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HINDI KAVITA: देशप्रेम

Hindi Kavita on Desh Bhakti
BEST HINDI KAVITA | BEST HINDI POEM | Hindi Kavita on Desh Prem

देशप्रेम

आज हम सब को एक साथ आना होगा
मिलकर ये सौगंध सभी को लेना होगा,
देशप्रेम का चढ़ रहा जो छद्म आवरण
उससे हम सबको बचना बचाना होगा।

ओढ़ रहे जो देश प्रेम का छद्म आवरण
नोंच कर वो आवरण नंगा करना होगा,
देशप्रेम के नाम पर भेड़िए जो शेर हैं
ऐसे नकली शेरों को बेनकाब करना होगा।

देशभक्तों पर उठ रही जो आज उँगलियाँ
उन उँगलियों को नहीं वो हाथ काटना होगा,
देश में गद्दार जो कुत्तों जैसे भौंकते है,
ऐसे कुत्तों का देश से नाम मिटाना होगा।

जी रहे आजादी से फिर भी कितने हैं डर
डर का मतलब अब उन्हें समझाना होगा,
देश को नीचा दिखाते आये दिन जो गधे हैं रेंकते,
ऐसे गधों को अब उनकी औकात बताना होगा।

उड़ा रहे संविधान का जब तब जो भी मजाक
भारत के संविधान का मतलब समझाना होगा,
समझ जायं तो अच्छा है देशप्रेम की बात
वरना समुद्र में उन्हें डुबाकर मारना ही होगा।

मेरी अभिलाषा

मेरे मन की यह अभिलाषा
पूरी हो जन जन की आषा,
मिटे गरीबी और निराशा
संस्कार बन जाये परिभाषा।

सबको शिक्षा, इलाज मिले
अमीर गरीब का भाव हटे,
बेटा बेटी का अब भेद मिटे
मेरे मन की यह अभिलाषा।

गंदी राजनीति न हो
वादे सारे ही पूरे हो
जिम्मेदारी भी तय हो
अपनी भी जिम्मेदारी हो।

स्वच्छ रहें सब नदियां नाले
कहीं तनिक न प्रदूषण हो,
अतिक्रमण का नाम न हो
कानून व्यवस्था का राज हो।

त्वरित न्याय मिले सबको
मन में भेद तनिक न हो,
किसी बात का खौफ न हो
जग में खुशियाँ अपार हो।

मरने मारने का भाव न हो
सीमा पर भी न तनाव हो,
भाई चारा सारे संसार में हो
सबके मन में प्रेमभाव हो।

मँहगाई का वार न हो
प्रकृति मार कभी न हो,
चिंता की कोई बात न हो
मन मेंं कपट विचार न हो।

सामप्रदायिक दंगे न हों
जाति धर्म की बात न हो,
सब चाहें सबका हित हो
खुशियों का भंडार भरा हो।

सामाजिक कुरीति न हो
बहन बेटियों में न डर हो,
नशे का व्यापार न हो
मेरे मन की अभिलाषा।

पूर्वाग्रह

हमने समझा जिसे साधू
वो तो शैतान निकला,
दुत्कारा था जिसे उस दिन बहुत
इंसानरुपी वो तो भगवान निकला।

आँखें खूल गयीं मेरी
उतर गया पूर्वाग्रह का बुखार,
समझ एक झटके में आ गया मेरे
पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर
न किसी का आँकलन कर।

आप भी संदेश मेरा साफ सुन लो
पूर्वाग्रहों से दूरी बनाकर चलो,
पूर्वाग्रह से ग्रसित
किसी को बदनाम मत करो।

आँखें बंदकर न किसी पर
विश्वास ही करना,
बिना जाने ,बिना समझे,बिना परखे
किसी को दोस्त, दुश्मन
या हमदर्द न समझना।

सच कहूँ तो पूर्वाग्रह
ऐसी बीमारी है,
जो औरों पर शायद कम
हम पर ही पड़ती भारी है।

व्यंग्य: आज मेरा जन्मदिन है

अच्छा है बुरा है
फिर भी जन्मदिन तो है,
मगर आप सब कहेंगे
इसमें नया क्या है?
जब जन्म हुआ है तो
जन्मदिन होगा ही।

आपका कहना सही है,
बस औपचारिक चाशनी की
केवल कमी है।
उसे भी पूरा कर लीजिए
बधाइयों ,शुभकामनाओं का
पूरा बगीचा सौंप दीजिये,

दिल से नहीं होंगी
आपकी बधाइयां, शुभकामनाएं
मुझे ही नहीं आपको भी पता है,
मगर इससे क्या फर्क पड़ता है?
कम से कम मेरे सुंदर, सुखद जीवन
और लंबी उम्र की खूबसूरत
औपचारिकता तो निभा लीजिये।

मेरे जीवन यात्रा में एक वर्ष
और कम हो गया यारों,
जन्मदिन की आड़ में
मौका भी है, दस्तूर भी,

जीवन के घट चुके
एक और वर्ष की आड़ में
मन की भड़ास निकाल लीजिए,
बिना संकोच नमक मिर्च लगाकर
शुभकामनाओं की चाशनी में लपेट

मेरे जन्मदिन का उत्साह
दुगना तिगुना तो कर ही दीजिए।
कम से दुनिया को दिखाकर ही सही
औपचारिकता तो निभा ही दीजिए ,
जन्मदिन पर मुझे बधाइयां देकर
अपना कोटा तो पूरा कर लीजिए।

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Author:

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.

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