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सोसाइटी और ट्रस्ट के बीच अंतर
ट्रस्ट (Trust) और सोसाइटी (Society) दोनों ही लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से गठित किए जाते हैं। यह दोनों ही भारत के गैर-लाभकारी संगठन (Non profit Organisations) है। यही वजह है कि कई लोग इन दोनों को लेकर कंफ्यूजन में रहते हैं। इस लेख में संक्षेप में इस बात पर चर्चा की गई है कि एक ट्रस्ट और सोसाइटी में क्या अंतर है? उनके बीच के अंतर तथा उनके अलग-अलग उद्देश्य क्या है।
जिससे आप यह तय कर पाएंगे कि ट्रस्ट और सोसायटी में से कौन बेहतर है? (Trust or society, which is better?) तो आइए जानते हैं ट्रस्ट व सोसायटी के बारे में:-
सोसाइटी किसे कहते हैं? (What is Society in Hindi?)
सोसाइटी को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 (Societies Registration Act, 1860) के तहत पंजीकृत किया गया है। हालांकि स्वयं इस अधिनियम में ही सोसाइटी को परिभाषित नहीं किया गया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि, “एक सोसाइटी पारस्परिक सहमति से एकजुट हुए व्यक्तियों का एक संघ होता है जो एक समान उद्देश्य के लिए संयुक्त रूप से विचार-विमर्श, निर्णय निर्धारण जैसे कार्य करते हैं।“ इस अधिनियम की धारा 20 में सोसाइटी की श्रेणियों का उल्लेख किया गया है जिन पर इस अधिनियम को लागू किया जाता है।
इसमें दानार्थ, विज्ञान, साहित्य को बढ़ावा देने वाले सोसाइटी समिल्लित है। एक सोसाइटी का निर्माण 7 या उससे अधिक लोग मिलकर करते हैं। सोसाइटी के पंजीकरण के लिए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन की आवश्यकता होती है। एक सोसाइटी में सभी लोगों की समान भागीदारी होती है। एक लोकतांत्रिक सोसाइटी के लिए जरूरी है कि सभी सदस्यों की बात को तवज्जो दी जाए।
जिस तरह ट्रस्ट निजी या सार्वजनिक दो तरह के होते हैं। उसी तरह सोसाइटी भी दो तरह की होती हैं। कई समितियां राज्य स्तर पर काम करती हैं तो कई राष्ट्रीय स्तर पर। जिन समितियों को किसी विशिष्ट राज्य में पंजीकृत किया जाता है वे उस राज्य में काम करती हैं जबकि जिन समितियों को राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत किया जाता है, वह पूरे देशभर में काम करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। हालांकि, राष्ट्रीय सोसाइटी के पंजीकरण के लिए कम से कम 8 सदस्यों की आवश्यकता होती है जो अलग-अलग राज्यों से संबंधित होते हैं।
एक सोसायटी के गठन के लिए आवश्यक बिंदु
1. दस्तावेज (Documents)
- सोसाइटी को पंजीकृत करवाने के लिए सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के मुताबिक अनुरोध पत्र (Request letter) आवश्यक है।
- सोसाइटी के गठन के लिए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन(Memorandum of association) के सभी पृष्ठों पर कम से कम 7 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। सोसायटी की सदस्यता लेने वाले लोगों की संख्या 7 से कम नहीं होनी चाहिए। वहीं यदि एक राष्ट्रीय सोसाइटी का गठन करना हो तो इसके लिए ज्ञापन में भारत के विभिन्न राज्यों से कम से कम 8 लोग होने चाहिए।
2. सोसाइटी के कामकाज के लिए बनाए गए कुछ नियम और विनियम
- सोसायटी के नाम के संबंध में सोसायटी के अध्यक्ष या सचिव को 10 रुपए का एफिडेविट देना पड़ता है।
- इसके साथ ही सोसाइटी के सभी सदस्य के निवास स्थान का दस्तावेजी प्रमाण देना(Address Proof) जरूरी है।
- सोसाइटी के कार्यालय के कब्जे का प्रमाण देना भी जरूरी है जिसके लिए कार्यालय के मालिक को 10 रुपये का एक एफिडेविट देना पड़ता है।
- पूरा पंजीकरण होने के बाद निर्धारित पंजीकरण शुल्क 50/- रुपये का भुगतान करना जरूरी होता है।
ट्रस्ट किसे कहते हैं? (What is Trust in Hindi?)
