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Hindi Poetry on Vijay Diwas

Hindi Poetry on Vijay Diwas
Hindi Poetry on Vijay Diwas | विजय दिवस पर हिंदी कविता | Hindi Kavita | Hindi Poem

Hindi Poetry on Vijay Diwas | विजय दिवस पर हिंदी कविता

शुरू हुआ जो युद्ध
तीन दिसंबर उन्नीस सौ इकहत्तर को
भारत पाकिस्तान के बीच में
छुडा़ रहे थे सैनिक भारत के
छक्के पाकिस्तानी सैनिकों के।

थे बुलंद हौसले भारत के
अपने वीर जवानों के,
युद्ध भूमि में खेत रहे थे
शव पाकिस्तानी अरमानों के।
युद्ध भूमि में पाकिस्तान के सैनिक
फँसे थे जैसे चूहे के बिल में,

युद्ध देख लड़ने से ज्यादा
सोचें अपनी जान बचाने में।
तेरह दिन तक जैसे तैसे
आखिर युद्ध को खींच गये,
तेरहवें दिन थकहार कर
मनोबल अपना हार गये।

सोलह दिसंबर उन्नीस सौ इकहत्तर को
स्वर्णिम दिवस जब आया,
पाकिस्तानी जनरल नियाजी
तिरानब्बे हजार सैनिकों संग
घुटनों के बल चलकर
भारत के मेजर जनरल
सैम मानकेशा के सम्मुख
हथियार रख शीष झुकाया।

बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी ने भी तब
उत्सव खूब मनाया,
उसी दिवस बाँग्लादेश
संसार के नक्शे पर आया।
पहली बार स्वतंत्र देश बन
स्वतंत्रता दिवस मनाया,
पाकिस्तान का मानमर्दन कर
तब भारत ने विजय दिवस मनाया।

अपने शहीद जाँबाजों का
सम्मान आज भी हम करते हैं,
दिल्ली में इंडिया गेट पर आज
अमर जवान ज्योति जाकर
हर साल श्रद्धांजलि देते हैं।

भारत के रक्षामंत्री भी
जाकर श्रद्धांजलि देते हैं,
पूरे देश की ओर वे
वीर सपूतों को नमन करते हैं।
तीनों सेना प्रमुख भी
सम्मान में शीश झुकाते है,

भारत के वीर शहीदों के प्रति
श्रद्धाभाव दिखाते हैं।
तभी से हम भारतवासी
विजय दिवस मनाते हैं,
शान से लहराते तिरंगे को देख
भारतवासी बहुत हर्षाते हैं।

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Author:

Sudhir Shrivastava

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.

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