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ओ. हेनरी की जीवनी | O Henry Biography in Hindi
आपने ‘द लास्ट लीफ’ नामक कहानी को जरूर कभी न कभी पढ़ा या सुना होगा। इस विश्व विख्यात कहानी के कहानीकार है ओ हेनरी।
उन्होंने इस कहानी की तरह ही कई लघु कहानियां लिखी हैं। आइए जानते हैं इस मशहूर कहानीकार के जीवन के बारे में कुछ बातें-
नाम | विलियम सिडनी पोर्टर |
अन्य नाम | ओ हेनरी |
जन्म तिथि | 11 सितंबर, 1862 |
मृत्यु | 5 जून 1910 |
मृत्यु के समय आयु | 47 वर्ष |
जन्म स्थान | ग्रीन्स बोरो, उत्तरी कैरोलिना, संयुक्त राज्य अमेरिका |
पिता का नाम | डॉ.अल्गर्नॉन सिडनी पोर्टर |
माता का नाम | मैरी जेन वर्जीनिया स्वाइम पोर्टर |
पेशा | लेखक |
भाषा | अंग्रेजी |
राष्ट्रीयता | अमेरिकन |
राशि | कन्या |
शौक | मेंडोलिन, गिटार बजाना, किताबे पढ़ना |
वैवाहिक स्थित | विवाहित |
ओ हेनरी का प्रारंभिक जीवन
ओ हेनरी का मूल नाम विलियम सिडनी पोर्टर है जिनका जन्म 11 सितंबर 1862 में अमेरिका के ग्रींसबोरो नॉर्थ कैरोलिना में हुआ था।
वे आमतौर पर अमेरिकी लघु कथा लेखक के रूप में जाने जाते हैं। अन्य लेखकों की तरह ही ओ हेनरी ने भी अपने शुरुआती करियर में ऐसा कुछ उजागर नहीं किया है कि वह लेखन के क्षेत्र में जाना चाहते हैं।
वह पैसे अर्जित करने के लिए अलग-अलग गतिविधियों और व्यवसायों में भटकते भी रहे। विलियम सिडनी पोर्टर की माता का नाम मैरी जेन वर्जीनिया स्वाइम पोर्टर था। उनके पिता का नाम डॉ.अल्गर्नॉन सिडनी पोर्टर था।
डॉ.अल्गर्नॉन सिडनी पोर्टर एक मेडिकल डॉक्टर थे। उनके माता-पिता की शादी 20 अप्रैल 1858 में हुई थी। लेकिन ओ हेनरी का जीवन दुर्भाग्यपूर्ण रहा। जब वे 3 साल के थे तब उनकी मां की तपेदिक की वजह से मौत हो गई जिसके बाद उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।
16 साल की आयु में ही हेनरी ने स्कूल जाना छोड़ दिया था। लेकिन स्कूल छूटने के साथ उनके पढ़ने लिखने में जो आतुरता थी वह नहीं छूटी। उन्होंने पैसे अर्जित करने के लिए ग्रींसबोरो की एक दवाई की दुकान पर काम किया।
इसी दुकान पर उनकी जयंती भी मनाई जाती है। जब वह 19 वर्ष के हुए तब उन्होंने फार्मासिस्ट के रूप में लाइसेंस प्राप्त किया। जब वह फार्मासिस्ट का काम कर रहे थे तब उन्होंने अपनी रचनात्मक अभिव्यक्तियों के तहत दुकान में आने वाले कई उपभोक्ताओं का स्केच बनाया जिसके बाद उनके ड्राइंग कौशल की काफी प्रशंसा की गई। फार्मासिस्ट के अलावा उन्होंने खेत में भी काम किया।
इससे पता चलता है कि भले ही उनकी पढ़ाई छूट गई लेकिन उन्होंने अपने रचनात्मक कार्यों को जारी रखा। बचपन में ही उन्होंने कई तरह के किताबें व उपन्यास पढ़ लिए थे। इसके अलावा उन्होंने एक बैंक में भी काम मिला लेकिन कुछ दिन में उनके हिसाब में हजार डॉलर की गड़बड़ी का आरोप लगाया गया जिसके बाद मालिक ने उन्हें सजा देने के नाम पर नौकरी से निकाल दिया।
इन सबके बाद भी वह आगे जाकर बहुत बड़े लेखक बने। 5 जून 1910 को 47 वर्ष की आयु में उनका लीवर सिरोसिस नामक बीमारी से निधन हो गया।
ओ हेनरी की शिक्षा
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि ओ हेनरी की शिक्षा ज्यादा नहीं हो पाई। लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई को अन्य कामों के साथ जारी ही रखा।
मां की मृत्यु के बाद उनके पिता उन्हें उनकी दादी के पास ले गए। लेकिन उसके थोड़े समय बाद वह उन्हें उनकी चाची इवेलिना मारिया पोर्टर के पास ले गए। जहां 1876 में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की और लिंडसे हाई स्कूल में दाखिला लिया।
