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साइबर अपराध

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साइबर अपराध पर निबंध | Essay on cyber crime

आज का युग इंटरनेट का युग कहलाता है। जीवन को सरल बनाने के लिए हम अपने सभी कार्य इंटरनेट के द्वारा करते हैं। ऑनलाइन खरीदारी, बैंक का काम, पैसों का लेनदेन, टिकट बुक कराना आदि सभी कार्य आज इंटरनेट के द्वारा आसानी से घर बैठे हो जाते हैं।

इसके साथ ही सोशल मीडिया जैसे कि व्हाट्सएप, टि्वटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। हम अपने जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज को इस पर डालते हैं जैसे हम कहां गए, क्या खाया व अपनी बहुत सी तस्वीरें इस पर अपलोड करते है।

इंटरनेट ने देशों को विकास के पथ पर आगे बढ़ने में आर्थिक रूप से भी सहायता की है। पर जैसा कि कहा जाता है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इंटरनेट ने हमारे जीवन को आसान तो कर दिया है लेकिन इसके साथ कुछ खतरों ने भी जन्म लिया है। जिसे साइबर अपराध या साइबर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है।

साइबर अपराध क्या है? (What is Cyber Crime?/Cyber Crime in Hindi/Cyber Crime kya hai)

Cyber Crime meaning/definition in Hindi साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जो इंटरनेट का गलत उपयोग करके या अवैध रूप से किसी व्यक्ति या समूह के साथ धोखा करना है।

इसमें लोगों में घृणा फैलाना, किसी की व्यक्तिगत जानकारी या तस्वीर का गलत फायदा उठाना, बैंक खातों में धोखाधड़ी करना, किसी के क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी प्राप्त करके पैसे चुराना या फिर लोगो के मोबाइल या सिस्टम में विभिन्न प्रकार के वायरस फैलाना आदि साइबर अपराध के अंतर्गत आते हैं।

साइबर अपराध अलग-अलग रूपों में किया जाता है। भारत देश भी अब साइबर अपराध की चपेट में आ रहा है। साइबर अपराध करने वाले भिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर और कोड का प्रयोग करते हैं। जिसके द्वारा हैकिंग, धोखाधड़ी, वायरस, स्पाइवेयर, रेनसमवेयर, फिशिंग इत्यादि रूपों में साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है।

साइबर अपराध के कुछ प्रकार (Cyber Crime Types)

हैकिंग- हैकर्स किसी व्यक्ति के कंप्यूटर या सिस्टम का पासवर्ड क्रैक करके उसकी जानकारी हासिल करते हैं। सिस्टम में प्रवेश करने के लिए वह भिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं और पीड़ित व्यक्ति को इसकी जानकारी नहीं होती कि उनका कंप्यूटर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। हैकिंग के द्वारा अपराधी, पीड़ित व्यक्ति की निजी जानकारी और उसके कंप्यूटर में उसकी सभी प्रकार की चीजों की जानकारी को प्राप्त कर सकता है।

साइबर स्टॉकिंग- साइबरस्टॉकिंग सोशल मीडिया पर होती है, इसमें अपराधी किसी व्यक्ति को SMS या मेल के द्वारा परेशान करता है और उन्हें धमकी भी देता है। इस अपराध के तहत भारत में धारा 354 D भारतीय दंड संहिता 1860 कानून दिया गया है। जिसमें किसी भी महिला को कोई ऑनलाइन स्टॉक करके कोई परेशान करें तो उसे साइबर अपराध के तहत सजा मिलती है।

फिशिंग- फिशिंग में हैकर व्यक्ति को मेल या यूआरएल(URL) के द्वारा संदेश भेजें जाता है। जिसमें व्यक्ति को अपना पासवर्ड बदलने, खाते की जानकारी आदि के लिए कहा जाता है। जैसे ही व्यक्ति उस यूआरएल को खोलता है तो हैकर के पास उसकी जानकारी चली जाती है और वह कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर को मैलवेयर(Malware) के द्वारा नुकसान पहुंचाते हैं।

नंबर या तस्वीरों का गलत उपयोग- इस अपराध के तहत अपराधी किसी व्यक्ति के फोन नंबर या उसकी तस्वीर प्राप्त करके उसका गलत इस्तेमाल करता है। उसकी तस्वीरों को फोटोशॉप करके उसका दुरुपयोग या पोर्नोग्राफी आदि में डाल देता है।

