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एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा के मध्य अंतर | Difference between Integrated Education and Inclusive Education in Hindi
शिक्षा की दो प्रणाली हैं जिनमें से एक का नाम हैं कि एकीकृत शिक्षा और दूसरी है समावेशी शिक्षा। शिक्षा कि इन दोनों प्रणालियों में विशेष आवश्यकता वाले छात्र और सामान्य छात्रों को समान विकास का अवसर प्रदान करने की कोशिशें की जाती हैं। लेकिन इन दोनों के मध्य कई अंतर भी होते है। इस आर्टिकल में हम एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा के मध्य क्या-क्या अंतर है इस बारे में बताएंगे।
एकीकृत शिक्षा क्या है? (What is Integrated Education in Hindi?)
कई छात्र शारीरिक तथा मानसिक रूप से असक्षम होते हैं। इस वजह से ऐसे छात्रों को सामान्य छात्रों की तरह शिक्षा का बराबर अधिकार नहीं मिलता। ऐसे बच्चे समाज में अलग-थलग महसूस करते हैं जिस वजह से उनमें हीनता की भावना पैदा होने लगती है। भेदभाव की वजह से यह छात्र, सामान्य छात्रों से सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते। इसी भेदभाव को समाप्त करने के लिए और हीन भावना को दूर करने के लिए एकीकृत शिक्षा प्रणाली सामने आई।
इस शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को, सामान्य छात्रों के साथ मुख्यधारा के स्कूलों में शिक्षा दी जाती है यानी कि यदि कोई छात्र सामान्य बच्चों के साथ मुख्यधारा के स्कूलों में पढ़ने की इच्छा जाहिर करता है तो उसे पढ़ने का अवसर प्रदान किया जाता है। इस तरह की शिक्षा प्रणाली का मुख्य मकसद होता है, सामान्य छात्रों और विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के मध्य भेदभाव को खत्म करना तथा उन्हें पढ़ाई का समान अवसर प्रदान करना।
भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। एकीकृत शिक्षा प्रणाली में, समानता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए सभी छात्रों को एक समान मानकर उन्हें एक जैसी शिक्षा दी जाती है।
हालांकि, विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को प्रभावी शिक्षा प्रदान करने लिए तथा उन्हें अन्य समस्याओं से बचाने के लिए स्कूल में विशेष तरह की व्यवस्था या बनावट की जानी जरूरी होती है कि ऐसे छात्रों को कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े।
लेकिन आज कल के इन स्कूलों में, स्कूल की बनावट और व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाता क्योंकि यह स्कूल सिर्फ सामान्य छात्रों की आवश्यकता के मुताबिक बनाए जाते हैं, जिससे विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को दिक्कत होती है।
विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को पढ़ाने और समझाने के लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होती है। यह प्रशिक्षण, प्रशिक्षित शिक्षक ही दे सकते हैं। लेकिन इन स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होती। इनमें स्कूल के ही शिक्षकों को थोड़ा बहुत प्रशिक्षण दे दिया जाता है जिस वजह से विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को पढ़ने में बाधा का सामना करना पड़ता है।
इसके साथ ही स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में भी विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को ध्यान में रखकर कोई बदलाव नहीं किया जाता। स्कूल का वातावरण भी सामान्य छात्रों के मुताबिक होता है जिस वजह से इस प्रणाली का ज्यादा फायदा विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को नहीं मिल पाता।
एकीकृत शिक्षा की विशेषताएं (Importance of Integrated Education in Hindi)
- इस शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य है विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को, सामान्य छात्रों की तरह ही समान अवसर प्रदान करना।
- विशेष आवश्यकता वाले छात्र बिना किसी भेदभाव के शिक्षा हासिल कर सकें, और उनमें हीनता की भावना खत्म हो सके।
- इस तरह की शिक्षा प्रणाली से विकलांग और अपंग छात्रों का मनोवैज्ञानिक तौर पर मनोबल बढ़ता है।
- एकीकृत शिक्षा में लागत कम लगती है क्योंकि इस तरह की शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए किसी भी तरह की व्यवस्था पर खर्च नहीं किया जाता।
- इससे विशेष आवश्यकता वाले छात्र आत्मनिर्भर बनते हैं।
- इस तरह की शिक्षा प्रत्येक छात्र के शिक्षा के अधिकार को पुष्टता प्रदान करता है। साथ ही भारतीय संविधान के समानता के अधिकार का भी अनुपालन करता है।
समावेशी शिक्षा क्या होती हैं? (What is Inclusive Education in Hindi?)
