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सतत विकास

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सतत विकास पर निबंध | Essay on sustainable development

प्रस्तावना Introduction.

सतत विकास एक ऐसे विकास की स्थिति है जिसमें भविष्य में या आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान मे रखकर वर्तमान समय की आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है जिससे आने वाले समय में प्राकृतिक संसाधनों की कमी न हो।

आज कितनी तेजी से पूरे विश्व में जनसंख्या बढ़ रही है उतने ही तेजी से हम प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग कर रहे हैं।

विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए हम प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रकृति पर निर्भर है। जिसका आने वाले समय में दुष्परिणाम यह हो सकता है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो सकती है।

अमेरिकन इकोनॉमिक्स Kenneth E. Boulding द्वारा 1966 में ‘The Economics of the Coming Spaceship Earth’ नाम के एक लेख में इस बात को समझाने का प्रयास किया गया कि आर्थिक प्रणाली को परिस्थितिकी तंत्र की सीमा के अंदर होना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल इस बात को ध्यान में रखकर करना चाहिए कि प्राकृतिक साधन सीमित है और एक दिन खत्म हो जाएंगे।

सतत विकास का अर्थ Sustainable development means.

प्रकृति से जो हमें जीने के लिए साधन मिलते हैं जिनमें कोयला, खाद्य पदार्थ, वृक्ष, मिट्टी, वायु, जल, खनिज पदार्थ व गैसें आदि है।

यदि हमने इन प्रकृति संसाधनों को तेजी से उपभोग कर लिया तो हमारी आने वाली पीढ़ी को बहुत ही गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

सस्टेनेबल डेवलपमेंट‘ अर्थात सतत विकास का अर्थ(sustainable development means/meaning in Hindi/Hindi meaning) ऐसे विकास से है जो कि प्रकृति से मिलने वाले संसाधनों को संतुलित रूप से प्रयोग में लाए, जिससे हम संसाधनों का उपयोग आने वाली पीढ़ी के लिए सुनिश्चित कर सके व आने वाली पीढ़ी इनसे महरूम न हो। बढ़ती हुई जनसंख्या, शहरीकरण, औद्योगिकरण रसायनों का अधिक प्रयोग आदि ने हमारे जल और वायु की गुणवत्ता को समय के साथ बहुत ही खराब कर दिया है। प्रदूषण के कारण हमारे जलवायु में भी परिवर्तन आ गया है।

सतत विकास शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1970 में कोकोयोक घोषणा में विकास और पर्यावरण के संदर्भ मे किया गया था। 1972 में स्टॉकहोम में विश्व पर्यावरण सम्मेलन के दौरान सतत विकास को नई दिशा दी गई। इस सम्मेलन में विश्व के बड़े राजनेताओं की उपस्थिति में पर्यावरण संरक्षण की नीतियों के बारे में विचार शुरू हुआ।

पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र विश्व आयोग (World Commission on Environment and Development) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई जिसे ब्रंडटलैंड रिपोर्ट या कॉमन फ्यूचर भी कहा जाता है। इस रिपोर्ट के अनुसार सतत विकास एक ऐसी संकल्पना है जिसके तहत भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं के साथ बिना समझौता किए वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

Agenda 30:

यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने 2015 में सतत विकास से जुड़े 17 लक्ष्य तैयार किए थे जिसे साल 2030 तक पूरा करने का निर्णय लिया गया था। इस बैठक में 193 देशों ने भाग लिया था। इसे एजेंडा 2030 भी कहा जाता है।

