह अपने आने वाली संतान के बारे व उसकी सेहत के बारे में जान सकें।

इसके पश्चात गर्भावस्था पूर्ण होते ही बच्चे का जन्म होता है, जन्म होते ही कुछ प्रक्रियाओं का पालन करना होता है और बच्चे का पूरा हक़ दम्पति को दे दिया जाता है, इसके बाद इस बच्चे पर सरोगेट मदर का कोई अधिकार नहीं रह जाता है।

सरोगेट मदर बनने की योग्यता (Criteria to become surrogate mother)

बच्चे को जन्म देने वाली माँ(सरोगेट मदर) किसी के भी दबाव में आकर इस चीज के लिए नहीं राजी होनी चाहिए। वह अपनी पूरी मर्जी से इस बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार होनी चाहिए।

सरोगेट मदर बनने वाली महिला का मेडिकल रिकॉर्ड पूरी तरह साफ होना चाहिए वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होनी चाहिए।

यदि उसके पहले भी उसने बच्चों को जन्म दिया हो तो उसके डिलीवरी में कोई कष्ट न आया हो।

बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार महिला की उम्र 21 से 40 वर्ष के बीच की होनी चाहिए।

उसे धूम्रपान और शराब जैसी बुरी आदत नहीं होनी चाहिए।

सरोगेसी कराने की आवश्यकता (Needs for surrogacy)

सरोगेसी में एक महिला किसी अन्य महिला की कोख के द्वारा अपने बच्चे को जन्म देती है। सरोगेसी के द्वारा संतान करने के बहुत सारे कारण होते हैं आइए जानें सरोगेसी करवाने के पीछे कुछ कारण-

इनफर्टिलिटी या बांझपन अगर इनफर्टिलिटी के कारण बार-बार प्रयास करने पर भी महिला गर्भवती नहीं हो पा रही है तो वह सरोगेसी के द्वारा संतान प्राप्त कर सकती हैं। आज के समय में अशुद्ध और मिलावटी चीजों के खानपान के कारण यह समस्या देखने को मिलती है।

सिंगल पेरेंट्स होना आज के समय में सिंगल पैरेंट एक आम चीज बन चुकी है, खासकर अभिनेताओं में इसका प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है। अक्सर लोग बिना विवाह के या बिना किसी पार्टनर के सिंगल ही पेरेंट् बनते हैं। सिंगल पेरेंट बनना सरोगेसी के द्वारा संभव है।

यूट्रस की कमी यह दिक्कत महिलाओं में बहुत ही कम देखी जाती है जिसमें उसके शरीर में यूट्रस जन्म से नहीं होता है जिसके कारण वह गर्भवती नहीं हो सकती। इसके साथ ही कभी किसी कारणवश महिला के शरीर से यूट्रस को निकालना पड़ता है जिस कारण वह आगे जाकर गर्भवती नहीं हो सकती इसलिए ऐसे में सरोगेसी की तकनीक बहुत ही सहायक होती है।

अधिक उम्र महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना उनकी उम्र के साथ कम होती जाती है। ऐसे में अगर किसी महिला की उम्र कुछ ज्यादा हो जैसे 40 या 50 से अधिक और उसे गर्भवती होने में दिक्कत आ रही हो तो वहां आसानी से सरोगेसी के द्वारा संतान का सुख प्राप्त कर सकती है।

सेहत से जुड़ी कोई समस्या पुरुष से महिला की सेहत से जुड़ी बहुत सी समस्याएं होती है जिसके कारण वह संतान को जन्म देने में सक्षम नहीं होते हैं। अक्सर यूट्रस की बनावट ऐसी होती है जिसके कारण महिला को गर्भ धारण करने में मुश्किल आती है। ऐसे में सरोगेसी लाभदायक साबित हो सकता है।

एक लिंग कपल अगर एक ही लिंग के पति या पत्नी है तो प्राकृतिक रूप से वह गर्भधारण करने में असमर्थ है। इसलिए अगर वहां संतान चाहते हैं तो वह सरोगेसी के द्वारा अपनी यह इच्छा पूरी कर सकते हैं।

प्रेगनेंसी में बार बार दिक्कत– यदि महिला को बार बार गर्भ से जुड़ी कोई दिक्कत आ रही है या मिसकैरेज जैसी परेशानी हो रही हो तो वह सरोगेसी के द्वारा संतान पा सकती है।

निजी इच्छा कभी-कभी बिना किसी परेशानियां दिक्कत होने के भी बहुत सारे दंपत्ति सेरोगेसी के द्वारा बच्चा करना चाहते हैं। बहुत सारे अभिनेता अपनी इच्छा के अनुसार, कैरियर के कारण या अपने फिगर के कारण सरोगेसी के द्वारा बच्चा करते हैं।

आइए जाने बॉलीवुड इंडस्ट्री के कुछ अभिनेता जिन्होंने सेलिब्रिटी के द्वारा संतान का सौभाग्य प्राप्त किया

सरोगेसी के द्वारा माता-पिता बने कुछ अभिनेता (Celebrities who became parents through surrogacy)

