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बाल विवाह पर निबंध | Essay On Child Marriage in Hindi
बाल विवाह क्या है? (What is Child Marriage in Hindi)
बाल विवाह हमारे समाज में एक कुप्रथा है। जो काफी समय से चली आ रही है। जब बहुत कम उम्र में लड़कों तथा लड़कियों का विवाह कर दिया जाता है तो इसे बाल विवाह कहा जाता है। मौजूदा समय में लड़कों की शादी की उम्र जहां 21 वर्ष है वहीं लड़कियों की 18 वर्ष है। इस निर्धारित आयु से कम आयु में विवाह करना कानूनी अपराध होगा।
भूमिका
प्राचीन काल से ही भारत में कई तरह की कुप्रथाएं विद्यमान थी। इन कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए समय-समय पर कदम उठाएं जाते रहे हैं। इन जड़ प्रथाओं में से एक है बाल विवाह। हमारे सामाजिक ढांचे में बाल विवाह एक बहुत बड़ी समस्या है। इसके अंतर्गत लड़के और लड़कियों का विवाह बेहद ही कम आयु पर में करवा दिया जाता था।
जो बच्चों के खेलने कूदने की उम्र होती थी उस उम्र में विवाह करवाने की वजह से कई तरह की समस्याएं पैदा होती है। कम उम्र में विवाह की वजह से लड़कियां जल्द गर्भवती हो जाती है जिससे कई लड़कियों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ता है। इन्ही सब नुकसानों को देखते हुए आजादी से पहले कई समाज सुधारको ने इसे लेकर अभियान छेड़ा। उन्हीं में से एक थे राजा राममोहन राय। जिनके प्रयासों के फलस्वरूप उस दौरान अंग्रेजी सरकार स्पेशल मैरिज एक्ट लेकर आई जिसमें शादी के दौरान लड़कों की आयु 18 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 14 वर्ष तय की गई। लेकिन आगे जाकर इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था।
समय बीतने के साथ ही बाल विवाह को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए लेकिन अभी भी स्थिति विकराल है। यूनिसेफ की ओर से 2019 में ‘फैक्टशीट चाइल्ड मैरिजेज’ शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की गई। जिसमें बताया गया कि साल 2005 से 2006 में 47 फ़ीसदी महिलाओं का विवाह 18 वर्ष से पहले ही करवा दिया जाता था।
हालांकि, 2015 से 2016 के बीच इन आंकड़ों में गिरावट आई, जो कि अब घटकर 27 फीसदी रह गया है। लेकिन अन्य देशों के मुकाबले अब भी भारत में बाल विवाह की स्थिति चिंताजनक है। इसके अलावा कुछ समय पहले नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे-5 करवाया गया, जिसमें पता चला है कि 40.8 फ़ीसदी लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम आयु में करवा दिया जाता है। इसमें बंगाल की 41.6 फीसदी लड़कियां शिकार हुयी जबकि त्रिपुरा की 40.1 फीसदी लड़कियों को बाल विवाह का शिकार होना पड़ा।
बाल विवाह के कारण
बाल विवाह हमारे समाज में कलंक है तथा इसे मिटाना जरूरी है बता दे, बाल विवाह कई कारणों से करवाए जाते हैं जिन्हें जानना जरूरी है। आइए जानते हैं बाल विवाह के कारण:-
1. गरीबी की वजह से
गरीबी, बाल विवाह के पीछे के सबसे बड़े कारणों में से एक है। हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं जो दो वक्त का खाना नहीं जुटा पाते। ऐसे में वे अपनी बेटियों को पढ़ाने लिखाने का सोचते भी नहीं है। पैसों की कमी की वजह से वे चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द अपनी बेटियों का विवाह करा कर जिम्मेदारी से मुक्त हो जाए और उन्हें अपने बच्चों का पेट न पालना पड़े।
2. पारिवारिक दबाव की वजह से
कई लोग पारिवारिक दवाब की वजह से भी बाल विवाह करवाते हैं। दरअसल घर के बड़े बुजुर्ग चाहते हैं कि उनके जीते-जी उनके नाती पोतों का विवाह करवा दिया जाए इसीलिए जल्दबाजी की वजह से बच्चों का विवाह 18 वर्ष से पहले ही कर दिया करते हैं।
3. माता-पिता का बच्चों के चरित्र को लेकर चिंता
कई माता-पिता अपने बच्चों के चरित्र पर शक करते हैं वह सोचते हैं कि यदि उनके बच्चे शादी से पहले ही प्रेम संबंधों में पड़ गए तो इससे उनके परिवार की काफी बदनामी होगी। परिवार में मुख्यतः माता-पिता को यह चिंता सता रही होती है कि उनकी बच्चियां दूसरी जाति के लड़कों के साथ पलायन न कर जाए। इसकी वजह से वे जल्द से जल्द अपने बच्चों की शादी कर देते हैं।