साइबर स्पाईंग- साइबर स्पाईंग के अंतर्गत अपराधी किसी होटल के शीशे या बाथरूम या फिर किसी मॉल के चेंजिंग रूम में कैमरा छुपा देता है। जिसमें महिलाओं के निजी तस्वीरें या वीडियो निकालकर उन्हें परेशान करता है या उन तस्वीरों और वीडियो का दुरुपयोग करता है।

वायरस- वायरस एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जिसको आपके स्मार्टफोन/कंप्यूटर पर डाउनलोड करते ही आपके स्मार्टफोन/कंप्यूटर की सारी जानकारी हैकर को मिल जाती है और उसका गलत फायदा उठाता है।

साइबर अपराध के लिए बनाए गए कानून (Laws against cyber crime/cyber crime act)

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में 21796 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए थे। भारत में साइबर अपराध की समस्या बढ़ती ही जा रही है। भारत में साइबर अपराध के तहत सूचना प्रौद्योगिकी कानून आईटी कानून 2000, आईटी संशोधन अधिनियम 2008 लागू किए गए थे। इन कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए धाराएं बनाई गई है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की जो हैकिंग और साइबर अपराध संबंधी धाराएं हैं उनमें- 43, 43A, 66, 66B, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 70, 72, 72A, 74 है।

इसके साथ ही राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 जारी की गई जिसमें साइबर अपराध करने पर 2 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा मिल सकती है।

इसके साथ ही कंप्यूटर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘कंप्यूटर एमरजैंसी रिस्पांस टीम’ निर्धारित की गई।

जनवरी 2020 में साइबर क्राइम को नियंत्रित करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre- 14C) लागू किया गया।

साइबर अपराध से बचने के उपाय (Precautions to avoid cyber crime)

1. संदिग्ध ईमेल या मैसेज- यदि आपके पास कोई संदिग्ध मेल यह मैसेज आता है तो उस मैसेज को ओपन करने से बचें या पहले उसके बारे में जानकारी हासिल करें।

2. मोबाइल और कंप्यूटर में हाई सिक्योरिटी- अपने मोबाइल और कंप्यूटर को हमेशा अपडेट रखें और उसमें विश्वसनीय सॉफ्टवेयर और एंटीवायरस रखें।

3. गोपनीयता- अपने मोबाइल का ओटीपी और पासवर्ड किसी भी व्यक्ति को न दे। इसके साथ ही अपने बैंक खातों व क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी अनावश्यक किसी को न दें।

4. ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी- ऑनलाइन खरीदारी व लेनदेन करते समय सावधान रहें। इस दौरान किसी भी अज्ञात पॉपअप या लिंक पर क्लिक न करें।

5. सोशल मीडिया पर सावधानी बरतें- सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें, अनजान लोगों को अपने ग्रुप या फ्रेंड्स लिस्ट में जोड़ने और उनसे बात करने में सतर्क रहें व उन्हें अपने निजी जीवन के बारे में कोई भी जानकारी देने से बचें।

निष्कर्ष (Conclusion for Cyber Crime)

साइबर अपराध की समस्याएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही है| इस समस्या से बचने के लिए सबसे आवश्यक चीज जो है वह सावधानी। हमें इंटरनेट व सोशल मीडिया का प्रयोग करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।

हमें अपनी निजी और गोपनीय जानकारी को गलत हाथों में जाने से रोकना चाहिए। किसी भी चीज या व्यक्ति पर संदेह होने पर या अपराध होने पर हमें डरने और घबराने के जगह पुलिस की मदद लेनी चाहिए। हमारी स्वयं की सुरक्षा सबसे पहले हमारे हाथों में होती है, यदि हम जागरूक और सतर्क रहेंगे तो हम साइबर अपराध की समस्या से बच सकते है और अपने आस पास के लोगों को भी बचा सकते है। हमें लोगों को इस बारे में जागरूक करना चाहिए और इसके लिए स्कूलों और अन्य जगहों पर साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता कार्यक्रम करने चाहिए।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज

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