उन्हें 15 साल की आयु तक उनकी चाची ने ही पढ़ाया।
व्यवसाय
जब उन्हें बैंकिंग की नौकरी से निकाल दिया गया इसके पश्चात द ह्यूस्टन पोस्ट के लिए लेखन कार्य शुरू किया। इस काम के लिए उन्हें महीने में $25 मिलते थे।
अपने लेखन कार्य में वह लोगों के जीवन बारे में जानने के लिए लोगों से बातचीत करते थे तथा उनका विचार हासिल करते थे। फिर इस में वह अपनी कल्पना शक्ति डालकर एक मजेदार तथ्य में तब्दील कर देते हैं।
यदि सही मायने में देखा जाए तो ओ हेनरी का लेखन कार्य 1902 में न्यूयॉर्क में शुरू हुआ। इस शहर में उन्होंने करीब 381 लघु कथाओं की रचना की।
इसके अलावा उन्होंने एक साल द न्यूज़ ऑफ़ वर्ल्ड, सन्डे मैगजीन के लिए प्रति सप्ताह एक कहानी लिखी। जब वे 5 वर्ष के लिए जेल की सजा काट रहे थे तब उस दौरान उन्होंने करीब 12 कहानियां प्रकाशित की।
वैसे तो उन्हें 5 वर्ष के लिए कारावास की सजा हुई थी लेकिन 3 साल के बाद ही उनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए उनको रिहा कर दिया गया जिसके बाद वह न्यूयॉर्क शहर चले गए।
ओ हेनरी के उपनाम का निर्धारण
जैसे कि पहले बताया जा चुका है ओ हेनरी का असल नाम विलियम सिडनी पोर्टर था। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि उनका नाम ओ हेनरी कैसे पड़ा।
दरअसल, जब विलियम पोर्टर 3 वर्षों व 3 महीनों के लिए जेल की सजा काट रहे थे तब उनके व्यक्तित्व पर काफी परिवर्तन आया। उनमें गरीबों के लिए दया भाव उत्पन्न हुआ जिससे उन्होंने कई कहानियों की रचना की।
इनमें से मूल कहानी का हिंदी रूपांतरण “हृदय परिवर्तन” नामक कहानी व एक नाटक ‘जिम्मी वेलेंटाइन’ सफल रहे। उनके उपनाम की खोज उसी जेल के सिपाहियों तथा ओरन हेनरी नामक कप्तान ने की।
जब विलियम पोर्टर ने लिखना शुरू किया तो वह संपादक को अपना नाम गुप्त रखने की प्रार्थना करते थे। जिसके बाद वह अपने नाम का हस्ताक्षर ओ हेनरी के रूप में करने लगे।
ओ हेनरी की कुछ रचनाएं
- सिक्सस एंड सेवन्स (Sixes and Sevens) – 1911
- रोलिंग स्टोंस (Rolling Stones) – 1912
- वैफ़्स एंड स्ट्रेज़ (Waifs and Strays) – 1917
- लेटर्स टू लिथोपोली (Letters to Lithopolis) -1922
- द ग्रीन डोर (The Green Door)
ओ हेनरी के उल्लेखनीय कार्य
- द लास्ट लीफ़ (The Last Leaf)
- द गिफ़्ट ऑफ द मागी (The Gift of the Magi)
- द रैनसम ऑफ रेड चीफ़ (The Ransom of Red Chief)
- द फ़र्निश्ड रूम (The Furnished Room)
ओ हेनरी द्वारा दिए गए उल्लेखनीय उद्धरण
- हम पैसों से 1 मिनट भी नहीं खरीद सकते यदि हम ऐसा कर सकते तो अमीर लोग ज्यादा लंबे समय तक जीवित रहते।
- जब कोई किसी की कला से प्यार करता है तो कोई भी सेवा कठिन नहीं लगती।
- प्यार और व्यवसाय, परिवार और धर्म और देश भक्ति कुछ भी नहीं है बल्कि यह शब्दों की छाया है।
- कोई भी दोस्ती दुर्घटनावश नहीं होती।
- हर चीज में कहानियां होती हैं।
ओ हेनरी के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- ओ हेनरी की मृत्यु के बाद उनके सम्मान में क्लासिक कोर्ट हाउस का नाम उनके नाम पर रखा गया।
- 1962 में सोवियत डाक सेवा जारी की गई थी, जिसके बाद एक मोहर उनके नाम पर रखा गया था।
- उनकी 400 से अधिक लघु कथाएं New York World Sunday मैगजीन में प्रकाशित की गई।
- ओ हेनरी ने ह्यूस्टन पोस्ट में एक रिपोर्टर, स्तम्भकार, कार्टूनिस्ट के रूप में काम भी किया। इसके लिए उन्हें $25 वेतन दिया जाता था।
- ओ हेनरी ने रोलिंग स्टोन नामक एक कॉमिक अखबार की स्थापना की थी।
- उन्हें गिटार, मैंडोलिन सहित कई वाद्ययंत्रों को बजाना पसन्द था।
- उन्होंने गायन में भी अपने प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।