एक तरह से कहा जाए तो समावेशी शिक्षा, एकीकृत शिक्षा का ही विस्तारित रूप है। एकीकृत शिक्षा की तरह ही समावेशी शिक्षा में एक सामान्य छात्र और एक दिव्यांग छात्र को एक साथ, एक ही विद्यालय के, एक ही कक्षा में शिक्षा दी जाती है। लेकिन जहां एकीकृत शिक्षा में सामान्य आवश्यकता वाले छात्रों के लिए विशेष प्रशिक्षित शिक्षक, स्कूल की व्यवस्था और पाठ्यक्रम की व्यवस्था नहीं होती वहीं समावेशी शिक्षा के अंतर्गत विशेष प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम, स्कूल की व्यवस्था जैसी तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।
इस तरह की शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को विद्यालय में ही बेहतर शिक्षा, बेहतर वातावरण और सुख सुविधाएं प्रदान की जाती है। सुख सुविधाओं से तात्पर्य है इन स्कूलों की बनावट और वातावरण को ऐसा बनाया जाता है जिससे अपंग छात्र खुद को सामान्य छात्रों से कमतर न समझे।
इन स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ ही मनोवैज्ञानिक और डॉक्टर की व्यवस्था की जाती है जिससे विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को यदि किसी भी तरह की आवश्यकता पड़े तो उन्हें समय रहते मदद मिल सके। एकीकृत शिक्षा के मुकाबले समावेशी शिक्षा ज्यादा बेहतर मानी जाती है क्योंकि इस तरह के शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों की जरूरतों और आवश्यकताओं को महत्व दिया जाता है।
समावेशी शिक्षा की विशेषताएं (Importance of Inclusive Education in Hindi)
- इस तरह की शिक्षा ज्यादा महंगी होती है क्योंकि इसमें शिक्षण के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि को रखा जाता है। इसके साथ ही स्कूल की बनावट और वातावरण को ऐसा बनाया जाता है जिससे विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को मुश्किलें न आए।
- समावेशी शिक्षा में सभी छात्रों को भागीदारी का समान अवसर मिलता है।
- शिक्षा के अंतर्गत सभी छात्रों को समान माना जाता है तथा उन्हें समान शिक्षा और सुविधाएं प्रदान की जाती है। यह सामाजिक एकीकरण के साथ शैक्षणिक एकीकरण को सुनिश्चित करता है।
- इस तरह की शिक्षा से विशिष्ट आवश्यकता वाले छात्रों में हीनता की भावना खत्म होती है।
- समावेशी शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को स्वीकार किया जाता है तथा उनको विकास के लिए समान अवसर दिए जाते हैं। इस तरह की शिक्षा में शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया जाता है।
एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा में अंतर (Integrated Education and Inclusive Education difference in Hindi)
- एकीकृत शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को सिर्फ सामान्य छात्रों के साथ पढ़ने-लिखने की अनुमति दी जाती है। जबकि समावेशी शिक्षा में आपस में पढ़ने की अनुमति के साथ-साथ विशेष सुविधाएं भी मुहैया करवाई जाती हैं।
- एकीकृत शिक्षा प्रणाली में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जाता। वहीं समावेशी शिक्षा प्रणाली में पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाता है, जिससे विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को तो मदद मिले ही, साथ ही सामान्य छात्रों को भी कोई नुकसान न हो।
- जहां एकीकृत शिक्षा, शिक्षक केंद्रित होती है। वही समावेशी शिक्षा छात्र केंद्रित होती है।
- एकीकृत शिक्षा में विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक नहीं होते, बल्कि वहां के शिक्षकों को ऊपरी तौर पर प्रशिक्षित करके विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए कहा जाता है। लेकिन समावेशी शिक्षा में विशेष शिक्षा प्राप्त प्रशिक्षित अध्यापकों की व्यवस्था की जाती है।
- एकीकृत शिक्षा के तहत विश्वविद्यालयों की बनावट और आधारभूत संरचना विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के अनुकूल नहीं होती। लेकिन समावेशी शिक्षा में विद्यालय की बनावट और आधारभूत संरचना को विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के मुताबिक बनाया जाता है।
- एकीकृत शिक्षा में डॉक्टर व मनोवैज्ञानिक की व्यवस्था नहीं होती लेकिन समावेशी शिक्षा में होती है।
- विशेष आवश्यकता वाले छात्रों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। लेकिन एकीकृत शिक्षा व्यवस्था में उनके लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जाती। परंतु समावेशी शिक्षा प्रणाली में छात्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है।
- एकीकृत शिक्षा व्यवस्था में प्रशिक्षित शिक्षक न होने की वजह से छात्र प्रभावी शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। लेकिन समावेशी शिक्षा में प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा उन्हें प्रभावी शिक्षा दी जाती है।
- एकीकृत शिक्षा का प्रावधान करने वाले स्कूलों में स्कूल की बनावट छात्रों के अनुकूल नहीं होती जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन समावेशी शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों में इन छात्रों के अनुकूल व्यवस्था की जाती है।
- एकीकृत शिक्षा में ज्यादा लागत नहीं लगती। लेकिन समावेशी शिक्षा में प्रशिक्षित शिक्षकों, डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक, स्कूल की बनावट आदि पर काफी पैसा लगता है।
निष्कर्ष
इस तरह हम कह सकते हैं कि एकीकृत और समावेशी शिक्षा दोनों का ही उद्देश्य है सभी छात्रों को समानता के साथ शिक्षा प्रदान करना। लेकिन समावेशी शिक्षा विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को एकीकृत शिक्षा के मुकाबले कई सुविधाएं मुहैया करवाती है। एकीकृत शिक्षा विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को पढ़ने का मंच प्रदान करती है लेकिन पढ़ने के साथ-साथ इन छात्रों को कई सुविधाओं की जरूरत होती है लेकिन यह सुविधाएं इस शिक्षा में नहीं दी जाती। इसीलिए अलग-अलग पहलुओं से देखने पर यह पता चलता है कि समावेशी शिक्षा छात्रों के लिए उत्तम विकल्प है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना एकीकृत शिक्षा और समावेशी शिक्षा के मध्य अंतर (Difference between Integrated Education and Inclusive Education in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।