वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु की रिम झिम लड़ियाँ,
माह ये पावन होता है हरी भरी हरियाली वाला,
मनभावन सावन होता है
1. पेड़ों पर पड़ते है झूले,
संग मिल सब सखियाँ फिर झूले
जल से हो अभिसंचित अपनी,
धरती माता फलें ओर फूलें
हो प्रफुल्लित खुशियों से भरा,
सबका घर आँगन होता है
हरी भरी हरियाली वाला,
मनभावन सावन होता है।
2. आती है पीहर को बिटिया,
पाकर अपनी बाबुल की चिट्ठियां,
पड़ती है फिर हर घर आँगन छत खटिया,
होती है बस हंसी ठीठलियाँ,
भरा हुआ संगीत गीत से,
मन मनभावन होता है,
वर्षा ऋतु की रिम झिम लड़ियाँ,
माह ये पावन होता है,
हरी भरी हरियाली वाला,
मनभावन सावन होता है।
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सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