पल
ड्योढ़ी पे बैठे राह तकना उसका,
सूरते-हाल आँखों से लिखना उसका,
दिल की दहलीज पे यादों की चादर को,
हर रोज ताजे फूलों से सजाना उसका,
अतीत को मेरे यादगार बनाता है।
वो यादगार पल याद आता है।।
वो खफ़ा होकर बैठना बरगद के नीचे,
कोई नाराज़ होना भी भला तुमसे सीखे,
और फिर अचानक तुमने बदला रुख यूं,
कि जैसे फोड़ दी हो बोतल किसी ने पीके,
तुम्हारा बिना कुछ बोले चले जाना,
मेरी आँखों को झरना बनाता है।
वो यादगार पल याद आता है।।
याद भी है तुम्हे कुछ या भूल गए सब,
कोई तो तारीख बताकर जाते आओगे कब,
ये बेमौसम बरसात सही नही जाती,
मौसम प्रेम का आएगा कब,
ये पतझड़ मुझे मैला करता जाता है।
वो यादगार पल याद आता है।।
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About Author:
नाम है हर्षित काम है लिखना पढ़ना, मैं अपने अस्तित्व की खोज में निकला एक राहगीर हूँ, पथ पर चल रहा हूँ, सफ़र जारी है।