4. महिलाओं पर बढ़ते अपराध
भारत जैसे देश में लड़की और महिलाओं की सुरक्षा प्रणाली बेहद खराब है इसी वजह से आए दिन यौन शोषण, बलात्कारों जैसी घटनाएं हमारे सामने आती हैं। इन्हीं सब से परेशान माता-पिता अपनी लड़कियों का विवाह कर देते हैं।
5. शिक्षा की कमी
भारत में साक्षरता दर काफी कम है इसकी वजह से लोगों में समझ की कमी है। कई माता-पिता को इस बात का ज्ञान नहीं है कि बाल विवाह के वजह से बच्चियों को कितने नुकसान झेलने पड़ते हैं समझ के अभाव की वजह से वे अपनी बेटियों का विवाह जल्द से जल्द कर देते हैं।
बाल विवाह की वजह से होने वाले नुकसान
कम उम्र में शादी कर बच्चों से उनका बचपन छीन लिया जाता है। वही कम उम्र में शादी करने के कई बुरे नुकसान होते हैं जो बच्चों को झेलने पड़ते हैं जैसे बाल विवाह की वजह से एचआईवी और यौन संबंधित बीमारियों का खतरा बना रहता है इसके अलावा जब महिला गर्भवती होती है तब भी उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है बाल विवाह से होने वाले नुकसान निम्नलिखित हैं:-
1. शिक्षा में बाधा
बचपन में ही विवाह होने की वजह से कई लड़के-लड़कियां अपने आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाते। यही वजह है कि हमारे देश में साक्षरता दर में कमी आ रही है। उच्च शिक्षा के अभाव की वजह से नौकरियों में भी उनकी नियुक्ति नहीं हो पाती। जिस वजह से वे गरीबी के जाल में फस जाते हैं।
2. स्वास्थ्य पर प्रभाव
बच्चों के कम उम्र में शादी की वजह से उन्हें कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता। वही लगातार इसकी वजह से मृत्यु दर में इजाफा हुआ है।
3. कम आयु में गर्भवती होना
बचपन में शादी होने की वजह से कई लड़कियां बचपन में ही गर्भवती हो जाती है जिस वजह से उनके शरीर में अहम पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसके साथ ही उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं वहीं कई लड़कियां बच्चों को जन्म देने के समय ही काल के गाल में समा जाती हैं।
इन सब नुकसानों के अलावा कई लड़कियों को घरेलू हिंसा, सामाजिक बहिष्कार का शिकार होना पड़ता है। बाल विवाह की वजह से लड़कियों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बाल विवाह को रोकने के उपाय
- साल 2006 में भारत सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया था। इस कानून में यह प्रावधान है कि विवाह के समय लड़कों की आयु 21 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 18 वर्ष होगी और ऐसा ना करने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। वही 15 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाने पर विचार कर रहे है। इसके लिए उन्होंने कमेटी का भी गठन किया था।
- भारत के उच्चतम न्यायालय में विवाह पंजीयन को अनिवार्य किया। जिस वजह से बाल विवाह पर लगाम लग सके।
- इन कानूनी प्रावधानों के साथ ही बाल विवाह को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। जन जागरण की मदद से ही इसे समाप्त किया जा सकता है। यदि गांव कस्बों में बाल विवाह संबंधी जागरूकता अभियान चलाया जाए तो यह प्रभावी साबित हो सकता है।
- कई राज्यों जैसे कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में कानून पारित किए गए हैं। जिसके मुताबिक शादी को वैध बनाने के लिए उसका पंजीकरण आवश्यक कर दिया गया है।
उपसंहार (Conclusion)
भारत एक विकासशील देश है लेकिन इस विकास में बाल विवाह बाधा बन रही है। प्राचीन समय से चली आ रही यह कुप्रथा लड़के और लड़कियों के लिए एक अभिशाप की तरह है। कम उम्र में शादी के वजह से लड़के-लड़कियों को कई तरह की परेशानियों और दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जल्द से जल्द उन्हें इस कुप्रथा से मुक्ति दिलाना जरूरी है। इसके लिए यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर आवाज उठाएं तथा लोगों को जागरूक करें तो समाज में कुछ परिवर्तन आ सकता है।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।