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धन पर निबंध

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धन पर निबंध | Essay on Money

कहलाए गुणवान वह, धन है जिसके पास।
इसके बिन गुणवान भी, लगे नहीं कुछ खास।।

आज के समय में जिस व्यक्ति के पास धन है वह गुणवान कहलाता है और जिस व्यक्ति के पास धन नहीं है उसके पास भले ही कितने गुण हो कोई उसे महत्व नहीं देता।

धन एक अच्छे जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यदि किसी व्यक्ति के पास धन हो तो वह समाज में एक अच्छा और शांतिपूर्ण जीवन जी सकता है।

ऐसा नहीं है कि धन के बिना जीवन संभव नहीं है, लेकिन आज के समय में हर कोई एक अच्छे स्तर का जीवन जीना चाहता है। अपने और अपने परिवार की सभी इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करना चाहता है। अच्छी शिक्षा, अच्छा इलाज और अच्छा घर चाहता है। इस सबके लिए धन बहुत ही आवश्यक है।

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भारतीय मुद्रा का इतिहास

प्राचीन समय में पैसा या रुपयों का प्रयोग नहीं होता था बल्कि उसके जगह वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter system) का चलन थ। जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से आवश्यकतानुसार सामान की अदला बदली कर लिया करता था।

उसके बाद भारत में शेर शाह सूरी के द्वारा 1540 से लेकर 1545 तक के अंतराल में चांदी और सोने के सिक्कों का प्रयोग व्यापार के लिए होने लगा। इसे दाम और मोहर के नाम से भी जाना जाता था।

यह सिक्के सोने, चांदी, तांबे आदि से बनाए जाते थे। इन सिक्कों की शुरुआत व्यापार करने और अर्थव्यवस्था को बेहतर रूप से चलाने के लिए शुरू किया गया था।

भारत में नोटों की शुरुआत

हमारे देश में सर्वप्रथम नोटों की छपाई 1770 ईस्वी में बैंक ऑफ हिंदुस्तानद्वारा जारी की गई थी। इसके बाद ब्रिटिश शासन के दौरान 1917 में कागज के नोट शुरू किए गए।

इसके बाद 1926 में महाराष्ट्र के नासिक में हमारे देश के कागजी नोट छापने की अनुमति दे दी गई।

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भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रा छापने की अनुमति

वर्ष 1935 के पहले आरबीआई को नोट छापने का अधिकार प्राप्त नहीं था। उससे पहले भारत में मुद्राएं इंग्लैंड प्रिंट होकर आया करती थी। 1926 में महाराष्ट्र के नासिक में नोट प्रिंट मशीन की स्थापना की गई और 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक नोट छापने की जिम्मेदारी दे दी गई। इस मशीन के द्वारा पहली बार 5,10,100,1000 और ₹10,000 की नोट की छपाई की गई थी जो कि पूरे भारत में जारी हुई थी।

जिस समय हमारा देश ब्रिटिश शासन से आजाद नहीं हुआ था उस समय नोटों में ब्रिटिश शासन के चित्र प्रिंट किए जाते थे। परंतु जब वर्ष 1949 में जब मुद्राएं छापी गई तो वह बिल्कुल अलग थी, उसमें भारतीय चित्रकारी की गई। इन अलग-अलग नोटों की चित्रों में गांधी जी की तस्वीर, गेटवे ऑफ इंडिया की तस्वीर, अशोक स्तंभ आदि छापा गया।

वर्ष 1953 में जब नोट छपी तो उसमे हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया।

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धन के रूप

आज के समय में धन बहुत से रूप में आता है

•जैसे सोना चांदी व अन्य बहुमूल्य रत्न हीरे जवाहरात आदि।

•इसके बाद अपना घर जमीन जायदाद कारखाना आदि भी धन संपत्ति में आता है।

•बैंकों में जमा रुपया वा जेवर, शेयर, बोंड् आदि।

•ई- मुद्रा जैसे क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि।

धन का हमारे जीवन में महत्व

एक अच्छे स्तर का जीवन जीने के लिए धन बहुत ही महत्वपूर्ण है। धन के द्वारा हम अच्छे घर, अच्छे कपड़े, अच्छी शिक्षा माने सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।

