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HINDI KAVITA: माँ गंगा और हम

माँ गंगा और हम

माँ गंगा का हम
कितना मान सम्मान कर रहे हैं,
अपने पाप धोते हैं
साथ में कपड़ें भी धोते हैं,

गंदगी फैलाते हैं
प्रदूषण से माँ गंगा का
क्या खूबसूरत श्रृंगार करते हैं।

कितने भले लोग हैं हम
जो अपनी पतित पावनी
जीवनदायिनी माँ के आँचल को
मैला करते हैं और बेशर्मी से
उसी माँ का गुणगान करते हैं।

हे माँ ! हमें माफ करना
क्योंकि हम लाचार हैं
बेशर्मों के सरदार हैं,

आप तो जानती हैं
कि हम जिस थाली में खाते हैं
उसमें भी छेद करने को
हरदम तैयार रहते हैं।

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Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002

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