इन 17 लक्ष्यों में जो पहला लक्ष्य है वह है-

Sustainable development 17 goals/what are sustainable development goals

1. No Poverty, यानी गरीबी खत्म करना।
2. Zero hunger, यानी सभी के लिए पौष्टिक और स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराना।
3. Good health and well being for people, यानी सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य और जीवनस्तर।
4. Quality education, यानी सभी के लिए एक समान शिक्षा और अवसर सुनिश्चित करना।
5. Gender equality, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण।
6. Clean water and sanitation, यानी सभी के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छ पर्यावरण।
7. Affordable and clean energy, यानी सस्ती, भरोसेमंद प्रदूषण से मुक्त ऊर्जा के सोत्र उपलब्ध कराना।
8.Decent work and economic growth, सभी के लिए रोजगार के अवसर और सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करना।
9. Industry, Innovation, Infrastructure यानी ऐसा मजबूत ढांचा तैयार करना जहां समावेशी विकास, औद्योगिकरण और नव परिवर्तन हो सके।
10. Reducing inequalities यानी दो देशों के बीच आर्थिक लेनदेन और कर मुक्त व्यापार में बाधा ना हो।
11. Sustainable cities and communities, ऐसे शहरों का निर्माण करना जहां सुरक्षा, शांति और सहनशील विचार हो।
12. Responsible consumption and production, यानी ऐसे उत्पादन तकनीक का प्रयोग करना जिससे औद्योगिक कचरा कम निकले और जिसे रिसाइकल किया जा सके।
13. Climate action, यानी नवीकरणीय ऊर्जा को इस्तेमाल को बढ़ावा देना जिससे जलवायु परिवर्तन नियंत्रित किया जा सके।
14. Life below water, यानी नदी, झील और समुद्र इत्यादि परिस्थितिकी और जल संसाधनों का संरक्षण।
15. Life on land, यानी भूमि की परिस्थितिकी, जंगल संरक्षण और जैव विविधता के विनाश और मरुस्थल के फैलाव को रोकना।
16. Peace, Justice and strong institution, यानी न्यायिक और वैधानिक संस्थानों में भरोसा उत्पन्न करना।
17. Partnership for the goals, यानी एक देश के बाकी अन्य देशों के साथ आपसी संबंध सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बेहतर हो सके।

भारत मे सतत विकास या एजेंडा 2030 को नीति आयोग द्वारा लागू किया जा रहा है। भारत में हरियाणा पहला राज्य है जिसने मार्च 2018 में अपने वार्षिक बजट में सतत विकास लक्ष्य को स्थान दिया है।

सतत विकास का महत्व Importance of sustainable development.

प्राकृतिक संपदा पर केवल हमारा अधिकार नहीं है बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी का भी इस पर उतना ही अधिकार है और यह हमारा दायित्व है कि हम प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखें।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। सतत विकास योजना पर्यावरण संरक्षण और उसमें संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत ही बेहतरीन सुझाव है।

सतत विकास का उद्देश्य विश्व में पर्यावरण सामाजिक और आर्थिक मुद्दों का विवेचन करते हुए लागू करना है। यदि यह निर्धारित 17 लक्ष्य सभी देशों ने निर्धारित समय में हासिल कर लिया तो निश्चय ही आने वाला कल बहुत ही बेहतर होगा।

पियरसे और बारफोर्ड के शब्दों में- “सतत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक साधनों के आधार को क्षय नहीं होने दिया जाता है। यह पर्यावरणीय गुणवत्ता की अब तक अप्राशंसित भूमिका पर बल देता है और इसके साथ वास्तविक आय और जीवन की गुणवत्ता की वृद्धि की प्रक्रिया में पर्यावरणीय आगतों पर भी बल देता है।”

निष्कर्ष Sustainable Development conclusion.

अतः सतत विकास द्वारा हमारे प्रकृति और पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार और संरक्षण किया जा सकता है जिससे भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को वर्तमान पीढ़ी की लापरवाही के कारण समझौता नहीं करना पड़ेगा।

इस ग्रह पर रहने वाले और भविष्य में आने वाले सभी मनुष्य को स्वस्थ व सुरक्षित वातावरण में जीने का हक़ है। यह हर एक नागरिक की अहम् जिम्मेदारी है कि वह प्राकृतिक साधनों को क्षय न करें अपने पर्यावरण के सुरक्षा प्रति जागरूक हो।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज

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