जिसके पास धन है वह आज के समय में अच्छा इलाज करवा सकता है, महंगी से महंगी शिक्षा प्राप्त कर सकते है जिससे उससे उसका भविष्य भी सुरक्षित हो सकता है। यह भी सत्य है की धनी व्यक्ति की समाज में जल्दी सुनी जाती है।

धनी ही अच्छा और पौष्टिक भोजन खा सकता है। अधिक मात्रा में दूध, फल आदि का सेवन कर सकता है और बीमारियों से भी दूर रहता है।

आज का समय तकनीकी का जमाना है हर किसी को फोन, टीवी, ऐसी,गाड़ी आदि चाहिए होता है। यह सुविधाओं का लाभ केवल धनी व्यक्ति उठा सकते हैं। गरीब व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की आवश्यकता और जिजीविषा को पूरा करने में ही उनकी पूंजी चली जाती है।

निसंदेह धनी व्यक्ति समाज में इज्जत प्राप्त करता है। वह अपना काम जल्दी निकलवा सकता है इसके साथ ही वह कर्ज व उधारी की समस्या से दूर रहता है।

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धन के कुप्रभाव (Money is the root of all evil)

धन होने के कारण व्यक्ति अपना काम जल्दी निकलवा लेते हैं जिससे भ्रष्टाचार की समस्या बढ़ती है,वह रिश्वत देखकर ऑफिस व कार्यालयों में अपना काम बाकियों से पहले करवा लेते हैं।

जिन लोगों के पास अत्यधिक धन है वह दहेज आदि जैसी कूप्रथाओं को बढ़ावा देते हैं ।

अक्सर बहुत धन होने के कारण व्यक्ति को शराब,सिगरेट आदि की बुरी लत लग जाती है। वह व नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।

धन के पीछे परिवारों में कलेश होता है। जमीन,जायदाद पाने के चक्कर में लोग आपसी संबंध बिगाड़ लेते हैं।

धन अच्छा या बुरा? (Is Money Everything ?)

कोई भी चीज अच्छी या बुरी नहीं होती है। हम उसका किस प्रकार से उपयोग कर रहे हैं वह उसे अच्छा या बुरा बनाती है। धन आज के समय में बहुत ही आवश्यक है, एक अच्छे जीवन जीने के लिए धन बहुत ही महत्वपूर्ण है। आज हर कोई अच्छी शिक्षा अच्छी नौकरी क्यों करना चाहता है- ताकि वह अच्छा धन कमाए और एक अच्छा जीवन जिए। परंतु धन को मानवता से अधिक महत्व देना या गलत है।

Money Is A Great Servant But A Bad Master – Francis Bacon”.

जिसका अर्थ है पैसा एक अच्छा नौकर पर एक बुरा मालिक है। जब हम पैसे को प्रेम-रिश्तो से अधिक महत्व देते हैं तो पैसा हमें नियंत्रित करने लगता है। इसे केवल अपने आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और लेन-देन का साधन समझना चाहिए। यदि हमारे पास धन है तो हमें उसका घमंड नहीं बल्कि उससे गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता करनी चाहिए। तभी सही मायनों में कोई व्यक्ति धनवान कहलाएगा

निष्कर्ष

आज के दौर में लोग धन के पीछे भाग रहे हैं अधिक से अधिक धन कमाने के लिए गलत रास्ते पर जाने के लिए भी तैयार हैं। लेकिन क्या सही मायनों में ऐसा धन जो हमें अपने लोगों से और रिश्तो से दूर कर दे वह हमें खुशी देगा?

इसलिए धन को एक सीमित रूप से इस्तेमाल करना चाहिए और कभी भी इसको मानवता से बढ़कर महत्व नहीं देना चाहिए।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज

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