• हाल ही में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा की बेटी ने सरोगेसी के द्वारा जन्म लिया।

•2011 में अभिनेता आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव सरोगेसी के द्वारा माता-पिता बने। उन्होंने सरोगेसी के द्वारा एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम आजाद खान रखा। आमिर खान ने बताया कि उनकी पत्नी के मिसकैरेज होने के कारण उन्होंने सरोगेसी का रास्ता अपनाया।

• वर्ष 2013 में अभिनेता शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान के बेटे AbRam Khan (अब्राम खान) ने सरोगेसी के द्वारा जन्म लिया था। पहले से 2 बच्चे सुहाना और आर्यन के बाद उन्होंने तीसरे बच्चे की इच्छा जताई और बाद में आईवीएफ के द्वारा AbRam Khan (अब्राम खान) का जन्म हुआ।

• फिल्म अभिनेता करण जौहर जो कि आविवाहित है उन्होंने सेरोगेसी के द्वारा दो जुड़वा बच्चों को अपनाया। करण जौहर की एक बेटी और एक बेटा है जिनका नाम यश और रूही है।

• अभिनेता सोहेल खान और उनकी पत्नी सीमा के बेटे योहान का जन्म आईवीएफ के द्वारा 18 जून 2011 को हुआ था या उनकी दूसरी संतान है।

• 11 फरवरी 2008 को कोरियोग्राफर फराह खान और उनके पति शिरीष कुंदर ने आईवीएफ के द्वारा तीन जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था।

• कुछ वर्ष पहले तुषार कपूर सरोगेसी के द्वारा एक बेटे के पिता बने जिसका नाम उन्हें लक्ष्य रखा।

• इसी प्रकार हॉलीवुड के में बहुत सारे में अभिनेताओं ने सरोगेसी के द्वारा बच्चे को जन्म दिया जिसमें- सारा जेसिका पार्कर, क्रिस डॉट्री, एलिज़ाबेथ बैंक, जिमी फॉलन, एलन पोम्पी और फुटबॉलर क्रिस्टीयानो रोनाल्डो आदि शामिल है।

सरोगेसी का खर्च (Cost of surrogacy)

भारत में सरोगेसी के द्वारा बच्चा करने पर लगभग 10 से 25 लाख तक का खर्च आता है। विदेश में यह और भी महंगा है, वहा लगभग 60 लाख तक का खर्चा आ जाता है।

सरोगेसी के लिए सरोगेट मदर जो अपने से बच्चा जनने के लिए तैयार होती है वह लगभग 20 से 35 तक की आयु की होती हैं। यह पूर्ण रूप से उनकी इच्छा पर निर्भर करता है और इस प्रक्रिया मे बच्चे के जन्म तक जितना भी खर्च आता है वह संतान की इच्छा करने वाले दंपत्ति उठाते हैं।

इसके साथ ही अनुबंध के अनुसार दंपति और सरोगेट मदर के बीच जितनी रकम तय होती है वह भी उन्हें देना पड़ता है। अमूमन यह रकम कुछ लाख रूपयो पर तय की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया को कमर्शियल सरोगेसी कहा जाता है।

भारत में सरोगेसी का इतिहास (History of surrogacy in India)

भारत में सरोगेसी 2 वर्ष 2002 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में वैध हुई।

भारत में सरोगेसी के वैध होने के बाद यह हब ऑफ सरोगेसी बन गया, क्योंकि भारत में गरीबी अधिक है इसलिए कई महिलाएं पैसों के बदले अपनी कोख को किराए पर देने के लिए तैयार हो जाती है।

2012 की confideration of Indian Industry (CII) की रिपोर्ट के अनुसार इंडियन सरोगेसी इंडस्ट्री की आय लगभग 2 बिलियन डॉलर हर साल की है।

एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 3000 फर्टिलिटी क्लीनिक है जो सरोगेसी का के द्वारा बच्चे का जन्म कराते हैं।

भारत में सरोगेसी के द्वारा कुछ गलत या अवैध कार्य को भी अंजाम दिया जा रहा था जैसे कि- बिचौलियों (middlemen) के द्वारा कमाई,गर्भवती का शोषण,गर्भ रैकेट आदि।

जिस कारण लॉ कमीशन ऑफ इंडिया ने एक प्रावधान लाने की आवश्यकता जताई थी। लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के अनुसार कोई उचित प्रावधान न होने के कारण भारत में सरोगेसी से जुड़े का अवैध कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। उनकी 208th रिपोर्ट के अनुसार भारत में कमर्शियल सरोगेसी को पूरी तरह प्रबंध करने को कहा गया था।

इन्ही मुद्दों को ध्यान में रखकर 2015 में सरकार के द्वारा यह निर्णय लिया गया की सरोगेसी की सुविधा केवल भारतीय राष्ट्रीयता वालों के लिए ही उपलब्ध होगी।

इसके अगले वर्ष 2016 में सरकार ने सेरोगेसी रेगुलेशन बिल (Surrogacy Regulation Bill) लोकसभा में पास किया लेकिन संसद के भंग होने के कारण यह बिल वहीं पर अटक गया।

