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Hindi Kavita Jeevan ki Paristhitiyaan

Hindi Kavita Jeevan ki Paristhitiyaan
Hindi Kavita Jeevan ki Paristhitiyaan हिन्दी कविता जीवन की परिस्थितियां

Hindi Kavita Jeevan ki Paristhitiyaan | हिन्दी कविता जीवन की परिस्थितियां

जीवन है तो
परिस्थितियों से दो चार होना ही पड़ता है,
अनुकूल हो या प्रतिकूल
हमें सहना ही पड़ता है।

बहुत खुश होकर भी
अनुकूल परिस्थितियां भी
सदा बगलगीर नहीं रहेंगी,
प्रतिकूल परिस्थितियां में सदा
डेरा जमा कर नहीं बैठी रहेंगी।

इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी
धैर्य बनाए रखिए,
लड़िए और हौसला रख सामना कीजिए,
सच मानिए! आपका हौसला ही
विपरीत परिस्थितियों से निजात दिलाएगा
कितनी भी हों कठिन परिस्थितियां
आखिर दूर चली ही जायेंगी।

बस !आप परिस्थितियों के गुलाम न बन जाइए
विपरीत परिस्थितियों का हंसकर स्वागत कीजिए।
समय का चक्र जब ठहरता नहीं है
तब एक जैसी स्थितियों का भला
डेरा कहां जय सकता है।

विपरीत परिस्थितियां भी हमें
कुछ सीख दे जाती हैं,
विपरीत परिस्थितियां ही
अनुकूल परिस्थितियों का
संकेत दे ही जाती हैं।

मजदूर दिवस

आज एक मई मजदूर दिवस है।
आज बड़े बड़े खोखले वादे होंगे
मजदूरों के ज़ख्मों पर नमक छिड़के जायेंगे
मजदूरों के मजदूर होने
और मजबूरियां ही उनकी नियत का
अहसास कराये जायेंगे।

कल से फिर मजदूरों के जज़्बातों
उनके दुःख दर्द, परेशानियां
किसी को नजर नहीं आयेंगे
मजदूर एक बार फिर
वादों की गठरी में बंध जायेंगे।

क्योंकि यही उनकी नियति है
औरों के लिए मर मरकर
दो जून रोटी का जुगाड़ करने वाले मजदूर
सिर्फ असहाय बने रह जायेंगे,

इस साल मजदूर दिवस पर मिले लालीपाप से
अगले मजदूर दिवस तक
उम्मीदों की आस से काम चलायेंगे
मजदूर हैं मजदूर ही रह जायेंगे
मजदूर बने रहकर ही
दुनिया छोड़ जायेंगे,

और हम बड़ी शान से हर साल
मजदूर दिवस मनायेंगे
क्योंकि मजदूरों की फेहरिस्त में
नये नाम जो जुड़ जायेंगे।

मजदूरों का मान

माना कि हम मजदूर हैं
पर मेहनत से जी नहीं चुराते,
अपने काम में समर्पित रहते
अपने साथियों संग पसीना बहाते हैं,

सहयोग संग सद्भाव भी रखते हैं।
पसीना बहाकर भी खुश रहते हैं
जाति धर्म की भाषा नहीं बोलते
सर्वधर्म समभाव का पालन करते
अपना और अपने परिवार का
ईमानदारी से पेट पालते,

लालच नहीं करते, खुश रहते
ईश्वर की कृपा से जो कमाते हैं
उसी में खूब मस्त रहते हैं।
हमारा पसीना हमारा गहना है
इसकी खूश्बू हमारा आइना है,

इस आइने से हम दूर नहीं रही रह सकते
मजदूर हैं तो क्या हुआ?
बिना पसीना बहाये हम रह नहीं सकते।
लोग कुछ भी कहें हम दिल से नहीं लगाते
मेहनत से कभी जी नहीं चुराते
मजदूर हैं तो मजदूरों का मान नहीं घटाते।

व्यंग्य: युद्ध और सद्भावना

हिंदी कविता: पीपल की छैंया

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Author:

Sudhir Shrivastava

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.

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