ट्रस्ट को दानार्थ (Charitable) संगठनों के सबसे पुराने रूपों में से एक माना जाता है। ट्रस्ट को मुख्यतः किसी व्यक्ति या वर्ग विशेष के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया जाता है। इसका गठन सेटलर (Settlor) द्वारा किया जाता है। ट्रस्ट कई प्रकार के होते हैं। कुछ ट्रस्ट निजी होते हैं तो कुछ सार्वजनिक हो सकते हैं। जिन ट्रस्टों को किसी विशेष व्यक्ति जैसे नाबालिक, बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया जाता है, वे निजी ट्रस्ट (Private Trust) कहलाते हैं। वहीं जब कोई ट्रस्ट सार्वजनिक या समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया जाता है तो यह सार्वजनिक ट्रस्ट (Public Trust) कहलाता है। भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 (Indian trusts Act, 1882) की धारा 3 के अंतर्गत ट्रस्ट शासित होते है। एक ट्रस्ट का निर्माता अन्य ट्रस्टियों की नियुक्तियां करता है। यदि आप किसी ट्रस्ट का पंजीकरण करवाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे जरूरी चीज है ट्रस्ट डीड।
एक ट्रस्ट के गठन के लिए आवश्यक बिंदु
- ट्रस्ट डीड (Trust Deed): ट्रस्ट डीड ही ट्रस्ट के उद्देश्य, ट्रस्ट के प्रबंधन का तरीका, ट्रस्टियों के नियुक्ति, उन्हें हटाना इसके अलावा ट्रस्ट का नाम, ट्रस्ट फंड और पता इन सभी चीजों का ध्यान रखता है। ट्रस्टी पूरे ट्रस्ट को संभालता है तथा उसके प्रत्येक पहलुओं का ध्यान रखता है।
- स्टैंप ड्यूटी (Stamp Duty): ट्रस्ट पर जो स्टैंप ड्यूटी लगाई जाती है वे ट्रस्ट के संपत्ति के मूल्य पर आधारित होती है।
- पंजीकरण (Registration): ट्रस्ट डीड को अपने ट्रस्ट को रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत करवाना जरूरी होता है।
ट्रस्ट और सोसाइटी के बीच क्या अंतर है? (What is the difference between Trust and Society in Hindi?)
- भारत में ट्रस्ट को भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के अंतर्गत शासित किया जाता है। वहीं दूसरी ओर सोसाइटी को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है। लेकिन देश के अलग-अलग राज्यों में अधिनियम को लेकर भिन्नता मौजूद हैं।
- ट्रस्ट के पंजीकरण के लिए सबसे जरूरी चीज होती है ट्रस्ट डीड। वही सोसाइटी के पंजीकरण के लिए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन जरूरी होता है।
- ट्रस्ट के पंजीकरण में 15 से 20 दिन का समय लगता है। वही सोसाइटी के पंजीकरण में 20 से 25 दिन का समय लगता है।
- ट्रस्ट की लागत सोसाइटी के मुकाबले कम होती है
- एक ट्रस्ट में ट्रस्ट के पूरे कामकाज, सम्पत्ति, फंड, प्रबंधन, नियमों सहित पूरे नींव की देखभाल ट्रस्टी करता है। ट्रस्ट का कामकाज सोसाइटी के मुकाबले सुचारू है क्योंकि ट्रस्ट में भरोसेमंद व्यक्तियों को ट्रस्टी नियुक्त किया जाता है। वहीं दूसरी ओर सोसायटी के गठन के लिए न्यूनतम 7 सदस्यों की आवश्यकता होती है जिन की मूलभूत आवश्यकताएं एक जैसी हो। लेकिन इन 7 सदस्यों की मूलभूत आवश्यकता एक सी न होने पर कई बार विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। वही कई बार सदस्य सोसायटी के फंड में योगदान करने से संकोच कर सकते हैं।