इसके बाद यह Bill 2019 में मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर के द्वारा 15 जुलाई 2019 को फिर से संसद में लोकसभा में लाया गया लेकिन इस पर बहुत सारी चर्चाओं के कारण यह बिल राज्य सभा के द्वारा पास नही किया गया था।

सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020 [Surrogacy (Regulation) Bill, 2020]

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल के द्वारा सरोगेसी की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए सरोगेसी विनियमन विधेयक 2020 बिल को मंजूरी दे दी गई। अक्सर बच्चे से भावनात्मक लगाव होने के कारण सरोगेट मदर बच्चे को जन्म देने के बाद उससे दंपति को देने से इंकार कर देती है, या फिर अगर बच्चा विकलांग पैदा हो तो दंपत्ति निसंतान दंपति उससे लेने से इनकार कर देते हैं या आगे जाकर उसे उसके अधिकार से वंचित रखते हैं।

इसीलिए सरोगेसी के नाम पर हो रहे गलत कार्यों को नियंत्रित करने के लिए यह विधेयक लागू किया गया। इस विधेयक के अनुसार-

Surrogacy laws in India

भारत में सरोगेसी केवल भारतीय दंपति ही अपना सकते हैं।

इस विधेयक के अनुसार निसंतान विवाहित दंपति जिसमें महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष और पुरुष की 26 से 55 वर्ष होनी चाहिए तभी उनको परोपकारी सरोगेसी की अनुमति मिल सकती है।

यह विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि किसी के द्वारा जन्मे बच्चे को दंपत्ति किसी भी रूप में छोड़ नहीं सकता है।

सरोगेसी के द्वारा जन्मे बच्चे का अधिकार सब चीजों में उतना ही होगा जितना कि एक प्राकृतिक रूप से जन्मे बच्चे का होता है।

निसंतान दंपति को सरोगेसी के लिए अपना पात्रता का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

यह विधेयक यह स्पष्ट करता है कि सरोगेसी की प्रक्रिया के दौरान बच्चे का लिंग चयन नहीं किया जाए।

भारत में सरोगेसी के लिए सरोगेसी के क्लीनिक को उपयुक्त प्राधिकारी(authorities) द्वारा पंजीकरण कराना आवश्यक है।

इस विधेयक के अनुसार सरोगेट मदर के लिए बीमा कवरेज के साथ अन्य सुरक्षा उपायों का प्रावधान है। सरोगेट मदर के लिए प्रस्तावित बीमा खबर को 16 महीने से बढ़ाकर अब 36 महीने कर दिया गया है।

इसके साथ ही यह विधेयक सरोगेसी से संबंधित सभी विनियमन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड(National Surrogacy Board) और राज्य स्तर पर राज्य समिति बोर्ड (State Surrogacy Board) के गठन का प्रावधान करता है।

इस विधेयक के द्वारा सरोगेसी की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है व सरोगेसी के व्यापार को रोका जा सकता है। क्योंकि कभी-कभी इसमें सरोगेट मदर के अधिकारों का उल्लंघन होता है जो कि उनके साथ अन्याय है।

सरोगेसी बोर्ड के द्वारा सरोगेसी की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा जिससे सेरोगेट मदर और बच्चा दोनों स्वस्थ हो।

इसके साथ ही यह विधेयक सरोगेसी के द्वारा होने वाले बच्चों के अधिकारों को भी सुरक्षित करता है।

सरोगेसी से जुड़े कुछ सवाल-

प्रश्न: सरोगेसी के द्वारा हुआ बच्चा किसके तरह दिखता है?

उत्तर: यह पूर्ण रूप से सरोगेसी के प्रकार पर निर्भर करता है। अगर ट्रेडिशनल सरोगेसी है तो बच्चों सरोगेट मदर की तरह दिख सकता है और अगर जेस्टेशनल सरोगेसी है तो बच्चा सरोगेट मदर की तरह नहीं बल्कि जो दंपत्ति है उनकी तरह दिख सकता है।

प्रश्न: सरोगेसी कराने में कितना खर्चा होता है?

उत्तर: भारत में सरोगेसी कराने के लिए कम से कम 10 से 20 लाख का खर्चा होता है। इसमे सरोगेट मदर के साथ किए गये एग्रीमेंट में तय की गई रकम और बच्चे के जन्म तक जितना भी खर्चा होगा वह दंपत्ति को करना होगा।

प्रश्न: सरोगेट मदर कैसे गर्भवती होती है?

उत्तर: निसंतान दंपति के अंडे और शुक्राणुओं को निषेचित करके उनको सिर्फ सरोगेट मदर के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है इस प्रक्रिया को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) कहते हैं।

प्रश्न: सरोगेसी के दौरान जन्मे बच्चे में सेरोगेट मदर का डीएनए अंश होगा?

उत्तर: यह पूर्ण रूप से फिर किसी के प्रकार पर निर्भर करता है। यदि सरोगेसी ट्रेडिशनल होगी तो उसमें सेरोगेट मदर का डीएनए होगा, यदि सरोगेसी जेस्टेशनल होगी तो उसमें सरोगेट मां का कोई डीएनए मौजूद नहीं होगा।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज

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