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हिंदी कविता: पीपल की छैंया

Hindi Kavita Peepal ki Chhainya
Hindi Kavita Peepal ki Chhainya

हिंदी कविता: पीपल की छैंया

गाँव जब भी हम अपने आते हैं, एसी कूलर सब भुल जाते है
बैठ जाते है जब पीपल की छैंया में,
सफर शुरू हो जाता है बस बैठ जीवन की नैया में।

ठंढी-ठंढी हवा सुहानी चल रही मस्तमगन मनमानी
हम भी उसमें खो जाते हैं।

आस-पड़ोस वालों का धीरे-धीरे जमावड़ा लग जाता है
गप्पे ठहाके में बस तो मजा ही आ जाता हैं,

गिले शिकवे सब दुर हो जाते है,
पीपल की छैंया में सब खुशी बाँट घर का शाम आनंद से बीताते हैं

न किसी से बैर करे सब को एक समान देती हूँ मैं छाया
प्रकृति से तुम भी प्यार करो न काटो मुझको
एसी कुलर में नहीं, जीवन की सच्चाई में विश्वास करो
हो गया अब सुन ली बहुत कहानी, अब न करो मनमानी

आँक्सीजन प्लांट खत्म हो जायेगा पर
मैं रहूंगी तब न रहेगी आँक्सीजन और पीपल की छैंया।

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Author:

Prashant Raj

प्रशांत राज, धुरलख, समस्तीपुर, बिहार

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