- सोसाइटी के सदस्य और ट्रस्ट के ट्रस्टियों के बीच मतभेद की स्थिति पैदा होने पर ट्रस्ट ज्यादा कारगर साबित होता है क्योंकि यदि ट्रस्टियों के बीच किसी भी तरह का विवाद होता है तो ट्रस्ट पर चैरिटी कमिश्नर का कब्जा हो जाता है। वही सोसाइटी में ऐसा नहीं होता। इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है। मान लीजिए एक सोसाइटी पैसेंजर से भरी हुई एक बस है जिसमें उस बस के एक पैसेंजर द्वारा पूरे बस को संचालित किया जाता है। ऐसे में बस के मरम्मत के लिए कौन भुगतान करेगा? इस पर विवाद हो सकता है। वही बस को कहां जाना है? कहां रुकना है? इस पर भी झगड़े हो सकते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए सोसाइटी में सदस्यों की संख्या न्यूनतम रखी जाती है और फंड बाहरी लोगों से जुटाए जाते हैं।
- ट्रस्ट के प्रबंध मंडल की जिम्मेदारी उसके न्यास या न्यासी बोर्ड के ऊपर होती है। ट्रस्ट का प्रबंधन उसी के न्यासी या न्यासी बोर्ड द्वारा संभाला जाता है जबकि समितियों का प्रबंधन सरकारी परिषद या प्रबंध समिति द्वारा शासित किया जाता है।
- ट्रस्ट को पंजीकृत करने की शक्ति डिप्टी रजिस्ट्रार व चैरिटी कमिश्नर के अधिकार क्षेत्र में आती है जबकि सोसाइटी को पंजीकृत करने की शक्ति सोसाइटी के रजिस्ट्रार के हाथों में होती है।
- राज्य स्तरीय समिति के गठन के लिए कम से कम 7 लोगों की आवश्यकता होती है जबकि एक सार्वजनिक ट्रस्ट को पंजीकृत करने के लिए कम से कम 2 व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
- ट्रस्ट में जहां एक व्यक्ति का नियंत्रण होता है। वही सोसाइटी में सभी व्यक्तियों का नियंत्रण होता है। वहां मतदान के जरिए निर्णय लिए जाते हैं।
अंतर | ट्रस्ट | सोसायटी |
पंजीकरण के लिए आवश्यक सदस्यों की संख्या | न्यूनतम 2 | न्यूनतम 7 |
कानून | भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 | सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 |
पंजीकरण अवधि | 15 से 20 दिन | 20 से 25 दिन |
पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज | स्टैम्प पेपर | स्टैम्प पेपर में मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और नियम और कानून जरूरी । |
पंजीकरण का प्राधिकरण | चैरिटी कमिश्नर और डिप्टी रजिस्ट्रार | सोसाइटी रजिस्ट्रार |
संपत्ति | ट्रस्टियों के नाम पर आयोजित | सोसायटी के नाम पर आयोजित |
प्रबंधन | ट्रस्टी या ट्रस्टी बोर्ड | कार्यकारी या प्रबंध समिति |
परिवारिक सदस्य | हो सकते है। | परिवारिक सदस्य सोसाइटी में शामिल नहीं हो सकते। |
संचालन के क्षेत्र | पूरे देश में काम कर सकता है। | जब किसी सोसाइटी को विशेष राज्य में पंजीकृत किया जाता है तो उसका संचालन भी उसी राज्य में होता है। लेकिन यदि सोसाइटी को एक राष्ट्रीय सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया जाता है तो उसका संचालन पूरे भारत में होगा। हालांकि इसके लिए विभिन्न राज्यों के करीब 8 सदस्यों की जरूरत होती है। |
उपसंहार
कई लोग अक्सर ट्रस्ट और सोसायटी को समान मान लेते हैं। यही वजह थी कि इस लेख के माध्यम से आपको दोनों के मध्य के अंतर को समझाया गया। इससे पता चलता है कि कैसे एक ट्रस्ट एक सोसाइटी से उसकी अवधारणा, प्रबंधन, संरचना जैसे विभिन्न पहलुओं में अलग है। एक तरफ ट्रस्ट का गठन बड़े पैमाने पर लोगों के लाभ के लिए किया जाता है वहीं दूसरी ओर एक सोसाइटी को किसी विशेष वर्ग या विशिष्ट समूह के लाभ को सुनिश्चित करने के लिए बनाया जाता है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना सोसाइटी और ट्रस्ट के बीच अंतर | Society and Trust difference in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।