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HINDI KAVITA: अलविदा 2020

Last updated on: January 12th, 2021

अलविदा 2020

सब कुछ सामान्य था
ठंड अपने चरम पर थी
जब तुम्हारा आगमन हुआ था।

हम तुम्हें अपने संग
घुलमिल भी नहीं पाये थे कि
तुम्हें जाने क्या सूझी?

तुम कसमसाये और फिर
अपने रंग में आये,
शराफत का चोला फेंक
अपना अपना असली रुप दिखाये।

हमारा जीना जैसे
तुम्हें अच्छा नहीं लगा,
तभी तो कोरोना को
दावत पर बुलाए।

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जन जन का जीना दुश्वार कर दिया,
बच्चों की शिक्षा
हमारा रोजगार
गरीबों, लाचारों,असहायों का
जीना हराम कर दिया।

फिर भी मन नहीं भरा
कितने प्राण लिए तुमने
कितने आँसू दिये तुमने,

तीज त्योहार पर भी
अपना खौफ बनाये रखा,
लोगों के बीच अपने डर का
खौफ बनाये रखा।

अब भी तुम्हारा मन भरा नहीं है,
जाते जाते भी बेशर्मी दिखा रहे हो
अपने नाम का खौफ जमा कर भी
मुस्करा रहे हो।

अच्छा है प्रभु कि
अब जा रहे हो।
जाओ अब तुम चाहकर भी
कुछ नहीं कर पाओगे,

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चाहोगे तो भी
लौटकर न आ पाओगे,
मन में तुम्हें बसा भी न पायेंगे
इसलिए हम बस यही कह रहे हैं
अलविदा 2020,अलविदा 2020।

टीस और सीख

2020 के आने के साथ
पीछे पीछे कोरोना भी चला आया
सब कुछ अव्यवस्थित हो गया,
लोग घरों में कैद हो गये।

व्यवसाय,नौकरी, शिक्षा
सबकुछ ध्वस्त हो गया
मजदूर/गरीब लाचार हो गए
अपनों से मिलने की चाह में
सड़कों पर आ गये।

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जाने कैसे कैसे घर पहुंचे
तो कुछ खुदा को भी प्यारे हो गये
शादी ब्याह अधर में फँस गये।
बहुतों को जीवन भर की
टीस दे गया,
बेटा बाप को मुखाग्नि से भी
वंचित रह गया।

कहने को बहुत कुछ है
क्या क्या कहें?
देश दस बीस साल पीछे हो गया,
पर हमें बहुत कुछ सीख भी दे गया।
हमें से जीने,संयम से रहने की
सीख भी देकर
फिजूलखर्ची से बचने की
राह खोल गया।
वोकल से लोकल का भाव बढ़ गया
हमें अपनी जिम्मेदारी बता गया।

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जीवन में अद्भुत प्रयोग हो गया
हम सबके लिए 2020
बड़ी सीख दे गया।
अब हमारी भी जिम्मेदारी है
हम भी अपने जीने का अंदाज बदलें
संयम,संतुलन और सबके साथ
प्रेम भाव रखें,
उच्श्रृंखलता और फिजूलखर्ची से बचें
अपने लिए ही नहीं
सबके हित का भाव बनाए रखें।

बरबादी और उदंडता से बचे
खुद तो खुश रहना ही है
सबको खुश रखने के
नये मार्ग का आधार रखें,
जीवन में मधुर संगीत बिखेरें
नया नया राग रखें
खुद खुश रहें
औरों के भी खुशियों का
आधार रखें।

Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002

2020 की विदाई

नव वर्ष की तुम्हें बधाई, कर दो 2020 की विदाई
कोरोना को दूर भगाने कि जल्दी दवाई
हे भगवान करो कोई तो उपाई।।

क्षत-विक्षत हो चुका हैं जो जीवन
नैया पार तु ही करायेगा, उम्मीदों की रेलगाड़ी
को पटरी पे दौड़ायेगा।।

खुशीयों की सौगात लाये, अंधकार अभी न आये
हम सब मिल नव वर्ष मनायें
दुआएँ हमारी रंग लायें , सबके जीवन को रंग-बिरंगी बनायें।।

Author:

प्रशांत राज

🙏🏻सन् 2020 अलख जगा के🙏🏻

दिन बीतें रात बिती,
बीत गये है,हफ्तें सारे,
बहुत कुछ शिखा दिये,
कानून के सहारे,,

नो माक्स नो एंटरी पर,
लगे प्रतिबंध सारे,,
दो गज की दुरी माक्स हैं,
जरूरी लगे सभी को प्यारे

घर में रहना सुरक्षित रहना,
शिखा दिये दोहे पुराने,,
डुगर लगे दुर से ही प्यारे
प्यारे,

टुट गये बंधन सारे,
जिस को रख रहे थे,
कभी किल पर टांग कर
न्यारे न्यारे,,

अहम भी पुकारे,
अब हम हमारे,,
कुछ रिश्ते को कॉल लगा,
बौलै अरे हमारे अरे हमारे,,

भुल न जाना 2020 को ए,
कोरोना काल प्यारे,,
वर्तमान में नहीं तो फिर
भविष्य में आना होगा,
इंसान और इंसानियत मै
फर्क बताना होगा ए
कोरोना काल प्यारे,,,,
कोरोना काल प्यारे,,,,

Author:

चन्द्र प्रकाश रेगर (चन्दु भाई)
नैनपुरिया,पो नमाना तह नाथद्वारा
राजसमंद राजस्थान

2021 नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

घाव हुए बड़े गहरे हैं
और बसी ह्रदय में टीस
मरहम बनकर आना तुम
लेकर खुशियाँ दो हजार इक्कीस,

पथरीली राहों को तुम
पुष्प सा कोमल करना
अग्नि ज्वाला पर बरसो तुम
बनकर शीतल सा इक झरना
व्यवहार कुशलता शांत चित्त मन
सेवा भाव ह्रदय में भरना
हो चारो तरफ ही ख़ुशहाली

न समस्याओं से पड़े डरना
हर ओर निरोगी काया हो
अब न पड़े किसी को मरना
लेकर आना खुशियाँ इस जग की
इक नया दौर तुम लाना
दे जो सको सुकून इस जग को
सभी के सारे दर्द भुलाना
सुखी रहे संसार ये सारा
धूमिल करदो दो हजार बीस
मरहम बनकर आना तुम
लेकर खुशियाँ दो हजार इक्कीस,

न हो कोई भी अब चिंता
के ख़ुश हर किसान अब होए
लहलहाती हो फ़सल सबकी
के इतना धान अब होए
कोई बीमार न होए
कोई परिवार न रोये
बसा घर बार हो सबका
कोई अपनों को न खोये
सुकून की सांस हो धड़कन
चैन की नींद सब सोयें
मुस्कुराहट हो चेहरों पर
कोई आंसू से न रोये

बसा हर दिल में देश का मेरे
गौरव और स्वाभिमान होए
सारी दुनिया में सबसे ऊपर
मेरा भारत महान होए
लिखरही हूँ अनुरोध पत्र यह
आंखे अँसुअन रही हैं भीग
सबकी खुशियाँ लेकर आना
प्यारे दो हजार इक्कीस!

Author:

सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊

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