पग बढ़ाते चलो
हार कर बैठो मत
उठो!खुद पर विश्वास करो
आगे ही बढ़ो,
हौसले की उड़ान भरो
पग बढ़ाते चलो।
जीत का विश्वास रखो
हार में ही तो
जीत का सार है,
बुजदिल तो नहीं हो न
तन से नहीं मन से थक गये?
इतने निराश हो गये?
उठो निराशा को भगाओ
जीत का विश्वास खुद में जगाओ
आगे बढ़ते ही रहो
मंजिल पास ही है।
हार का शोक न करो
जीत का जज्बा जगाते रहो
मंजिल पर निगाह रखो
जब तक मंजिल न मिले
रूको नहीं,पग बढा़ते चलो।
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✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002